रविवार दोपहर शिप्रा नदी में बाढ़ आ गई। स्थिति यह रही कि घाट पर पूजा करवा रहे पंडितों को जहां भागना पड़ा, वहीं छोटी रपट अचानक से ही डूब गई। स्थितियां कुछ ऐसी बनी कि घाट पर पार्क की गई चार कार भी बहने लगीं। शिप्रा नदी में बाढ़ आने की यह खबर सबसे पहले तो उज्जैन के लोगों के लिए ही चौंकाने वाली है, क्योंकि आज दिन भर में ना तो बादल बरसे ना बिजली कड़की फिर भी शिप्रा नदी उफान पर आ गई।
बताया जाता है कि दोपहर को अचानक शिप्रा नदी का जलस्तर बढ़ने लगा। घाट पर रहने वाले होमगार्ड के जवान हो या पंडित-पुजारी, सभी प्रतिदिन के दिनचर्या के हिसाब से ही काम कर रहे थे। लेकिन, जब शिप्रा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ने लगा तो कोई भी कुछ समझ नहीं पाया धीरे-धीरे स्थिति कुछ ऐसी बनी की जहां घाट पर पूजा करवा रहे पंडितों को यहां से हटना पड़ा। वहीं छोटी पुलिया भी डूब गई। होमगार्ड के जवान भी यह समझ नहीं पाए कि आखिर शिप्रा नदी में बाढ़ आई है तो फिर घाट पर रहने वाले लोगों को सायरन बजाकर सचेत क्यों नहीं किया गया। कुल मिलाकर अचानक से आई बाढ़ के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। वह तो गनीमत रही कि होमगार्ड और एसडीआरएफ की टीम ने तुरंत मोर्चा संभाला और लोगों को घाट पर जाने से रोका वरना कोई दुर्घटना भी घटित हो सकती थी।
उज्जैन में अचानक पानी बढ़ने से किनारे पर रखी कारें भी बहने लगीं, उन्हें जैसे-तैसे बाहर निकाला गया। –
रस्सी बांधकर गाड़ियों को बहने से रोका
बताया जाता है कि अचानक आई बाढ़ के दौरान घाट पर रहने वाले कुछ लोगों ने अपनी सूझबूझ का परिचय दिया ,वरना इस बाढ़ के कारण लगभग चार कार डूब जातीं। शिप्रा नदी का जलस्तर बढ़ते ही घाट के किनारे खड़ी कारें बहने लगीं, जैसे तैसे इन्हें बाहर निकाल गया अगर समय रहते इन कारों को नदी से बाहर नहीं किया जाता तो यह डूब जातीं। बताया जाता है कि जिन कारों को डूबने से बचाया गया उसमें कुछ कार गुजरात के श्रद्धालुओं की थी, जो कि बाबा महाकाल के दर्शन करने उज्जैन आए हुए थे।
उज्जैन के कई घाटों पर पुलिस तैनात करना पड़ी
देवास में हुई झमाझम बारिश, उज्जैन पहुंचा पानी
बताया जाता है कि उज्जैन में तो आज तेज बारिश होना तो दूर बारिश के छीटें भी नहीं गिरे। ऐसे में सवाल लिया उठना है कि आखिर यह पानी कहां से आया। जब इस बारे में जानकारी निकाली गई तो पता चला कि कल देवास के ऊपरी हिस्सों में तेज बारिश हुई थी जिसके बाद देवास बैराज के गेट खोलने पर यह पानी तेजी से उज्जैन आ गया। यह बारिश का पानी उज्जैन मां शिप्रा के तट रामघाट तक तो पहुंच गया, लेकिन इससे यह लापरवाही जरूर उजागर हो गई कि जब इतनी अधिक मात्रा में यह बारिश का पानी उज्जैन आया था तो जिम्मेदारों ने किसी को इसकी सूचना क्यों नहीं दी?