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नेपाल चुनाव के नतीजे…जमीनी बदलाव

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चंद्रभूषण
नेपाल की चुनाव प्रक्रिया जटिल है। इसके नतीजे अंतिम रूप से आने में पूरे दस दिन का समय लग जाता है। लेकिन जो इसकी प्रत्यक्ष सीटों के नतीजे आए हैं, उनसे मोटे तौर पर एक अंदाजा लगाया जा सकता है कि नेपाल में जनादेश किस तरह का है। प्रत्यक्ष प्रतिनिधियों की 165 सीटें केंद्र में हैं और ऐसी 330 सीटें राज्यों की विधानसभाओं में हैं। अभी जैसा दिख रहा है, चुनाव के कुछ रुझान तो बहुत स्पष्ट हैं-

v काठमांडू में सोमवार को मतगणना में जुटे कर्मचारी (फोटोः AP)

इसके विरोध में जो विपक्षियों का गठबंधन है, वह नाममात्र का ही है। वह लगभग पूरी तरह से नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी एमाले है, जिसे कुछ समय से लोग केपी शर्मा ओली की पार्टी भी कहने लगे हैं। नेपाली राजनीति में ओली चर्चित व्यक्तित्व हैं। उनके प्रधानमंत्री रहते हुए काफी विवाद खड़े हुए, खासकर भारत को लेकर। भारत के बरक्स उनका झुकाव चीन की तरफ ज्यादा रहा है। इनकी पार्टी के गठबंधन में 140 से ज्यादा सीटें प्रत्यक्ष सीटें एमाले ने ही लड़ीं और बीसेक सीटें उन्होंने अपने सहयोगियों को दीं। सब मिलाकर अभी ऐसा लग रहा है कि उनकी 50 के आसपास सीटें ही आ रही हैं, इससे ज्यादा नहीं। इस आधार पर वह सरकार बनाने का दावा तो नहीं कर सकते, लेकिन एक मजबूत विपक्ष के रूप में वह बने रहेंगे।

जमीनी बदलाव
जिस तरह से हम भारत में जनमत की व्याख्या करते हैं, उस तरह से देखने पर यह कहा जा सकता है कि यह मैंडेट नेपाली कांग्रेस वाले गठबंधन के पक्ष में और नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी एमाले के विरोध में है। लेकिन यह ऊपरी बात ही है, क्योंकि नेपाल में जमीनी स्तर पर बहुत सारी नई बातें हुई हैं।

सरकार चलाने की हालत यह है कि नेपाल की आमदनी का मुख्य स्रोत विदेशी सहायता है। इससे जुड़ी कई परियोजनाएं सिर्फ इसलिए लटकी हुई हैं कि नेपाल की सत्तारूढ़ राजनीति यही नहीं तय कर पाई कि किस काम में पैसा लगाया जाए। तो ऐसी सरकारों को लोग क्यों सपोर्ट करेंगे?

खतरे की घंटी
नेपाली जनादेश से साफ है कि जनता चाहती है, मिलजुल कर समझदारी से सरकार चलाएं। गवर्नेंस पर ध्यान दें, नहीं तो जमीन उखाड़ दी जाएगी। नई शक्तियां भी उभरकर आ रही हैं। वहां की राजतंत्रवादी पार्टी, जिसका नाम नेपाल प्रजातंत्र पार्टी है, उसको भी इस बार संसद में प्रतिनिधित्व मिलना तय है। वह पांचेक सीटें लेकर आ रही है। यानी नेपाल में ऐसे भी कुछ लोग हैं, जो राजतंत्र को मौजूदा लोकतंत्र से बेहतर मान रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो यह चुनाव परिणाम कुल नेपाल की स्थापित पार्टियों के लिए खतरे की घंटी बजाता हुआ आया है।

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