एस पी मित्तल, अजमेर
यह सही है कि उदयपुर के बहुचर्चित कन्हैयालाल टेलर हत्याकांड के दोनों मुख्य आरोपी गौस मोहम्मद और रियाज अत्तारी को राजस्थान पुलिस ने ही देवगढ़ निवासी शक्ति सिंह और प्रहलाद सिंह की मदद से गिरफ्तार किया था। यदि ये दोनों जांबाज युवक अपनी मोटरसाइकिल पर हत्यारों का पीछा नहीं करते तो हत्यारे पुलिस की पहुंच से दूर चले जाते। जहां तक एनआईए की जांच का सवाल है तो हत्याकांड के बाद एनआईए ने ही पाकिस्तान के आतंकी कनेक्शन का भंडाफोड़ किया। राजस्थान पुलिस ने भले ही दो मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया हो, लेकिन यह साजिश पाकिस्तान में बैठे आतंकी सलमान और अबू इब्राहिम की है, इस बात का पता एनआईए ने ही लगाया। इस मामले में देश के अलग अलग क्षेत्रों से सात अन्य आरोपियों को भी एनआईए ने ही गिरफ्तार किया। अब यह मामला जयपुर स्थित विशेष कोर्ट में चल रहा है और एनआईए ने चार्जशीट भी पेश कर दी है। चार्जशीट में 160 गवाह बनाए गए हैं। हत्यारों की सजा को लेकर भी भाजपा और कांग्रेस में खींचतान चल रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि इस मामले में अब एनआईए कार्यवाही कर रही है, इसलिए सजा दिलाने का काम भी केंद्र सरकार का है। यह बात अलग है कि राज्य सरकार की ओर से इस मामले की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रेक कोर्ट में सुनवाई नहीं करवाई गई। कन्हैयालाल की हत्या 28 जून 2022 को हुई थी। एक साल गुजर जाने के बाद भी घटना स्थल उदयपुर का मालदास स्ट्रीट बाजार सामान्य नहीं हो पाया है। 300 दुकान वाले बाजार की अधिकांश दुकानें अभी भी बंद हैं। बाजार का माहौल सुधारने के लिए कोई ठोस कार्यवाही अब तक नहीं हुई है। यह भी सही है जब कन्हैयालाल को धमकी मिली थी, तब कन्हैयालाल ने पुलिस में शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने कन्हैयालाल को ही शांति भंग के आरोप में जेल भिजवा दिया। बाद में दोनों पक्षों में भी समझौता करवा दिया गया। यदि शिकायत पर कन्हैयालाल को सुरक्षा दी जाती तो कन्हैयालाल बच सकता था। इस हत्याकांड का एक दर्दनाक पहलू यह भी है कि मृतक कन्हैयालाल की अस्थियों का विसर्जन अभी तक भी गंगा नदी में नहीं हो पाया है। कन्हैयालाल के पुत्र तरुण ने संकल्प लिया है कि जब तक उसके पिता के हत्यारों को फांसी नहीं हो जाती तब तक वह अस्थियों का विसर्जन नहीं करेगा। पुत्र ने बाल न कटवाने का भी संकल्प ले रखा है। इस मामले का एक दुखद पहलू यह भी है कि आश्वासन के बाद भी राज्य सरकार ने हत्यारों को पकड़वाने वाले शक्ति सिंह और प्रहलाद सिंह को कोई सुरक्षा नहीं दी है। जब यह बात उजागर हो गई है कि इस मामले में पाकिस्तान का आतंकी कनेक्शन है, तब दोनों मददगारों को सुरक्षा उपलब्ध कराई जानी चाहिए। दोनों युवकों ने रिवाल्वर के लाइसेंस देने के लिए आवेदन भी कर रखा है, लेकिन दोनों को लाइसेंस भी नहीं मिल रहा। इस संबंध में दोनों मददगारों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक से गुहार लगाई है। अच्छा हो कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर दोनों मुख्य आरोपियों को फांसी की सजा दिलवाए। इस मामले में सबूत की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि हत्याकांड और उसके बाद खुद की दिलेरी का वीडियो दोनों आरोपियों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। दोनों स्वीकार किया है कि कन्हैयालाल की गर्दन उन्होंने ने ही काटी है।