अवधेश पुरोहित
भोपाल। । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कल अपने श्रीमुख से कहा कि भाजपा देश में लगातार विस्तार कर रही है प्रधानमंत्री मोदी के साथ पूरा देश खड़ा है उन्होंने कहा कि मोदी के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर दूसरे दलों के अच्छे नेता भाजपा में आ रहे हैं उनमें से अगर कोई चुनाव लडऩे लायक होता है तो उसे भाजपा चुनाव लड़ाती है, मुख्यमंत्री के श्रीमुख से निकले इस तरह के कथन के बाद कुछ भाजपा के नेताओं से जब इस संबंध में चर्चा की गई तो उनका यह साफ कहना था कि नहीं भैया यह ऐसा नहीं है कि कोई अपना वर्षों पुराना दल त्यागकर किन्हीं विशेष कारणों से आता है, छोटे-बड़े झगड़े झंझट तो वह अपने दल में ही निपटा लेता है मगर ऐसा नहीं है मध्यप्रदेश में तो यह स्थिति भिन्न है
इन भाजपा का कहना है कि इस प्रदेश में जबसे सत्ता की कमान शिवराज सिंह चौहान के पास आई है ठीक उसी के कुछ दिनों बाद जो संदेश उनके परिजनों द्वारा अपनी पहचान छुपाकर इस प्रदेश की जनता को शिवराज सिंह की कार्यशैली को लेकर किया था जिसका खुलासा इस प्रदेश के एक प्रभावशाली नेता द्वारा किया गया था जो आज भाजपा में हैं बल्कि उनके ही अपनी जाति के नेता की जो स्थिति भाजपा में इन दिनों हुई है उसको लेकर उनके समाज में काफी आक्रोश है इन भाजपा नेताओं की बात पर भरोसा करें तो दल बदल करने वाले नेताओं की वास्तविक स्थिति उन्होंने जो बताई है उनके अनुसार दूसरे दल के नेता शिवराज सिंह की र्काशैली के चलते जिसमें कभी सबका साथ सबका विकास का नारा बुलंद कर तो कभी स्वर्णिम मध्यप्रेश और अब आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का नारे का जो ढिंढोरा पीटा जा रहा है उसके तहत जो प्रदेश में शिवराज के शासन में जो योजनायें इस प्रदेश में लागू की गई वह योजनायें ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगाकर अधिकारी ही नहीं बल्कि भाजपा के नेताओं की जो हैसियत आमजन व विपक्षियों को दिखाई दे रही है कि शिवराज के सत्ता पर काबिज होने के बाद जिन भाजपाई नेताओं की स्थिति एक टूटी साइकिल खरीदने तक की नहीं थी आज वही नेता आलीशान भवनों और लग्जरी वाहनों में फर्राटे भरते नजर आ रहे हैं इस तरह के आरोप तत्कालीन भारतीय जनशक्ति की अध्यक्ष उमा भारती द्वारा एक बार नहीं अनेकों बार भाजपा पर लगाये थे यह अलग बात है कि अब उमा भारती भाजपा में हैं और उनकी जो हैसियत भाजपा ने कर दी वह जगजाहिर है जिससे उमा भारती नाराज नजर आती हैं, उसके संकेत उनके द्वारा प्रदेश में शराब बंदी को लेकर चलाये जा रहे आंदोलन की घोषणा के द्वारा उन्होंने दे दी है अब उसके परिणाम क्या होंगे यह तो आने वाला भविष्य बतायेगा कि जिस प्रदेश में शिवराज सरकार की कार्यशैली के चलते प्रदेश के नागरिकों को रात साढ़े दस बजे के बाद अपने बच्चों को पिलाने के लिये दूध नहीं मिलता लेकिन सुरा प्रेमियों को सुरापान करने हेतु प्रदेश में २४ घंटे शराब उपलब्ध ही नहीं रहती बल्कि मध्यप्रदेश की सरकार की आबकारी नीति के चलते छत्तीसगढ़ व गुजरात ही नहीं बल्कि अन्य प्रांतों के साथ-साथ छिंदवाड़ा से बापू के आश्र वाले नगर वर्धा में धड़ल्ले से बिक रही है तो यहां महंगी होने के कारण उप्र राजस्थान और महाराष्ट्र में भी शराब का कारोबार धड़ल्ले से जारी है, जिसमें अनेक भाजपा नेताओं के सक्रिय होने की खबरें भी कई बार सक्रिय रहीं, कुल मिलाकर शिवराज के शासनकाल की जो कार्यशैली है उस कार्यशैली के चलते भाजपा नेता ही नहीं बल्कि अधिकारी भी जमकर अपनी तिजोरियां भरने में लगे हुए हैं यही वजह है कि अन्य दलों के नेता शिवराज शासन की कार्यशैली से प्रभावित होकर भाजपाई नेताओं की तरह अपनी माली हालत सुधारने के लिये भाजपा में आने का सिलसिला बदस्तूर जारी है, अब यह कम थमेगा यह तो भविष्य बतायेगा, लेकिन शिवराज के शासन की कार्यशैली और भजकलदारम् की कार्यशैली से प्रभावित होकर जहां दूसरे दल के नेता भाजपा में आने के लिये बेताब हैं तो वहीं भाजपा के वह कार्यकर्ता जो वर्षों से दरी उठाने व झंडे लगाने वाले ऐसे भाजपा कार्यकर्ताओं में अपनी उपेक्षा के चलते उनमें असंतोष पनप रहा है इसके परिणाम भी इन उपचुनावों में दिखाई दे रहा है जिसमें अपनी कुर्सी बचाने और भाजपा की साख बचाने के लिये भाजपा के नेताओं ने उपचुनाव में खड़े करने के लिये दूसरे दलों से आयातित नेता को अपना उम्मीदवार बनाया गया है? इससे यह साफ जाहिर होता है कि जब सेमिफाइनल में भाजपा की यह स्थिति है तो २०२३ के आगामी विधानसभा उपचुनाव में जो भाजपा डेढ़ करोड़ भाजपा के सदस्य होने का दावा करती है क्या उनकी उपेक्षा का जो सिलसिला शुरू हो गया है क्या वह २०२३ में भी दोहराये जाने की संभावना को देखते हुए भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं में असंतोष व्याप्त है।