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नकारात्मक नहीं, सिर्फ सकारात्मक ही सोचों?

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शशिकांत गुप्ते

आज सीतारामजी और मै साथ में उनकी कार में सहज ही भ्रमण करने निकले थे।
रास्तें में चर्चा शुरू करते हुए,सीतारामजी कह रहे हैं।समाचार पढ़ना,सुनना और देखना, बंद ही करना पड़ेगा।
मैने पूछा क्यों? यदि समाचार पढ़ेंगे,सुनेंगे और देखेंगे नहीं तो देश विदेशों की खबरें कैसे जान पाएंगे? विदेशों की छोड़ों देश के अंदर की खबरें भी कैसे जान पाएंगे?
सीतारामजी ने प्रति प्रश्न किया क्या करोगे खबरें जान कर?
सारी खबरें तो नकारात्मक होतीं हैं। अपने देश में 22 करोड़ लोगों को भरपेट खाना नसीब नहीं होता है? सिर्फ एक राज्य में चौदह करोड़ लोग मुफ्त राशन प्राप्त कर रहें है? कुपोषण के शिकार लोगों की तादाद को लेकर सरकारी और गैर सरकारी संख्या में बहुत अंतर होता है? यह अंतर दशकों से हैं। बेरोजगरों की बढ़ती संख्या पढ़,सुन देख कर देश की भावीपीढ़ी का भविष्य अंधकारमय लगता है। इतना कह कर सीतारामजी ने मुझ से पूछा,व्यंग्यकार महोदय अब आप ही बताइए क्या यह सब जानने के बाद नकरात्मक सोच नहीं बनेगा?
मैने पूछा तो हमें क्या करना चाहिए?
मेरा प्रश्न सुनकर सम्भवतः सीतारामजी मानसिक रूप से Flashback मतलब पूर्वदृश्य में चले गए। पूर्वदृश्य की जगह यह भी कहा जा सकता है कि, उनकी स्मृति जागृत हो गई। स्मृति शब्द का स्मरण होते ही, उज्ज्वला योजना याद आ गई। इस उज्ज्वला योजना का सिर्फ एक ही बार लाभ उठाना लाभार्थियों के लिए सम्भव हो पाया,पश्यात साढ़े तीन करोड़ लोग दूसरी बार गैस सिलेंडर को भरवाने में असमर्थ रहे हैं। कारण उनकी आर्थिक स्थिति दूसरी बार सिलेंडर भरवाने के योग्य नहीं रही। इस खबर ने मन मष्तिष्क को झकझोर कर रख दिया और तत्काल याद आ गया इनदिनों स्मृति सुप्त (निद्रा) अवस्था में है,कुछ समय पूर्व स्मृति सड़कों पर नाचती गाती थी। स्मृति को महंगाई डायन लगती थी।
सीतारामजी ने मुझे झकझोरते हुए पूछा कहाँ खो गए।
मैने पुनः अपना प्रश्न दोहराया?
हमें क्या करना चाहिए?
सीतारामजी ने कहा अच्छी और सकारात्मक खबरें पढ़ना ,सुनना और देखना चाहिए।
मैने पूछा सकारात्मक खबरें प्रसारित होती है?
सीतारामजी ने कहा, हाँ होतीं है,लेकिन कुछ विघ्न संतोषी लोग ऐसे खबरों को प्रसारित नहीं होने देतें हैं।
मैने कहा अच्छी खबरों के कुछ उदाहरण दीजिए?
सीतारामजी ने कहा सबसे बड़ी खबर राम भगवान का दिव्य भव्य मंदिर निर्मित हो रहा है। वह भी करोड़ो की लागत से। देश में सर्वत्र भगवान शिव के प्रतीक शिव लिंग मिल रहें हैं।
धार्मिक आस्थावान लोगों की तादाद दिन-दूनी-रात-चौगुनी गति से बढ़ रही है।
यह कितनी सुखद अनुभूति की बात है कि, संत महंत और योगी भी राजनीति में सक्रिय हों रहें हैं।
धार्मिक लोगों के राजनीति में सक्रिय होने से निश्चित ही राजनीति का शुद्धिकरण होगा।
राजनेताओं के आचरण शुद्ध होंगे।
पिछले आठ वर्षों में एक भी घोटाला नहीं हुआ। एक भी भ्रष्ट्राचार का मामला नहीं बना।
शिक्षा के क्षेत्र में स्कूल और महाविद्यालय से ज्यादा कोचिंग क्लासेस खुल गएं हैं। देश हर शहर, नगर, गांव में तादाद में नर्सिंग होम के नाम पर अस्पताल खुल गएं हैं।
स्त्रियों को पुरुषों के बराबरी का दर्जा दिया जा रहा है।
मैने सीतारामजी को बीच में टोकतें हुए कहा ये खबरें प्रसारित की जा रही है,या प्रचारित की जा रहीं हैं?
बहरहाल यह स्तुति का विषय है कि, स्त्रियों को दोयम दर्जे से बाहर लाकर पुरुष के बराबरी का दर्जा दिया जा रहा है। लेकिन आजकल की युवतियां तो दोयम दर्जे के कार्यो में लिप्त होतीं जा रहीं है। धुम्रपान के साथ मद्य पान करने में भी कोई संकोच नहीं कर रही है।
सीताराम ने क्रोधित होकर मुझसे कहा आपको सिर्फ नकारात्मक बातें ही दिखती हैं।
सीतारामजी आगे कुछ कहतें, इसके पूर्व,मैने वाहन चालक को कार रोकने के लिए कहा। कार रूकने पर मैने सीतारामजी से कहा वो देखों, एक व्यक्ति सड़क किनारे छोटी से चटाई बिछा कर बैठा है। यह ज्योतिषी है। देखों कितना उदारमना है, स्वयं सड़क पर बैठा है और आमजन के भविष्य ना सिर्फ चिंता कर रहा है, बल्कि आमजन का भाग्य पढ़ने के लिए आतुर है बेचारा। उसके साहस को सलाम करना चाहिए, कारण वह लोगों का सिर्फ भाग्य पढ़ेगा ही नहीं उन्हें उपाय बताकर उनकी समस्याओं को भी हल कर देगा।
यही सब आज हमारे देश के रहनुमा कर रहें हैं।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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