अग्नि आलोक

*अब लोकतंत्र की रक्षा के लिए आखिरी बची न्याय पालिका को आतंकित करने का प्रयास*

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*600 मोदी और कार्पोरेट  गठबंधन के समर्थक वकीलों द्वारा मुख्य न्यायाधीश को लिखी चिट्ठी।*

*असल में चिट्ठी किसने लिखी या लिखवाई मोदीजी द्वारा चिट्ठी को रिप्रोड्यूज कर ज्युडीशियरी को चेतावनी ने यह साबित कर के रख दिया।*

विजय दलाल

*गुजरात के इन व्यापारियों ने जो खेल खेला है जिसमें हर स्वायत्त संस्था इडी , इन्कमटैक्स विभाग, सीबीआई, चुनाव आयोग और टीवी चैनल्स और हिंदी प्रिंट मीडिया के अधिकांश भाग को जनता ही के पैसे से जिस तरीके से खरीदा यही नहीं राजनीति को व्यापार में तब्दील कर गरीब मेहनतकश जनता , लोकतंत्र और संविधान को बाजार की वस्तु बनाकर जनता की ताकत को धनबल पर आश्रित कर दिया है इसे देख कर शेक्सपियर का शायलाक भी कब्र में शर्मा रहा होगा।*

*ज्युडिशियरी ने कुछ दिनों पहले तक इस सरकार को मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। चंद्रचूड़जी के आने के पहले तो लंबे समय तक अधिकांश हाईकोर्ट्स के साथ सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार के समर्थन में रेड कार्पेट बिछाने का काम किया है।*

*आज इडी द्वारा मोदी सरकार के लिए विपक्षी पार्टियों और उनके समर्थकों पर बगैर पुख्ता सबुतों के गिरफ्तारी कर महिनों तक जेल में रखने का नंगा नाच खेला जा रहा है यह पूछताछ करने के अधिकार तक सीमित रहने वाली संस्था को जांच पुरी हो कर न्याय देने से पूर्व ही असीमित अधिकार भी सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ही दिया गया है।*

*चंद्रचूड़ जी के आने के बाद भी तो अडानी का हिंडेनबर्ग रिपोर्ट वाला मामला हो या कश्मीर*विभाजन कर केंद्र शासित बनाने का संविधान में जो अधिकार जनता/जनमत को दिया उसे अकेले राज्यपाल की सिफारिश पर केंद्र शासित राज्य बनाने की गैर संवैधानिक*कार्य को भी तो मुहर लगा दी थी।*

मोदीजी को तो सुप्रीम कोर्ट का एहसानमंद होना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट ने इतने स्पष्ट मामले में 6 वर्ष से अधिक समय से चल रही इस चुनावी बांड योजना को 2024 के चुनाव की घोषणा के ठीक पहले यह निर्णय दिया जब इसे उनका खरीदा या डराया हुआ मीडिया इस मामले में खबरें छापेगा ही नहीं और विपक्ष चुनाव में इसका उपयोग नहीं कर पाएगा। मामला तो कब से है इसको असंवैधानिक ठहराने में कारण इतने स्पष्ट थे उसके बावजूद भी फैसले में इतने दिन लग गए। मार्च 2021 में मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे के समय इस योजना पर रोक लगाने की याचिका पर आरबीआई , उस समय चुनाव आयोग , एडीआर  और वामपंथी जैसे विपक्षी दलों की आपत्तियों के कारणों की उपेक्षा के साथ संविधान के अनुच्छेद 19(1) ए के तहत मतदाता को दिए गए सूचना के अधिकार के स्पष्ट उल्लंघन जिसकी रक्षा का दायित्व भी सुप्रीम कोर्ट का था माननीय न्यायाधीश ने बहुत चतुराई के साथ केवल योजना के प्रावधानों की समीक्षा तक सीमित कर सरकार की योजना का समर्थन किया। इस कारण से जांच एजेंसियों का दुरूपयोग कर 

 बीजेपी को हजारों करोड़ रूपए इकठ्ठा करने का अवसर प्रदान किया । यहां तक 2 नवंबर के अपने फैसले 115 दिन के  लिए सुरक्षित रख लिया। मोदीजी को तो इसका शुक्रगुजार होना चाहिए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला यदि सिर्फ 6 माह पहले भी आ जाता तो न तो मोदी सरकार को विपक्ष के 150 के लगभग सांसदों को निलंबित कर जो बिल पास करने का षड़यंत्र रचने का मौका भी नहीं मिलता बल्कि मोदी सरकार को इस्तिफा देना पड़ जाता।

असल में मोदी सरकार मीडिया और जांच एजेंसियों के दम पर दुनिया के अब तक के सबसे बड़े घोटाले को भी आम जनता से छुपा लेती।

शराब घोटाले के नाम पर आप पार्टी के नेताओं और अंत में केजरीवालजी की गिरफ्तारी का पुरा षड्यंत्र चुनावी बांड के साथ जुड़ने से बेनकाब हो गया। उसकी चीढ़ ने 600 वकीलों के माध्यम से पहले पत्र और बाद में मोदीजी द्वारा चेतावनी। पर अब मोदीजी सुप्रीम कोर्ट से भले ही फिर बच जाए जनता से नहीं बच पाएंगे।

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