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अब सिर्फ़ रात, सुहागरात डायनासोर की तरह विलुप्त 

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        डॉ. नेहा, दिल्ली 

         सुहागरात मतलब पहली बार का सेक्ससुख देने वाली रात. यह रात विवाह बाद आती थी. 

     अब पाँचवी कक्षा के विद्यार्थी भी सेक्स शुरू कर देते हैं. विवाह तक आते-आते जाने कितनों के साथ प्रैक्टिस हो चुकी होती है. यह विवाह बाद भी चलती रहती है.

    इस तरह अब सुहागरात नहीं, सिर्फ़ खतरनाक रातें हैं. ये जीवन को अंधकारमय बनाती हैं.

पहले की सुहागरात में दोनों के लिए नया अनुभव होता था लेकिन अब सुहागरात सिर्फ नाम की बाकी सब पहले ही हो जाता है.

    पहले और आज की सुहागरात के अनुभवों में अंतर व्यक्ति के अनुभवों, समय के साथ हुए बदलावों और सामाजिक परिवर्तनों के कारण हो सकता है। 

    ये बदलाव व्यक्ति की व्यक्तिगत और सामाजिक परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं और सांस्कृतिक परिवर्तन से भी जुड़े हो सकते हैं।

     पूर्व में, सुहागरात के समय व्यक्ति शादी के बाद नए रिश्तों, नए घर और नई ज़िम्मेदारियों के कारण कुछ विचलित महसूस कर सकता था। 

     उस समय अनुभव नए होते थे, और साथी के साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता होती थी। सुहागरात का माहौल जीवनसाथी के साथ एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक होता था।

     वर्तमान में, सुहागरात के अनुभव में व्यक्ति अधिक परिपक्व हो सकता है। अब लोग ज़्यादा अनुभवी होते हैं और अपने साथी के साथ समझौता करने की क्षमता रखते हैं।

    यह समय विभिन्न पहलुओं को समझने और नए रिश्ते को मज़बूत करने का एक मौका हो सकता है। लेकिन ऐसा होता नहीं.

     इसके अलावा, समय के साथ बदलती सामाजिक मान्यताएँ और जीवनशैली भी सुहागरात के अनुभव को प्रभावित करती हैं। 

   आजकल के युवाओं की विचारधारा और दृष्टिकोण में बदलाव आया है, जिससे उनका अनुभव भी अलग हो सकता है। यंत्र सा अनुभव, महज रोबोटिक, या फिर पशुविक.

    वास्तविक सुहागरात में सुख-दुःख से परे परम-आनंददायी संवेदनशील पलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

      ये पल अब जिंदगी में नहीं मिलते हैं. स्त्री जीवन में तो बिल्कुल नहीं. जिस बहना को सुहागरात और बाकी सबकुछ भी चाहिए, वो पहले अपनी योनि को वर्जिन जैसी बनवाए, फिर योगी-ध्यानी सिद्ध पुरुष से बेसुध होने तक उसकी पूजा कराए. दोनों सेवाएं हमसे निःशुल्क ली जा सकती हैं.

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