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अब दांव उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव पर…!

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सुसंस्कृति परिहार

यूं तो 2022 में हिमांचल, गोवा, गुजरात, उत्तराखंड , पंजाब  और उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं पर उत्तरप्रदेश पर भाजपा बिहार और बंगाल से भी ज्यादा मेहनत करने पर आमादा है क्योंकि यह चुनाव योगी बनाम यू पी होने वाला है।जैसा कि जाहिर है कि योगी और केंद्र की भाजपा सरकार ने राममंदिर निर्माण पर ज्यादा जोर लगाया था उसे उम्मीद थी कि मंदिर निर्माण से ख़ुश अवाम उसका बेड़ा पार कर देगी लेकिन इस बीच कोरोना की दूसरी लहर ने यहां की पावन नदियों में जो मौत के कहर की लहर दिखाई । उसने सारे किए कराए पर पानी फेर दिया। साथ ही पंचायत चुनाव में शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की जिस तरह कोरोना संक्रमण से हुई मौत को सरकार ने नकारा सिर्फ़ ड्यूटी पर मरे इने-गिने लोगों को मदद देने की बात की गई उससे माहौल सरकार के खिलाफ बन गया है। इसके साथ पुलसिया और दबंगों के ख़ासतौर से एक कौम विशेष के बढ़ते अत्याचार ने योगी को बदनाम किया वह भी चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता है। लाखों की तादाद में कोरोना मरीजों को हुई असुविधाएं और आॅक्सीजन, दवाओं के अभाव में हुई मौतें लोग क्या भूल पाएंगे?

उत्तर प्रदेश में अगले साल शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके चलते विपक्षी दलों, खासकर सपा और कांग्रेस ने संक्रमण के प्रबंधन को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वहीं, संघ और बीजेपी की शीर्ष लीडरशिप किसी भी हाल में यूपी की सत्ता को नहीं गंवाना चाहती है. ऐसे में संघ-बीजेपी डैमेज कंट्रोल के मोड में जुट गए हैं. 

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के जो नतीजे आए हैं उनमें जिला पंचायतों में समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। सत्ताधारी बीजेपी के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है। वहीं पहली बार पंचायत चुनाव में उतरी आप पार्टी की भी नतीजों से उम्मीदें बढ़ी हैं।अयोध्या और वाराणसी जैसे धार्मिक जिला पंचायतों में हारी बीजेपी की हालत ख़राब है अयोध्या में हिंदु बहुल क्षेत्र में मुस्लिम सरपंच बनाकर एक बार फिर भाईचारे की मिसाल पेश की है।यह आने वाले बदलाव का सूचक है।कहा तो यह जा रहा है कि इस चुनाव को लेकर जितना योगी और मोदी परेशान हैं। उससे कहीं ज़्यादा चुनाव रणनीति के कूटनीतिज्ञ अमित शाह इसके लिए बंगाल चुनाव के बाद से सिर खपा रहे हैं। लेकिन इसमें महत्वपूर्ण किरदार संघकार्यवाह दत्रात्रेय होसवाले का रहने वाला है  जिनके नरेन्द्र मोदी से अच्छे खासे सरोकार हैं।

हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी ने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक की है जिसमें संघ के सरकार्यवाह दत्रात्रेय होसवाले, नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ,जे पी नड्डाऔर उ०प्र०के संगठन मंत्री सुनील बंसल उपस्थिति में कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णय होने की चर्चाएं हैं। विशेष बात ये कि इसमें मुख्यमंत्री योगी को शामिल नहीं किया गया ।समझा जाता है शीघ्र ही संगठन और सरकार में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो सकते हैं। योगी की इमेज को सुधारने की अपेक्षा भाजपा की इमेज सुधारने की संभावना पर जोर दिया गया है जो इस बात की ताकीद करता है कि शायद योगी जी की कुर्सी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की तरह बदल दी जाएगी ।यह जिम्मेदारी किसी ब्राह्मण को  दी जा सकती है क्योंकि योगी राज से सबसे ज्यादा ख़फ़ा यही कौम है,उसने बहुत अत्याचार, इस दौरान झेले हैं और जिसने हाल ही में हुए पंचायती चुनाव में अखिलेश यादव का साथ देकर अभूतपूर्व विजय दिलाई है। विशेष बात ये कि पंजाब को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं । हालात सभी जगह लगभग एक जैसे हैं। मोदी के नाम पर अब वोट नहीं मिलने वाले ये तो बंगाल ने स्पष्ट कर ही दिया है ।अब देखना यह है कि तकरीबन एक साल में भाजपा और संघ मिलकर कौन सी चाल चलते हैं।आज की स्थिति में तो भाजपा बदतर हाल में है । चूंकि राजनीति वर्तमान में दांव पेंच और छल कपट और झूठ पर आधारित है इसलिए इस लंबे समय में होने वाली तब्दीलियां ही बताऐंगी भविष्यत का हाल। बहरहाल कयास तो यह भी लगाए जा रहे हैं कि नरेन्द्र मोदी की जगह किसी और को भी सत्ता की कुंजी सौंपी जा सकती है  क्योंकि आगे 2023 चुनाव से बढ़कर 2024 लोकसभा चुनाव पर संघ की नज़र केंद्रित है।कुल मिलाकर  उ०प्र०जीतना भाजपा की अनिवार्यता में शामिल है।कहा जा सकता है कि यहीं से भाजपा अपनी जीत का रास्ता खोल सकती है।

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