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अब आप और आपकी मां…बना के दिखाएं काला धन !

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मनीष सिंह

दरअसल जब वो बिल्डिंग बन रही थी, अमिताभ और शशि कपूर की मां ने ईंटे उठाई थी…दिन भर ईंटे ढोने के बाद उसने दो सौ रुपये कमाये. वो ब्लैक मनी थी.

अमिताभ की मां ने मजदूरी के पैसों से 80 रुपये का राशन खरीदा, 70 के कपड़े, 10 रुपये का ऑटो लेकर घर आई. उसके इन तमाम गंदे कामों से समाज में 200 + 80 +70 +10 = 360 रुपये का काला धन पैदा हुआ.

इसलिए क्योंकि मां ने मजदूरी की आय में TDS नहीं भरा, न खर्चों में GST और भैया – ‘जिस आय/व्यय पैसे पर टैक्स न भरा गया हो, वह क़ानूनन काला धन होता है.’

दरअसल जब आप टैक्स भरते हैं- दो चीज करते हैं –

पहला- सरकार को रंगदारी देते हैं.
दूसरा- उस ट्रांजेक्शन की रिपोर्टिंग देते हैं.

रिपोर्टिंग न देना, आय छुपाना है, अपराध है. रंगदारी का रोकड़ा न देना, टैक्स की चोरी है. अपराध है. इसलिए, अमिताभ की मां कब तक खैर मनाएगी. आज नहीं तो कल, ED और CBI की जद में आएगी.

हां, मान लिया कि पड़ोसी के पेड़ से दातून तोड़ें, तो वो आपसे लड़ने नहीं आयेगा. पर डाल काट लें, तो अवश्य लड़ेगा. सरकार ने दातून तोड़ने की छूट दे रखी है. याने मां की मजदूरी पर वो लड़ने नहीं आती, आंख बंद कर लेती है.

मगर ऐसी छोटी छोटी चोरी, प्रतिदिन अरबों का काला धन पैदा करती तो है तो इस तरह 70 साल तक हमारे देश में ‘काले धन की इकॉनमी’ ग्रो हुई.

काला धन, काले रंग के नोट नहीं होते. वो un-taxed, un- reported पैसा है. ये बड़ी मेहनत से कमाया हो सकता है. मजदूर, दूधवाला, पानवाला, रिक्शेवाले…जो बिल नहीं देते, GST नहीं भरते, तो वो सब ब्लेक मनी पर जीते हैं.

हां, जब आप पेटीएम से पेमेंट करते हैं, तो पैसा खाते से कटता है. याने रिकार्ड में आता है. निकालने के पहले, पहले खाते में आएगा भी, तभई तो QR स्कैन करोगे. इस तरह सरकार के पास आपके आय-खर्च की पाई पाई का हिसाब है.

आपको उसका सोर्स भी बताना है. आयकर विवरणी में फॉर्म 60 लगाना है. तो पाई पाई का हिसाब देना है.

मितरों !!!

काला धन खत्म होना चिये, कि नई चिये ??
चिये, चिये, चिये !!!!!

जब आप ‘चिये चिये’ चिल्ला रहे थे, तो आपको लगा था कि आपका नेता, सारे भ्रष्ट नेताओं, उद्योगपतियों, चोर, फ्रॉड, अफसरों का काला पैसा लौटकर लूटकर लायेगा. सबको 15 लाख मुफत में मिल जाएंगे.

आपको थोड़ी पता था कि काला धन होता क्या है ?? और नेता ने भी आपकी बात मानी. वादा पूरा किया- नोटबन्दी कर दी.

70 साल से आपके तकिए के नीचे छुपे, दाल के डिब्बे में दबाए, बच्चे की गुल्लक में रखा काला धन, (जो अन-टैक्सड था, अन-रिपोर्टेड था) निकलकर सिस्टम में आ गया.

यही थी सर्जिकल स्ट्राइक, सफल रही. पीछे से पेटीएम आया, गूगल पे, फोन पे, ये पे-वो पे…पाई पाई का हिसाब दो, टैक्स दो,, अब आप और आपकी मां…बना के दिखाएं काला धन !

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पैसा, मेरी निगाह में काला अथवा सफेद नहीं होता. वो दो तरह का होता है- मेहनत से कमाया हुआ, और डकैती से कमाया हुआ.

  1. Hard earned money
  2. Ill gotten money

दूसरे किस्म का पैसा- रिश्वत, डकैती, जरायम धन्धे, कालाबाजारी, हथियारों की दलाली या सत्ता की लूट से कमाया होता है. ये अंतराष्ट्रीय लेजीटमेट बिजनेस से कमाया, मगर हमारे टैक्स की उच्च दरों की वजह से विदेश में छुपाया हुआ भी हो सकता है.

आपने सोचा था कि स्ट्राइक इसपे होगी लेकिन ज्यादातर यह पैसा लन्दन, मॉरीशस, पनामा के रास्ते लौट आता है. वो जब भारत में आता है- FDI कहलाता है. उस पैसे की इज्जत है. उसे कमाने वाले बड़े लोग हैं. उन्हें स्ट्राइक से बचाने वाले बड़े लोग हैं.

काला पैसा तो बस अमिताभ की मां का है. आपके बाप, आपकी भी मां का है. जब आप परपीड़ा के सुख के लिए, किसी सर्जिकल स्ट्राइक कराने का ठेका दे रहे थे, दरअसल अपने पश्च प्रदेश में कील ठोकने का न्योता दे रहे थे. अच्छे से न ठुकी हो, तो फिर से उनको मौका अवश्य दें !

बहरहाल, नेता, व्यापारी, अफसर, उनकी दौलत तो पहले से ज्यादा सुरक्षित है लेकिन घर-घर में भारत मां के बेटे, उससे बांह मरोड़कर पूछ रहे हैं – ‘बोल, तूने काला धन कहां छुपाया है मां ??’

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