सुसंस्कृति परिहार
मकर संक्रांति के पावन दिन से जब सूर्य उत्तरायण हो रहा है कोहरे और कड़कड़ाती शीत से निज़ात दिलाने ठीक उसी दिन से देश में नफ़रत की जगह मोहब्बत की दूकान खोलने वाले राहुल गांधी इस महत्वपूर्ण सवाल के साथ साथ इस बार बढ़ते अन्यान्य के ख़िलाफ़ 6200 कि मी की यात्रा प्रारम्भ कर रहे हैं।मणिपुर से शुरुआत के बाद कांग्रेस नेता नागालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के कुछ हिस्सों में भी जाएंगे। सबसे अंत में भारत न्याय यात्रा महाराष्ट्र पहुंचेगी। मुंबई में 20 मार्च को यात्रा का समापन होगा।यह यात्रा पूर्व से पश्चिम की ओर होगी।इसकी शुरुआत मणिपुर की राजधानी इम्फाल से होगी 20 मार्च को मुम्बई महाराष्ट्र में समाप्त होगी। इसमें 65 दिन लगेगा इससे पूर्व भारत जोड़ो यात्रा 7 सितंबर, 2022 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई। यह 3,570 किमी लंबी पदयात्रा जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर तक चली थी जो देश भर के 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेश से गुजरी। जिसमें अपार जनसमूह उमड़ा था। इन यात्राओं के ज़रिए राहुलगांधी सम्पूर्ण देश तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। अनाचार के विरुद्ध खामोश पहल ।
दूसरी ओर देश में निर्माणाधीन एक विशाल मंदिर में रामजी की नवीन मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा का एक भव्य समारोह ट्रस्ट द्वारा 22जनवरी को आयोजित हो रहा है जिसमें प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में गर्भ गृह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी,संघ प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल आनंदी बेन पटेल,मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा एक पुजारी उपस्थित रहेगा। चूंकि इस कार्यक्रम में चार राजनैतिक लोग हैं सिर्फ एक पुजारी रहेगा।इससे साफ़ झलकता है यह एक राजनैतिक आयोजन है।जिस मंदिर का निर्माण भी पूरा नहीं हुआ ,पौष मास में शुभ कार्य नहीं होते फिर इतनी जल्दबाजी क्यों, सिर्फ़ इसलिए क्योंकि चुनाव सिर पर हैं और देश को यह जतलाना है कि हमने अपना वादा पूरा किया यदि हार गए तो फिर यह श्रेय किसी और को न मिल पाए।सबसे बड़ी बात है कि देश के चार धाम प्रमुख शंकराचार्यों ने इस वक्त प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम की आलोचना करते हुए आमंत्रण ठुकरा दिया है जो सनातन धर्म का झंडा साथ लेकर चलते हैं। इससे वास्तविक धर्मनिष्ठ तथा धर्मज्ञ नाखुश हैं यह कैसी राम के प्रति अनुराग, आस्था और निष्ठा है।इधर देशवासियों में राम के प्रति जो आस्था है उसे घर घर जाकर उकसाया जा रहा है कि वे अयोध्या जाएं और इस दिन राम ज्योति घर घर प्रज्वलित करें। जिससे ध्रुवीकरण हो और वोट सुनिश्चित हो।
जहां तक राहुलगांधी की यात्रा का सवाल है वे महात्मा गांधी के आदर्शों सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह और धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों को साथ लेकर इस ध्रुवीकरण और इंसानी नफ़रत के बीच आज़ादी के आंदोलन की राह के राही है।इस बार यात्रा में न्याय की अहमियत है हम सबने देखा मणिपुर में डबल इंजन सरकार ने मिलकर किस तरह मैतेई और कूकी ,नागा के बीच विभेद की दीवार खड़ी की। मैतेई को आदिवासी बनाकर उन्हें आरक्षण दिया ताकि वे आदिवासी समुदाय के पहाड़ों पर कब्ज़ा कर सकें। उन्हें लड़ाकर वास्तव में उस जमीन पर अडानी को वहां की बहुमूल्य खनिज सम्पदा देना चाहते हैं। इसलिए तकरीबन आज तक जलते मणिपुर पर मोदी-शाह ने कोई ज़रूरी निर्णय नहीं लिया। मोदीजी ने तो वहां आज तक जाना भी उचित नहीं समझा।ऐसे न्याय मांगते जलते मणिपुर वासियों के बीच से यात्रा प्रस्थान करेगी। निश्चित तौर पर वह मणिपुर वासियों के घावों पर मरहम का काम करेगी। वहां लोकसभा से मात्र दो सीट है।यह चुनाव की यात्रा नहीं मानी जानी चाहिए।यह पीड़ित मणिपुर वासियों के लिए मैतेई ,कूकी और नागाओं के बीच सद्भाव यात्रा, मोहब्बत बढ़ाने और न्याय मांगने वाली यात्रा है। राहुल गांधी इस यात्रा के बारे में साफ़ कर चुके हैं वे देश में मोहब्बत,अमन और न्याय के लिए लोगों से मिलेंगे। वैसे राम उत्तर दक्षिण मैत्री के सेतु हैं उन्होंने इंसानियत के बीजों का वपन किया था जिन्हें आज भुलाया जा रहा है । राहुल की यात्रासामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय पर ध्यान केंद्रित करते हुए की जा रही है कांग्रेस को उम्मीद है कि वह अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन के बाद भाजपा की राजनीति का मुकाबला कर सकती है।
दोनों महत्वपूर्ण आयोजनों का मूल उद्देश्य स्पष्टतः राजनैतिक ही है।अब देखना यह है आम जनता रामजी की कृपा पात्र बनकर भाजपा को फिर जिताती है वा जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए को अपनाती है और या आम लोगों की पीड़ा और उनके साथ हो रहे अन्यान्य को दूर करने वाले यात्री राहुल गांधी को अपना प्रेम और सद्भाव देती है जिस पर भारत की बुनियाद खड़ी हुई है और देश अपनी गंगा जमुनी संस्कृति के लिए दुनिया में पहचाना जाता है।