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फ्रेडरिक एंगेल्स के बरसी पर…

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*अजय असुर*

महान दार्शनिक, समाज वैज्ञानिक, राजनीतिक चिंतक एवं कार्यकर्ता फ्रेडरिक एंगेल्स का जन्म  28 नवंबर 1820 को तत्कालीन प्रशा और आज के जर्मनी में हुआ था और मृत्यु 74 साल की उम्र में 5 अगस्त 1895 में हुवा था।

सम्पन्न मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे एंगेल्स के पिता मिल मालिक थे। एंगेल्स ने औपचारिक शादी कभी नहीं की। क्योंकि विवाह का बुर्जुआ स्वरूप उन्हें पसंद नहीं था। लेकिन पुरुष और स्त्री दोनों की ओर से प्रेम में एक निष्ठता के वो प्रबल पक्षधर थे।  एक आयरिश मजदूर महिला मैरी बर्न्स(जो कि राजनीतिक रूप से काफी सजग थीं) के साथ उनके निधन तक वो जीवन साथी के बतौर रहे। 1863 में मैरी बर्न्स की मृत्यु के बाद एंगेल्स उसी तरह के रिश्ते में मैरी बर्न्स की छोटी बहन लीडिया बर्न्स के साथ बंध गए। एंगेल्स छात्र जीवन से ही राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने लगे थे। मशहूर दार्शनिक और विचारक कार्ल मार्क्स से फ्रेडरिक एंगेल्स की बहुत गहरी व अभिन्न दोस्ती थी।  

एंगेल्स ने मार्क्स के साथ मिलकर 1845 में अपनी पहली किताब ‘होली फेमिली’ लिखी और 1846 में दूसरी किताब ‘जर्मन आइडियोलॉजी’ लिखी। एंगेल्स ने 1845 में इंग्लैंड के मजदूर वर्ग की स्थिति पर ‘द कंडीशन ऑफ वर्किंग क्लास इन इंग्लैंड’ नामक पुस्तक लिखी। उन्होंने मार्क्स के साथ मिलकर 1848 में ‘कम्युनिस्ट घोषणापत्र’ की रचना की और बाद में अभूतपूर्व पुस्तक “पूंजी” दास कैपिटल को लिखने के लिये मार्क्स की आर्थिक तौर पर मदद की। मार्क्स की मौत हो जाने के बाद एंगेल्स ने पूंजी के दूसरे और तीसरे खंड का संपादन भी किया। एंगेल्स की एक और महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक किताब है ‘परिवार, निजी संपत्ति और राज्य की उत्पत्ति’ यह किताब उन्होंने 1884 में लिखी। अपनी इस किताब में एंगेल्स ने इस बात को स्थापित किया कि, “राज्य वर्गीय समाज का ही उत्पाद है। यह एक वर्ग द्वारा दूसरे वर्ग के शोषण और उत्पीड़न का औजार है। सच्चे लोकतंत्र की स्थापना एक वर्ग विहीन और राज्य विहीन समाज में ही हो सकती है।”

एंगेल्स की प्रकृति विज्ञान में भी गहरी रुचि थी। मार्क्स व एंगेल्स दोनों को ही अपने समय के विज्ञान की सभी शाखाओं की नवीनतम जानकारी थी। सन 1895 में लंदन में एंगेल्स का गले के कैंसर से निधन हो गया। 

“राजनीतिक अर्थशास्त्रियों का दावा है कि श्रम समस्त संपदा का स्त्रोत है। वास्तव में वह स्रोत है लेकिन प्रकृति के बाद। वही इसे यह सामग्री प्रदान करती है जिसे श्रम संपदा में परिवर्तित करता है। पर वह इससे भी कहीं बड़ी चीज है। वह समूचे मानव अस्तित्व की प्रथम मौलिक शर्त है और इस हद तक प्रथम मौलिक शर्त है कि एक अर्थ में हमें यह कहना होगा कि मानव का सृजन भी श्रम ने ही किया है।”  -फ्रेडरिक एंगेल्स (वानर से नर बनने में श्रम की भूमिका से)

इस महान इंसान और क्रांतिकारी विचारक को उनके बरसी पर भावभीनी श्रधांजलि और क्रांतिकारी सलाम।

*अजय असुर*

*रास्ट्रीय जनवादी मोर्चा*

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