मुनेश त्यागी
हर साल 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र के अनुसार आजादी, न्याय और शांति मानवाधिकारों की बुनियाद हैं। संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र 1948 के अनुसार दुनिया के समस्त लोगों को 30 मानव अधिकार प्रदान किए गए हैं। इन अधिकारों का मतलब है कि मानव को आजादी, न्याय, शांति, रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोजगार, शिक्षा आदि मिले।
इन 30 अधिकारों को बुनियादी मानवाधिकारों की संज्ञा दी गई है। इनका किसी भी दशा में उल्लंघन और दुरुपयोग नहीं किया जा सकता, इन्हें देने से मना भी नहीं किया जा सकता। हमें इन मानवाधिकारों का स्वयं अध्ययन करना चाहिए, अपने यारों दोस्तों और रिश्तेदारों में विचार विमर्श करना चाहिए और अपने बच्चों को इन मानवाधिकारों की शिक्षा अवश्य ही देनी चाहिए। संक्षेप में इन ३० मानवाधिकारों का विवरण इस प्रकार है ,,,,,,
१. सभी मानव प्राणी आजाद हैं, वे सभी से भाईचारे की भावना से व्यवहार करेंगे,
२. किसी भी मनुष्य के साथ जाति, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, विचार और संपत्ति के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा
३. हर एक को जीवन, सुरक्षा और आजादी का अधिकार है,
४. किसी को गुलाम नहीं रखा जा सकेगा,
५. किसी के साथ भी निर्दयता और अत्याचार नहीं किया जाएगा,
६. हर एक प्राणी कानून के समक्ष बराबर है और उसे कानून का समान संरक्षण प्राप्त है,
७. किसी को भी गैरकानूनी रूप से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता और सभी के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जाएगी,
८. किसी भी मनुष्य को मनमाने रूप से गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, हिरासत में नहीं रखा जाएगा और देश निकाला नहीं दिया जाएगा,
९. हर एक मानव को उचित सुनवाई का मौका दिया जाएगा
१०. जब तक कोई दोषी सिद्ध न हो जाए, उसे बेगुनाह समझा जाएगा,
११. किसी के जीवन में मनमाना हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा,
१२. हर एक को पूरे देश में आने-जाने और घर बनाकर बनाकर रहने का अधिकार है,
१३ . हरेक को धर्म के अत्याचारों से बचने के लिए, किसी भी दूसरे देश में शरण लेने का अधिकार होगा,
१४. हर एक को राष्ट्रीयता का अधिकार है,
१५. हर एक बालिग को अपनी सहमति से शादी करने का अधिकार है,
१६. हर एक को संपत्ति रखने का अधिकार है,
१७. हर एक को विचार और धर्म की आजादी है,
१८ हरेक को विचार और अभिव्यक्ति की आजादी होगी,
१९. हर एक मानव को शांतिपूर्ण इकट्ठा होने और एसोसिएशन बनाने का अधिकार होगा,
२०. हर एक मानव को सरकार में भाग लेने और जन सेवा का अधिकार होगा और सभी को गुप्त दान गुप्त मतदान करने का अधिकार होगा,
२१. हर एक नागरिक को सामाजिक सुरक्षा जैसे वृद्धावस्था पेंशन, रहने, खाने और दवाई का अधिकार होगा,
२२. हर एक मनुष्य को काम का अधिकार होगा उसकी कार्य दशा संतोषजनक होंगी, उसकी बेरोजगारी से रक्षा की जाएगी, उसे समान काम का समान वेतन मिलेगा और उसे पर्याप्त वेतन मिलेगा और वह किसी भी ट्रेड यूनियन में भागीदारी कर सकता है,
२३. . हर एक को काम , अवकाश का अधिकार होगा और उसे समय-समय पर सवेतन छुट्टियां भी मिलेंगी,
२४. हर एक को रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा का अधिकार है और हरेक को बेरोजगारी, बीमारी, दिव्यांगता, विधवा होने, बुढ़ापे की पेंशन और और जीविका का सहारा न होने पर सरकार द्वारा मदद की जाएगी
२५. सरकार हर एक व्यक्ति का विशेष ध्यान रखेगी और मां और बच्चे के विशेष सुरक्षा की जाएगी और उसे मदद दी जाएगी,
२६. हर एक को मुफ्त, आधुनिक और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार होगा, हरेक को. पूर्ण विकास की शिक्षा जो मानवाधिकारों, मूलभूत आजादी की कद्र करे, जो सभी के प्रति सहनशीलता और दोस्ती बढ़ाए, और सभी जातियों, धार्मिक समूहों में शांति और दोस्ती की भावना को बढ़ाने वाली शिक्षा दी जाएगी
२७ सभी मनुष्य को सांस्कृतिक गतिविधियों को में हिस्सेदारी करने का अधिकार होगा जिससे कि वह कलाओं का लाभ उठा सके और वैज्ञानिक प्रचार प्रसार में हिस्सेदारी कर सके,
२८. सभी मनुष्यों को अपने अधिकार और स्वतंत्रताओं की रक्षा करने का अधिकार होगा और सभी को अपने अधिकारों को लेने की गारंटी होगी,
२९. सभी मनुष्यों को अधिकार होगा कि वे अपने व्यक्तित्व का मुफ्त और पूर्णतम विकास कर सकें और उन पर नैतिकता, पब्लिक ऑर्डर और सामान्य कल्याण के लिए कुछ प्रतिबंध भी लगाए जा सकते हैं और
३०. किसी को भी अधिकार नहीं होगा कि वह मनुष्यों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं का विनाश कर सके, उनका दुरुपयोग कर सके।
पिछले 30 साल से जब से दुनिया में वैश्वीकरण, उदारीकरण और निजीकरण की नीतियां लागू की गई हैं, तब से हमारे इन मानवाधिकारों पर लगातार भयानक हमले हो रहे हैं, जैसे जातिवादी हमले, साम्प्रदायिक हमले, क्षेत्रीय हमले, भाषाई हमले, फांसीवादी हमले, पूंजीवादी हमले और साम्राज्यवादी हमले। हमारे समाज में फैला अन्याय, शोषण, भेदभाव, दमन, अत्याचार ऊंचनीच की मानसिकता और छोटे बड़े की मानसिकता, हमारे इन मानवाधिकारों पर लगातार कुठाराघात कर रहे हैं।
अब यहीं पर अहम सवाल उठता है कि ऐसे में हम इन मानवाधिकारों को बढ़ाने और बचाने के लिए क्या करें? इसके लिए हमें जनता के अंदर भाईचारे की भावना को बढ़ाना होगा, अफवाहों का खंडन करना होगा, जनता में जनजागृति करनी होगी, जातिवादी सांप्रदायिक भाषाई और क्षेत्रीय जनविरोधी नीतियों का भंडाफोड़ करना होगा। ये सारी की सारी ताकतें मानवाधिकारों की सबसे बड़ी दुश्मन हैं।
मानव इतिहास बता रहा है कि पूंजीवादी, सामंती, फासीवादी और साम्राज्यवादी समाज के गठजोड़ के चलते, मानवाधिकार नहीं मिल सकते, इनकी हिफाजत नहीं की जा सकती। पिछले तीस साल का साम्राज्यवादी शासन दिखा रहा है कि साम्राज्यवाद, पूंजीवाद और फासीवाद के गठजोड़ के चलते दुनिया भर में मानवाधिकारों की रक्षा नहीं की जा सकती है।
मानवाधिकारों को हासिल करने के लिए हमें समाजवादी व्यवस्था में किस तरह से मानवाधिकारों की रक्षा की गई है, समाजवादी समाजों में किस तरह से मानवाधिकारों को बचाया और उनकी रक्षा की गई है, हमें उनका अध्ययन करना होगा और सारी दुनिया की जनता में, उनके बारे में प्रचार प्रसार करना होगा।
हमारी पूंजीवादी व्यवस्था दुनिया में मनाए जा रहे मानवाधिकार दिवस से कितनी गाफिल है, इसका उदाहरण आज के अखबारों से देखने को मिला। आज यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि हमारे अखबारों में मानवाधिकारों के बारे में कोई चर्चा नहीं है, कोई लेख नहीं है। इस प्रकार हम देख रहे हैं कि हमारी अधिकांश पूंजीवादी सरकारें मानवाधिकारों की किस कदर उपेक्षा कर रही हैं।
दुनियाभर में मानवाधिकारों का साम्राज्य स्थापित करने के लिए हमें, दुनिया भर के स्तर पर किसानों, मजदूरों, तमाम मेहनतकशों और बुद्धिजीवियों की सत्ता और सरकार बनानी पड़ेगी। तभी जाकर दुनिया के सभी मनुष्यों को मानवाधिकार मोहिया कराए जा सकते हैं। मानवाधिकार केवल और केवल समाजवादी व्यवस्था में ही जनता को मोहिया कराए जा सकते हैं, पूंजीवादी व्यवस्था में तो कतई भी नहीं।