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*गले के कैंसर का खतरा बढ़ाता है ओरल सेक्स*

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            डॉ. श्रेया पाण्डेय 

     सेक्स पार्टनर्स एक-दूसरे को एक्स्ट्रा-प्लेज़र देने के लिए उनके सेक्सुअल ऑर्गन्स के साथ ओरली रिएक्ट करते हैं। इसे आम भाषा में किसिंग या लिकिंग कहा जाता है। इससे गले के कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.

    पुरुष स्त्रियों की अपेक्षा ज़्यदा चपेट में आ रहे हैं. इसलिए की पेनिस शरीर के बाहर का अंग है. इसकी ठीक से सफाई की जा सकती है. स्त्री खुद भी पेनिस को साफ करके मुंह में ले सकती है, जबकि योनि शरीर के भीतर का अंग है. इसकी सफाई बेहद मुश्किल है. स्त्री को खतरा तब होता है जब पेनिस का स्किन रोगी हो या वीर्य प्रदूषित हो.

       किसी भी सेक्सुअल रिलेशनशिप में पार्टनर्स की एक-दूसरे के प्रति कंपैटिबिलिटी के बाद ‘फोरप्ले’ एक अच्छी और बेहतर सेक्स ड्राइव की भूमिका निभाता है। आमतौर पर हमारे ‘पुरुष प्रधान देश’ में सेक्स के मामले में भी ‘व्हाट मेन वांट’ वाली सोच प्रमुख तौर पर दिखाई देती है।

स्वाभाविक तौर पर पुरुषों को अल्टीमेट प्लेज़र सेक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान ही मिलता है, लेकिन महिलाओं के लिए इसकी डेफिनेशन शायद थोड़ी अलग हो सकती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट बतातीं हैं कि महिलाओं को ऑर्गैज़म तक पहुंचने में औसत 30-41 मिनट का समय लगता है, जिसका सीधा मतलब है कि महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले ऑर्गैज़म तक पहुंचने में अधिक समय लगता है।

     साथ ही कई रिपोर्ट्स यह भी बतातीं हैं कि सेक्स के लिए खुद के दिमाग और शरीर को तैयार करने के लिए भी महिलाओं को अधिक समय लगता हैI इस प्रक्रिया में आमतौर पर ‘फोरप्ले’ उनकी मदद करता है।

     अक्सर अनप्रोटेक्टेड ओरल सेक्स के कारण ‘थ्रोट कैंसर’ यानी गले का कैंसर हो जाता है।

*क्या कहती है मेडिकल रिपोर्ट्स?*

       सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन की रिपोर्ट बताती है कि कई लोग ऐसा मानते हैं कि साधारण सेक्स के मुकाबले ओरल सेक्स ज्यादा सेफ होता है, लेकिन ऐसा नहीं है।  

     अनप्रोटेक्टेड ओरल सेक्स करने के कारण ह्यूमन पेपीलोमा वायरस नाम का एक वायरस पैदा हो जाता है। जिसे आम भाषा में एचवीपी भी कहा जाता है।

     इसी एचवीपी के कारण युवाओं को थ्रोट कैंसर यानी ‘गले के कैंसर’ का खतरा कई अधिक बढ़ जाता है। इस एचवीपी वायरस के कारण महिलाओं में एनल कैनाल और सर्वाइकल का कैंसर होने की भी अत्यधिक संभावनाएं होती है।

       USCDS की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका में लगभग साढ़े छह करोड़ लोग यौन रोगों से ग्रसित है, जिनमें 30 फीसदी पुरुष और लगभग 14 फीसदी महिलाएं ओरल सेक्स से फैलने वाले एचवीपी से पीड़ित हैं।

      WHO की एक रिपोर्ट बताती है कि हर साल पूरी दुनिया में 10 लाख लोग यौन रोगों से प्रभावित होते हैं। भारत में यौन रोगों से हर साल लगभग तीन से साढ़े तीन करोड़ लोग प्रभावित होते हैं।

*क्या कहते हैं ओरल सेक्स संबंधी अध्ययन ?*

       गले का कैंसर एक ट्यूमर के विकास की तरफ इशारा करता है। जिसमें फर्निकस, वॉइस बॉक्स और टॉन्सिल शामिल होते हैं।

     गले में असामान्य सेल ग्रोथ होती है, जिससे लगातार गले में खराश, निगलने में कठिनाई या आवाज में बदलाव जैसे लक्षण दिखाई पड़ते है।

      कई अध्ययनों में गले के कैंसर के कुछ मामलों और ओरल सेक्स के माध्यम से प्रसारित होने वाले ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) के बीच एक संभावित संबंध देखा गया है।

    इसमें विशेष रूप से एचपीवी-16 जैसे स्ट्रेंस गले के कैंसर के बढ़ते जोखिम से जुड़े होते है।

     ऐसे में यह ध्यान रखना आवश्यक है कि ओरल सेक्स करने वाले हर व्यक्ति को गले का कैंसर नहीं होता है। और भी कई कारक इसके विकास में योगदान करते हैं।

*ओरल सेक्स के दौरान क्या सावधानियां रखनी चाहिए?*

     ओरल सेक्स के दौरान कंडोम या डेंटल डैम के उपयोग सहित सुरक्षित सेक्स उपायों का अभ्यास, संभावित रूप से एचपीवी को फैलने और उसके कारण होने वाले कैंसर के खतरे को कम कर सकता है।

     साथ ही नियमित एचपीवी टीकाकरण भी संक्रमण के जोखिम को काफी कम कर सकता है।

*क्या है उपचार?*

        एचपीवी से संबंधित गले का कैंसर पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकता है।

     अध्ययनों से पता चलता है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में एचपीवी से जुड़े गले के कैंसर विकसित होने की अधिक संभावना होती है।

     इसके उपचार में कई कारण निर्भर करते हैं, जिसके हिसाब से उपचार किया जाता है। इसकी उपचार प्रक्रिया में ट्यूमर या प्रभावित टिश्यूज़ को हटाना, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी जैसे प्रक्रियाएं शामिल है। उद्देश्य कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करना है।

     लक्षित थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी नए दृष्टिकोण हैं जो विशिष्ट कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करते हैं या कैंसर से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देते हैं।

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