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140 करोड़ लोगो में से 30-40 लाख अमनपसंद लोग सड़क पर नहीं आ सकते क्या?

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एडवोकेट अब्दुलकादीर गौर
140 करोड़ लोगो में से 30-40 लाख अमनपसंद लोग सड़क पर नहीं आ सकते क्या? आपकी संसद, आपकी अदालते और आपके राजैनतिक दल सब आवारा हो गये है | दस-दस लाख लोग तीन टोलियो में बंट जाओ | एक टोला आवारा, बदचलन और बेईमान हो चुकी संसद को तब तक घेरे रखे जब तक हर एक बेईमान, नफरती, क़ातिल और हत्यारा नेता देश छोड़कर ना भाग जाये | दूसरा टोला अदालतो में आँख, कान और दिमाग़ को बंद करके बैठे बेईमान जज लोगो की घेराबंदी तब तक करके रखे जब तक वें सभी काले कोट छोड़ छोड़कर भाग ना जाये | तीसरा टोला उन सभी बेईमान, मौकापरस्त, घाघ, कायर नेताओं और उनके दलों के दफ़्तरों को तब तक घेर के रखे जब तक वें सभी सड़को पर ना आ जाये | याद रहे इस पूरी प्रक्रिया में कोई किसी को गाली नहीं देगा | डंडा नहीं चलाएगा | चीखेगा नहीं | चिल्लायेगा नहीं | नारा नहीं लगाएगा | शांति से | एक दम खामोश होकर | बिना कोई शौर किये | बगैर किसी हिंसा के | एक दम मृतप्राय होकर |

बस इन तीन टोलो को इन तीन जगहों का घेराव करना है | बस घेराव | कोई कानून नहीं तोड़ना | कोई लॉ एन्ड आर्डर की स्थिति पैदा नहीं करनी है | सिर्फ असहयोग करना है | जब ये तीनो अपने दायित्व भूल चुके है तो हमें इनकी जरूरत नहीं है लिहाजा इन्हे बंद कर दिया जाये | ना संसद, ना अदालत ना कोई राजैनतिक दल | तीनो बेकार, भ्रष्ट, मृत और खोखले हो चुके है लिहाजा इन्हे हम ओर नहीं पाल सकते | अब इन्हे बताना पड़ेगा के ये देश जनता का था, जनता का है और जनता का ही रहेगा | ये देश 1000-2000 बेईमान लोगो का नहीं है | ये देश शीर्ष पर बैठकर मलाई चाट रहे जाहिलों का नहीं है | ये देश 140 करोड़ लोगो का है |

इसे गुलाम बना दिया गया है | अपने देश को वापस आज़ाद करवाना चाहते हो तो सड़को पर उतर आइये | इस देश को फिर से हरा भरा, खुशहाल और विकास करते देखना चाहते हो तो सड़को पर उतर जाइये | ना रुकिये | ना सोचिये | ना कुछ कीजिये | देश रहेगा तो पढ़ाई भी होगी | देश रहेगा तो नौकरी भी होगी | देश रहेगा तो स्वंत्रतता भी होगी | गुलामी में सिर्फ ओर सिर्फ ज़ुल्म ओ सितम ही मिलता है | इतिहास की किताबें अंग्रेजो के ज़ुल्म ओ सितम से भरी पड़ी है | हज़ारो लाखो क़त्ल हुये | हज़ारो को फांसी हुई | लेकिन आपके हमारे बुज़ुर्गो ने आज़ादी हासिल की | तुम्हे भी करनी पड़ेगी | तुम्हे भी लड़ना पड़ेगा | याद रहे कोई दंगा, फसाद या झगड़ा नहीं होना चाहिए | बस खामोश (मौन) रहकर असहयोग करना है | फिर देखना कुछ दिनों में ये सब जो चारो तरफ ज़ुल्म ओ सितम फ़ैल रहा है | बेईमानीयां की जा रही है | ये सब एक झटके में बंद होगा | और फिर जिन्हे तुम क़ातिल कहते हो उन्हें कानूनन सज़ा भी मिलेगी | ज्यादा नहीं केवल 30-40 लाख लोग काफ़ी होंगे इस देश को फिर से आज़ादी दिलाने के लिये |
इसके इतर तुम्हारे पास अब कोई रास्ता नहीं बचा है | या तो ये कर लो या फिर रोज़ तिल तिल कर ऐसे ही मरते रहो जैसे आज मर रहे हो |धन्यवाद©TheAnalyst

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