डॉ. प्रिया
चुटकी भर हल्दी के इस्तेमाल से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। बचपन में मां हल्दी को कभी दूध में मिलाकर, तो कभी चाय में उबालकर पिलाया करती थीं। मगर केवल चुटकी भर हल्दी ही इस्तेमाल की जाती थी। उस वक्त हल्दी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला चुटकीभर शब्द के मायने समझ में नहीं आते थे।
इसमें कोई दोराय नही कि मां की रसोई में मौजूद ये जड़ीबूटी इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने से लेकर वज़न कम करने तक फायदा पहुंचाती है। मगर इसका ज्यादा इस्तेमाल शरीर को नुकसान भी पहुंचाता है। हल्दी से न केवल व्यंजनों की रंगत में बदलाव आने लगता है बल्कि उनके स्वाद और पोषण स्तर में भी बढ़ोतरी होती है। मगर इस जड़ी बूटी का प्रचुर इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता है।
*शरीर को कैसे प्रभावित करती है हल्दी?*
औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी का इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है। इसमें एंटी इंफ्लामेटरी हेपेटोप्रोटेक्टिव और एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं। इसके सेवन से वात और कफ दोष को संतुलित किया जा सकता है।
ज्यादा मात्रा में हल्दी का इस्तेमाल आयरन के एब्जॉर्बशन को कम करता है, जिससे एनीमिया का सामना करना पड़ता है। हल्दी का ज्यादा सेवन त्वचा पर रैशेज का कारण बनने लगता है।
इसके अलावा हल्दी में मौजूद करक्यूमिन की मात्रा ब्लड क्लॉट बनने से बचाता है, मगर अधिक सेवन करने से सर्जरी या चोटिल होने पर रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है।
हल्दी में करक्यूमिन नाम का प्लांट बेस्ड केमिकल पाया जाता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजे़शन के अनुसार अपने शरीर के वज़न के अनुसार 1.4 मिलीग्राम हल्दी लेने की सलाह दी जाती है। सब्जियों में इस्तेमाल करने के बाद दूध में और पानी में उबालकर हल्दी मिलाकर पीने से इसका कंजप्शन बढ़ने लगता है।
*हल्दी के ओवरडोज से होने वाले नुकसान:*
1. किडनी स्टोन :
इसमें ऑक्सलेट की मात्रा पाई जाती है। इसका ज्यादा सेवन करने से शरीर में यूरीनरी ऑक्सलेट का स्तर बढ़ने लगता है। दरअसल, हल्दी में 2 से 3 फीसदी ऑक्सेलेट की मात्रा पाई जाती है। वहीं 91 फीसदी सॉलूयबल ऑक्सलेट पाया जाता है, जो शरीर में एबजॉर्ब हो जाता है। मगर शरीर में ऑक्सलेट की ज्यादा मात्रा कैल्शियम में बांइड होकर किडनी स्टोन को बनाने लगते है। इसके अलावा हल्दी में मौजूद मिनरल्स भी स्टोन का कारण बनने लगते हैं।
*2. इनडाइजेशन :*
बायोएक्टिव कंपाउड की अधिक मात्रा गैस्ट्रिक एसिड को प्रोड्यूस करती है। इससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं का खतरा बना रहता है। इसके चलते ब्लोटिंग, पेट दर्द, अपच और कब्ज का सामना करना पड़ता है। हल्दी की हाई डोज़ से पेट के अल्सर का खतरा भी बना रहता है। इसके अलावा हार्ट बर्न और एसिड रिफ्लक्स का भी सामना करना पड़ता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार रोज़ाना 1,000 मिलीग्राम से ज्यादा मात्रा में हल्दी का सेवन करने से इनडाइजेशन की समस्या बढ़ने लगती है।
*3. आयरन के एबजॉर्बशन ह्रास :*
नियमित रूप से हल्दी का सेवन करने से जहां इम्यून सिस्टम को मज़बूती मिलती है, तो वहीं आयरन एबजॉर्बशन में कमी आने लगती हैं। करक्यूमिन की अधिक मात्रा से आयरन गट में बाइंड होने लगता है, जिससे शरीर में एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल, पत्तेदार सब्जियों से शरीर को आयरन की प्राप्ति होती है, मगर इनमें हल्दी मिला देने से आयरन के अवशोषण में कमी आने लगती है।
*4. स्किन एलर्जी :*
वे लोग जो प्रचुर मात्रा में हल्दी का सेवन करते है, तो उससे एलर्जी कॉटेक्ट डर्माटाइटिस का खतरा बढ़ने लगता है। इसके चलते गर्मी, स्वैटिंग, जलन, इचिंग और त्वचा पर लालिमा बढ़ने लगती है। इससे स्किन पर मुहांसों की समस्या भी बढ़ जाती है।
*5. खून का पतलापन :*
इसमें मौजूद एंटीकोएगुलंट्स प्रापर्टीज़ के चलते खून में बनने वाले क्लॉटस को हटाकर रक्त को पलता करने में मदद करता है। इससे जहां हार्ट हेल्थ में मदद मिलती है। वहीं कोई घाव या दुर्गघटना की स्थिति में रक्त स्त्राव का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह से ही किसी दवा या जड़ी बूटी का सवेन करना चाहिए।