मनीष सिंह
महान राष्ट्रवादी इतिहासकार- पी. एन. ओक (पुरुषोत्तम नागेश ओक) वामपंथियों द्वारा कब्जाए गए इतिहास लेखन क्षेत्र के अकेले दक्षिणपंथी योद्धा पी.एन. ओक हैं. इनकी लिखी मनोरंजक पुस्तकें व्हाट्सप यूनिवर्सिटी का प्रमुख रेफरेंस पॉइंट हैं. 2 मार्च को उनकी 105 वीं जयंती थी. याद दिला रहा हूं, ताकि कृतघ्न हिन्दू, उन्हें थैंक्यू कहना भूल न जाये.
इंदौर में 2 मार्च 1917 को इंदौर रियासत में जन्मे ओक साहब के पास एमए, एलएलबी की डिग्री थी. एक इंटरव्यू में ओक साहब बताते हैं कि इसके बाद इन्होंने ब्रिटिश आर्मी जॉइन कर ली. जापानियों द्वारा पकड़े गए, जहां दूसरे प्रिजनर्स ऑफ वार के साथ आजाद हिंद फौज जॉइन कर ली.
वहां तोप, तलवार, बन्दूक नहीं. शॉर्टहैंड में, कलम चलाते और डिक्टेशन लेते थे क्योंकि ओक साहब के यू-ट्यूब पर उपलब्ध इंटरव्यू अनुसार, वे जेके भोंसले नामक अफसर के प्राइवेट सेक्रेटरी थे. जब जापान हार गया, आजाद हिंद फौज को सपोर्ट मिलना बंद हो गया, तो ओक साहब अपने दो साथियों के साथ सिंगापुर से छुपकर पैदल असम आ गए और ट्रेन में बैठकर इंदौर पहुंच गए.
यह वैसे तो बहादुरी का काम था, मगर कुछ असभ्य लोग इसे युद्धभूमि से खिसक लेना कहते हैं. 1947 के बाद, इसके बाद इन्होंने सूचना प्रसारण मंत्रालय में सर्विस जॉइन की, जहां वे वैदिक साहित्य पर मनोरंजक कार्यक्रम लिखते थे.
ठीक वैसे ही जैसे आजकल देवदत्त पटनायक एक लोकप्रिय शो, रेडियो मिर्ची पर करते हैं. जीवन मे उन्होंने गप्प साहित्य अलावे कुछ लिखा नहीं. किसी कॉलेज यूनिवर्सिटी में पढ़ाया नहीं. तो उनके नाम के आगे प्रोफेसर क्यों लगा, यह जानना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन भी है.
प्रोफेसर साहब ने वामपन्थी इतिहासकारों की तरह इतिहास के मोटे मोटे क्रॉनिकल्स नहीं लिखे हैं. पतली-पतली किताबें है, जिसमें वामपन्थी इतिहास में, कभी यहां और कहीं वहां प्रश्न उठाये हैं.
उन्होंने ताजमहल के भीतर शिवमंदिर की खोज की, जिसे देशद्रोही ASI ने 200 बार खारिज कर दिया है. लेकिन ओक साहब की लेखनी, रक्तबीज है. व्हाट्सप पर तेजोमहालय बार-बार उगता रहता है.
ओक साहब एक्टिविस्ट भी थे. भारतीय इतिहास के ब्लंडर्स को सुधारने के लिए एक सोसायटी बनाई, कई कोर्ट केस किये. सारे केस, मुल्ला वामपंथी ज्युडिशयरी ने खारिज कर दिया.
एक केस पर कोर्ट ने कहा – We cannot handle a bee in bonnet. Just get out please. जुमला अच्छा है, आप चाहें तो उनके भक्तों को आप यह न्यायिक जुमला भेंट कर सकते हैं.
ओक साहब इंटरनेशनल आदमी थे. केवल भारत नहीं, विश्व इतिहास पर भी नजर रखते हैं. जैसे वेटिकन वस्तुतः वाटिका (मुनियों की) है. काबा शिव मंदिर है. इस्लाम -ईशालयम है. अब्राहम ब्रम्हा का अपभ्रंश है और भी बहुत मजेदार वन-लाइनर थ्योरीज हैं.
मगर उनकी मृत्यु 2007 में हो जाने के कारण कई जरूरी थ्योरी पब्लिश न हो सकी. इनमें से प्रमुख है – मोदी शाह विष्णु के बारहवें और तेरहवें अवतार है.
अब आप दशावतार जानते हैं, तो पूछेंगे की ग्यारहवां अवतार कौन था ?? खुद इतिहाहाहा-हास्यकार पुरुषोत्तम नागेश ओक… और कौन ??