अग्नि आलोक

पंडित मुस्तफा आरिफ….जिसका शोर जमाना सुन रहा है

Share

कल मेरे लिए बेहद गौरव का दिन था जब अंग्रेज़ी टाईम्स आफ इंडिया ने मेरे साक्षात्कार की प्रस्तुति को वैश्विक कर मेरी रचनात्मक प्रवृत्ति की अनुमोदना की। नीचे लिंक पर क्लिक कर Times Of India मे रविवार 3 जुलाई को छपा साक्षात्कार हूबहू पढ़ सकते हो, समाचार पत्र के प्रमुख स्तंभ श्री मोहम्मद वजिउद्दीन को कोटिशः धन्यवाद। इससे ठीक एक दिन पूर्व वेद मर्मज्ञ ऋचा रचियता गुरूदेव श्रद्धेय डाक्टर मुरलीधर चांदनीवाला ने जो मेरे लिए हार्दिक स्नेह भावविव्हल चित्रण किया है जो अद्भुत अविस्मरणीय है। श्रद्धा के साथ नतमस्तक होकर मे उनकी प्रस्तुति को पुनः हुबहू पेश कर रहा हूं।-पंडित मुस्तफा आरिफ
🔥


जिसका शोर जमाना सुन रहा है
~~~~~~~

कुछ बरस हुए, शहर के एक बुक सेलर का फोन आया -भाई सा’ब ! एक लम्बा-पूरा शख्स आया था, और वह आपकी वैदिक कविताओं की पुस्तक तीन सौ रुपये देकर ले गया। अपना नाम बता गया है पंडित मुस्तफा। उसी दिन मेरे पास पंडित मुस्तफा का फोन भी आया। पंडित मुस्तफा ने बताया कि डाॅक्टर साहब! आप जो काम कर रहे हैं, वही मैं भी कर रहा हूँ। आप वेदों पर काम कर रहे हैं, और मैं कुरान शरीफ पर। हम दोनों का स्वर एक है, और आपसे मेरी धातु मेल खाती हुई लगती है।

पंडित मुस्तफा के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने की रुचि तो हुई, किन्तु मैंने कोई जल्दबाजी नहीं की। उनके काम को देखता रहा, भीतर ही भीतर उनका मुरीद भी होता रहा। मिलना-जुलना भी बहुत नहीं हुआ। उनका फोन आता, और वे “जय महाकाल” से अपनी बात शुरू करते,अपने काम का पूरा ब्यौरा भी देते। मन को बड़ा अच्छा लगता। मुझे अपने जीवन में दो ही मुस्लिम भाई मिले, जिनके नाम के आगे पंडित लगा हुआ देख कर मुझे संतोष हुआ। एक हैं पंडित गुलाम दस्तगीर,और दूसरे हैं ये पंडित मुस्तफा।

पंडित मुस्तफा अपना पूरा नाम लिखते हैं -पं. मुस्तफा आरिफ। उनकी पैदाइश रतलाम की है, और वे अपने जमाने के जाने-माने विधायक स्व.अकबर अली आरिफ के सुपुत्र हैं। उच्च शिक्षा विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में रह कर प्राप्त की। वे पुरातत्व विज्ञान के छात्र रहे हैं। उज्जैन वाले तो उन्हें उज्जैन का ही मानते हैं।महाकाल मंदिर की जन-संपर्क समिति के सदस्य रह चुके हैं, और आज भी महाकाल के दीवाने हैं। महाकाल में दिन-रात डूबा हुआ दूसरा तो कोई मुझे दिखाई नहीं देता।

पंडित मुस्तफा पेशे से पत्रकार हैं, और अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति के लिये खोजी पत्रकारिता करने वालों में पंडित मुस्तफा का नाम बहुत सम्मान से लिया जाता है। वे बहुत अच्छे लेखक हैं, बेहतर कवि हैं, और सच्चे सामाजिक रिश्ते निभाने वाले अत्यंत ही नर्मदिल और भावुक इंसान है। आजकल नई दिल्ली में ही रहते हैं, और अपने अनोखे अंदाज के कारण वे देश भर की बड़ी-बड़ी हस्तियों के चहेते बने हुए हैं। राजधानी में उन्होंने ‘कुरान साक्षरता कार्यक्रम फाउंडेशन (QLIP)की स्थापना की है, जिसके योगदान की चर्चा नीचे से ऊपर तक है।

पंडित मुस्तफा ने आखिर ऐसा कौन सा कमाल किया, जिसका शोर जमाना सुन रहा है। पंडित मुस्तफा ही वह शख्सियत है, जिसने इस्लाम के अत्यंत ही पवित्र धर्मग्रंथ ” कुरान शरीफ ” को हिन्दी के नये और अनूठे भजन-संग्रह में ढालने का काम हाथ में लिया। यह काम वे एक दशक पूर्व हुई एक अलौकिक घटना के बाद से लगातार कर रहे हैं। इबादत के दौरान अल्लाह ने उन्हें कुछ पंक्तियाँ दीं, और उसी तर्ज पर कोई दस हजार हम्द लिखने का लक्ष्य उन्होंने सामने रखा। यह लक्ष्य तो अब
पूरा भी हो गया है, और ये पवित्र स्तुतियाँ उन्हीं की मधुर आवाज में उपलब्ध भी हैं।

पंडित मुस्तफा के भीतर भक्तिरस की धारा बह रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि अमीर खुसरो बैठा हुआ है उनके रईसखाने में, और वह अपने छूटे हुए काम सामने बैठ कर करवा रहा है। ऐसे दो-चार और सूफी पंडित उतर आये धरती पर, तो फिजाँ ही बदल जाये।

“हम्द” कहते हैं स्तुति को। ये वे सूफी स्तुतियाँ होती हैं, जिनका इस्तेमाल प्राचीन सूफी संतों ने शायद किया हो। पंडित मुस्तफा कुरान का हिन्दी अनुवाद नहीं करते हैं, वे कुरान से प्रेरित हैं,और ईश्वरीय प्रेरणा से लिखते हैं। पंडित मुस्तफा का पक्का विश्वास है कि मानवीयता ही सच्ची भारतीयता है। वे यह भी मानते हैं कि “आटे में नमक ही सही, इंसानियत बाकी है अभी।” पंडित जी की यह जो मानसिक पृष्ठभूमि है, वही उन्हें उम्दा कवि बनाती है।

देखिए, बहुत थोड़ी सी बानगी, पंडित मुस्तफा के रचे हम्दों की 🍂

जीत कर सारे दिलों को ही,
मुझे हर दिल में बसाओ तुम।
तबलीग के जरिये से ही,
मेरी बातों को फैलाओ तुम।।

हमको है पक्का पता
ओ नबी आपकी इनायत से ।
माफ कर देगा गुनाह सब
अल्लाह आपकी खिदमत से।।

फसाद जमीन पर ना फैलाओ ,
यही हुक्मे इलाही है ।
आपस में जुड़ जाने में ही
अब सबकी भलाई है ।।

तेरी रहमत तेरी बरकत ,
तेरी ही जर्रानवाजी है।
तेरी हिकमत तेरी कुदरत ,
तेरे हाथ में बाजी है ।।

तुम्हारे जितने माबूद हुए ,
और हुए जितने भी अवतार।
काल के गाल में समा गये सब,
सभी मौत के हुए शिकार।।

पंडित मुस्तफा जिस अनुष्ठान में लगे हैं ,वह साधारण नहीं है । वे इन हम्दों में उसी एकेश्वरवाद की चर्चा कर रहे होते हैं , जिसकी चर्चा वेद में है , उपनिषदों में है । पंडित मुस्तफा साफ-साफ कहते है-अल्लाह कुरान के मुताबिक इस्लाम में आतंकवाद का कोई स्थान नहीं है। एक भी निर्दोष का कत्ल मानवता का कत्ल है।

हमारा समय भाग्यवान् है कि पंडित मुस्तफा के रूप में एक सूफी कवि-एक सूफी संत हमारे बीच में है। जमाने की हवा बदल डालने के लिये एक सूफी तो बहुत होता है। पंडित मुस्तफा यशस्वी हों, शतायु हों।

🍁मुरलीधर
Photo: Lagan Sharma My Dear Ratlam
डाॅ.मुरलीधर चाँदनीवाला

Exit mobile version