मुनेश त्यागी
आज जनवादी लेखक संघ मेरठ के जिला मंत्री द्वारा रचित “हमारे क्रांतिकारी नायक” पुस्तक का विमोचन सरधना के जैन मिलन हॉस्पिटल में किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए उद्भावना के संपादक अजय कुमार ने कहा कि आज शहीदों की कुर्बानियां बेकार जा रही हैं। यह शहीदों के सपनों का भारत नहीं है। आज मानवता पर सबसे बड़ा खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि आज मानवीय मूल्यों की लड़ाई सबसे बड़ी लड़ाई बन गई है। वर्तमान समय में क्रांतिकारी शहीदों के विचारों और मूल्यों को बचाने की सबसे बड़ी जरूरत है। वर्तमान शासन और शासक वर्ग द्वारा शहीदों के योगदान को जान पूछ कर भुलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अंबेडकर के मूल्यों को आगे बढ़ाकर ही इस संविधान की रक्षा की जा सकती है। उन्होंने अफसोस जाहिर किया कि आज हमारे बच्चों को सही शिक्षा नहीं दी जा रही है। उन्हें गलत इतिहास पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस देश को बचाने के लिए सही और सच्चे इतिहास को जानना, पढ़ना और पढ़ाना सबसे जरूरी हो गया है। महाकाव्य हमारी विरासत हैं, साहित्यिक विरासत है। ये सत्ता तक पहुंचाने का माध्यम नहीं हो सकते। इस सब के बावजूद भी हमें निराश होने की जरूरत नहीं है। आज के साहित्यकारों को, क्रांतिकारियों के विचारों को, जनता के बीच ले जाना होगा और इन पर लेख और कविताएं लिखनी होगी।
पूर्व राजदूत अशोक शर्मा ने कहा कि आज मुनाफाखोरी की वजह से पर्यावरण की समस्या बढ़ती जा रही है। मानवीय गतिविधियों की वजह से जीवन के सामने अनेकों समस्याएं खड़ी हो गई हैं। आज मानवीय कूकृत्य समाज को प्रदूषित कर रहे हैं। आज वैज्ञानिक दृष्टि को अपनाने की और प्रचार-प्रसार करने की आज सबसे ज्यादा जरूरत है। इसी से जीवन को सही अर्थ दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि महापुरुषों के और देश दुनिया के क्रांतिकारियों के विचारों को धरती पर उतारें और कल्याणकारी समाज बनाएं, संसाधनों का लाभ पूरे देश को मिले, अच्छा साहित्य अपने बच्चों को पढ़ायें।
उन्होंने जोर देकर कहा कि आज लोकतंत्र पर हमले हो रहे हैं। लोकतंत्र को बचाना आज सबसे बड़ी जिम्मेदारी जनता की हो गई है। उन्होंने कहा कि मतदाता जनता के मित्र लोगों को चुनकर सरकार में भेजें और जनता के हमदर्दों को चुनें, धन कुबेरों को नहीं। आज जनवादी, समाजवादियों, धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को आगे बढ़ाने की सबसे ज्यादा जरूरत है।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए “हमारे क्रांतिकारी नायक” किताब के रचियेता मुनेश त्यागी ने कहा कि देश और दुनिया के क्रांतिकारी नेताओं, विचारकों, दार्शनिकों और कवियों के विचारों को जाने बिना और उन्हें धरातल पर उतारे बिना, देश और दुनिया की रक्षा नहीं की जा सकती। यह हमारे क्रांतिकारी ही थे जिन्होंने दुनिया को शोषण और अन्याय के बारे में बताया और क्रांतिकारी परिवर्तन करके इनके खात्मे का मार्ग प्रशस्त किया।
यह लड़ाई मार्क्स ने शुरू की थी जो लेनिन, माओ, फिदेल कास्त्रो, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, बिस्मिल, अशफाक, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, प्रेमचंद, ज्योति बसु, ईएमएस नम्बूदरीपाद और लाखों करोड़ों क्रांतिकारियों द्वारा जारी रखी गई और समाज में और दुनिया में एक ऐसा समाज बनाया जिसमें सबको शिक्षा दी गई, सबको रोजगार दिया गया, मुफ्त इलाज दिया गया, जमीन का राष्ट्रीयकरण किया गया, जनता को मुफ्त बिजली दी गई, किसानों मजदूरों को लाभकारी मूल्य दिए गए और अपने देशों में पूरे समाज में समता और समानता कायम की।
इन विचारों को सबसे पहले रूस, चीन, क्यूबा, वियतनाम आदि देशों में किसानों मजदूरों की सरकार ने लागू किया। आज देश और दुनिया के इन्हीं क्रांतिकारी विचारों को लागू करने की जरूरत है, इन पर लिखने की, कविता करने की, लेख लिखने की जरूरत है और इनका प्रचार प्रसार करने की जरूरत है। इन विचारों को जनता में ले जाए बगैर, इस दुनिया में अमन चैन और भाईचारा काम नहीं हो सकता।
इस अवसर पर डॉक्टर किरण सिंह ने पुस्तक की विस्तार से चर्चा की और सभी क्रांतिकारियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किताबें जीवन को दिशा देती हैं। अच्छी किताबों के बिना हमारा देश और दुनिया आगे नहीं बढ़ सकती। हमारे इन क्रांतिकारी विचारकों, लेखकों और कार्यकर्ताओं ने देश और दुनिया में शोषण और जुल्म के खिलाफ न्याय, भाईचारा, समता, समानता और समाजवाद की मशाल जलाई थी जिसे आज भी जलाए रखने की जरूरत है।
इस अवसर पर रामगोपाल भारतीय, मंगल सिंह मंगल, धर्मपाल सिंह मित्रा, डोरी लाल भास्कर आदि कवियों ने अपनी क्रांतिकारी कविताएं पेश कीं। सभा का संचालन जितेंद्र पांचाल एडवोकेट ने किया। इस अवसर पर सैकड़ो लोग मौजूद थे जो क्रांतिकारी विचारों को सुनकर भाव विभोर हो गए और उन्होंने मांग की की ऐसी विचार गोष्ठियां और ऐसी किताबें जनता के बीच में आती रहनी चाहिए। इनको पढ़ लिखकर ही हमारा देश, हमारे किसान मजदूर और नौजवान असली मुक्ति को प्राप्त कर सकते हैं।