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बेटियों को बचाने के लिए जनता चोट करे सरकार पर

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मुनेश त्यागी 

      जंतर मंतर पर यौन शोषण के खिलाफ धरना दे रही पहलवानों की बाबत खबर आई है कि दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ, विभिन्न धाराओं में मुकदमे दर्ज कर लिए हैं। अब उन पर अदालतों में मुकदमें चलाए जाएंगे। भारत की सात राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहलवानों ने भारत के कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण पर यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। बृजभूषण शरण पर पोक्सो एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया है,  मगर  बहुत ही अचम्भित करने वाली बात है कि इस मामले में अभी तक आरोपी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है।

       इस मामले को देश और दुनिया के सामने लाने के लिए और अपने साथ न्याय कराने के लिए, भारत के इन पहलवानों ने नए संसद के उद्घाटन के समय संसद पर प्रदर्शन करने का कार्यक्रम बनाया था, मगर संसद पर पहुंचने से पहले ही, इन तमाम पहलवानों को और प्रदर्शनकारियों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और उन पर विभिन्न धाराओं में आरोप लगाकर एफ आई आर दर्ज कर ली। 

      जिन प्रदर्शनकारी पहलवानों के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा एफ आई आर दर्ज की गई है उनके नाम इस प्रकार हैं,,,, सुदेश, सुमन हुड्डा, संगीता फोगाट, विनेश फोगाट, गगनदीप, सचिन, लवदीप, सोमबीर, सत्यव्रत कादयान, साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया, मनदीप क्रांतिकारी और हरेंद्र पूनिया हैं।

     दिल्ली पुलिस ने जिस जालिमाना हरकत से इन पहलवानों के साथ लगभग गुंडई शैली में अपराधियों जैसी कार्यवाही की है, वह जनतंत्र की हत्या है और कानून के शासन का निषेध है। पुलिस की यह कार्रवाई दमनात्मक, क्रूर,हिंसक, दिखावटी, मनमानी और बदले की भावना से प्रेरित और एकदम साजिशन है। पुलिस इन शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे इन पहलवानों को गिरफ्तार कर विभिन्न थानों में ले गई। हाथों में तिरंगा झंडा लिए इन पहलवानों को सड़कों पर घसीटा गया, इनको बुरी तरह से अपमानित किया गया इनका हौसला तोड़ने की पूरी पूरी कोशिश की गई और इसी के साथ साथ एक साजिश के तहत इन पहलवानों के धरना स्थल को भी अस्तव्यस्त कर दिया गया। वहां के गद्दे, चारपाई आदि पूरा सामान पुलिस उठाकर ले गई।

        पहले से ही आशंका जाहिर की जा रही थी कि पुलिस इन पहलवानों के खिलाफ जरूर कोई ना कोई मनमानी कार्यवाही करेगी और वह दिन सामने आ ही गया कि जब पुलिस ने इन पहलवानों के खिलाफ मुकदमे दायर कर लिए इनके खिलाफ f.i.r. कर दी। अब इन्हें अदालतों में खींचने की तैयारी हो रही है।

        यहीं पर सवाल उठता है कि जहां संसद में राजदंड और धर्म दंड की स्थापना की जा रही थी, भारत की संसद को जनतंत्र का मंदिर बताने का भरपूर पाखंड किया जा रहा था, उसी समय दिल्ली पुलिस ने, जनतंत्र और संविधान के कानूनी प्रावधानों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन करके, शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही महिला पहलवानों को मनमाने और पक्षपाती व साजिशन तरीके से गिरफ्तार कर लिया गया और इस प्रकार कानून और संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों को पुलिस राज ने रौंद दिया। पुलिस की यह तमाम कार्यवाही संविधान में दिए गए कानूनी अधिकारों और कानून के शासन का खुलम खुला उल्लंघन है। इसे किसी भी दशा में सपोर्ट नहीं किया जा सकता।

       मोदी सरकार ने जाहिर कर दिया है कि वह सत्ता में बने रहने के लिए और वोट प्राप्ति के लिए संगीन आरोपों में फंसे आरोपियों के खिलाफ भी कोई कार्यवाही करने नहीं जा रही है। इसी प्रकार  के  संगीन आरोप हरियाणा के खेल मंत्री के खिलाफ भी लगाए गए हैं, वहां भी खिलाड़ी और दूसरे लोग उस मंत्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, मगर हरियाणा सरकार ने भी उन सब मांगों को भी कानों के ऊपर से उतार दिया है।

       जब बीजेपी को वोट लेनी होती है और सत्ता प्राप्त करनी होती है तो वह “बेटी बचाओ” का नारा लगाती है। मगर जब बेटियों के खिलाफ संगीन अपराध किए जाते हैं तो वह अपराधियों पर कानूनी कार्रवाई करने के बदले आंख मीच लेती है। इस सारे घटनाक्रम को देखकर लगता है की मोदी सरकार बृजभूषण शरण को पूरी सपोर्ट कर रही है। संगीन आरोपों के बाद भी उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। कितनी अफसोस की बात है कि जब भारत की बेटियां नए संसद के उद्घाटन के समय सड़कों पर न्याय के लिए प्रदर्शन कर रही थीं तो उसी समय आरोपी बृजभूषण शरण संसद में मौजूद था। आज हालात ये हैं कि आरोपी और अपराधी आजाद घूम रहा है और पीड़िता और शोषण की शिकार बच्चियों को अपराधी बना दिया गया है। लोकतंत्र, कानून और संसद का इससे बड़ा मखौल और क्या हो सकता है?

        अब जनता के पास और कोई चारा नहीं रह गया है। अब वह सड़कों पर उतरे, मोदी सरकार के खिलाफ पूरे देश में “बेटी बचाओ” का अभियान चलाएं। देश के तमाम किसान मजदूर नौजवान बुद्धिजीवी वकील जज, कवि लेखक पत्रकार पुलिसकर्मी और सैनिक सरकार के खिलाफ एकजुट हों, उसके खिलाफ वोट की चोट करें और उसे एक देशव्यापी अभियान के तहत, सत्ता से बाहर कर दें। इस आंदोलन को सशक्त बनाने के लिए जनता को जिला स्तर, तहसील स्तर, ब्लॉक और गांव स्तर पर मजबूत आंदोलन चलाने पड़ेंगे, जनता को इस बारे में बताना पड़ेगा, उसे जागरूक करना पड़ेगा और सरकार पर अपराधियों के खिलाफ समुचित कार्यवाही करने का जबरदस्त दबाव डालना पड़ेगा। 

       इस सारे घटनाक्रम से यह पूर्णतया स्पष्ट हो गया है कि केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस इस मामले में कोई निष्पक्ष और समुचित कानूनी कार्यवाही करने नहीं जा रही है। वे एकदम अपने आरोपी सांसद को बचाने में लगी हुई हैं। हम यहां पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय से गुजारिश करेंगे कि वह इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर, अपनी देखरेख में दिन प्रतिदिन समुचित कार्यवाही करे और भारत की बेटियों को त्वरित न्याय दिलाए और पूरी दुनिया भर में भारत की और यहां की न्यायपालिका की हो रही जग हंसाई से, रक्षा करे।

      यह सब कुछ किए बिना, मोदी सरकार और दिल्ली पुलिस, इन दुर्दांत अपराधियों के खिलाफ कोई कार्यवाही करने नहीं जा रही है और वह फासीवादी, तानाशाही और डराने धमकाने वाले हथकंडे अपनाकर न्याय की आवाज को ऐसे ही दबाती रहेगी और लोकतंत्र, संविधान और कानून के शासन को दफन करती रहेगी।

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