सुरेश कौशिक
रतन टाटा पारसी हैं. फिरोज गांधी भी पारसी हैं मगर ये क्यों – रतन तो हिन्दू हे रतन तो मुस्लिम नाम नहीं होता मगर फिरोज मुसलमान नाम है इसलिए पहले ये मुसलमान थे बाद में धोखे से पारसी हो गये इसमें शक की कोई बात नहीं कि इनका नाम फिरोज खान ही होना चाहिए। “पंडित आदरणीय दीन दयाल उपाध्याय (PADDU) इतिहास बदलो योजना” के तहत कुछ अन्य खुलासे भी लिखे गये हैं जैसे
· सिर्फ फिरोज खान ही नहीं चंगेज खान और सिकंदर भी मुसलमान थे. खान और सिकन्दर दोनों ही नाम मुस्लिम हैं। वामपंथी दुनिया को धोखा दे सकते हैं, हम राष्ट्रवादी भक्तों को नहीं. साथ में चंगेज खान की दाढ़ी और सर पर अरबों जैसी पगड़ी यह साबित करती है कि वह एक मुसलमान था
· इसके आलावा रावण भी मुसलमान था, गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमानाष्टक में लिखा है “रावण युद्ध अजान कियो, तब नाग की फांस सबै सिर डारो” अर्थात रावण ने युद्ध के समय अजान दी थी. इससे भी बढकर ये कि रावण शिव का भक्त था जो यह सिद्ध करता है कि मुसलमान शिव की उपासना करते थे. IT सेल के भैया दीदी लिखते हैं कि काबा असल में मक्केश्वर महादेव का मंदिर है. रामायण तक इसकी पुष्टि करती है कि मुस्लिम शिव की आराधना करते थे. इतिहासकारों ने रावण को ब्राह्मण दिखाकर ब्राह्मणों के प्रति अपनी नफरत का नमूना पेश किया है. दुख की बात है कि आज पूरी दुनिया रावण को ब्राह्मण मानती है. (मुसलमान बनने के बाद शिव ने रावण को लात मारकर उसका साथ छोड़ दिया था)
· नेहरू के बाप मोतीलाल नेहरू नहीं थे बल्कि उनका असली नाम मुईनुद्दीन खान था और नेहरू का दादा गयासुद्दीन गाजी था. नेहरू के दादा की बुआ की ननद औरंगजेब के हरम में हुआ करती थीं. (गायसुद्दीन गाजी जब अल तकैया करने के लिए गंगाधर नेहरू बना तो उसने अपनी दाढ़ी को इस तरह कंघी कर लिया जिससे वह मुसलमान न दिखे)
· अंग्रेजों ने भारत को आजादी इसलिए दी थी क्योंकि वीर सावरकर ने पेंशन ले लेकर अंग्रेजों का खजाना खाली कर दिया था. अगर अंग्रेज समय पर भारत छोड़कर नहीं भागते तो उनके पास वापस जाने के पैसे भी नहीं बचते.
· राणा प्रताप ने अकबर को कई बार हराया था, सदाशिव राव ने अब्दाली को हिमालय के पार खदेड़ दिया था, चंद्रगुप्त ने सिकंदर को ऐसा चोक स्लैम मारा कि वह जिंदगी भर उठ नहीं सका, तेनाली रामन ने बीरबल को शास्त्रार्थ में पराजित किया था.
· प्रसिद्ध स्नैक गोल गप्पा महाभारत काल की खोज है. वनवास के दौरान एक बार पांचो पांडव भाइयों को बहुत भूख लगी थी और उस दिन भिक्षा में बस एक पाव आटा, मुठ्ठी भर चना और एक आलू मिला था, और उस दिन अक्षयपात्र भी ‘सिक लीव’ पर था. इतने कम अनाज में ऐसा क्या बने जो पाँच हट्टे कट्टे योद्धाओं की भूख मिटा सके? तब द्रौपदी ने उस पाव भर आटे से 150 गोल गप्पे बनाए जिसमें से 125 भीम ने खाए और 5–5 द्रौपदी और चारों भाइयों ने खाए. उसी आटा और चना की याद में मोदीजी ने पांच किलो आटे और एक किलो चना देने की स्कीम शुरू की थी.
· युनेस्को ने जन गण मन को सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रगान, मोदीजी को सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री, गाय को सर्वश्रेष्ठ पशु, गोबर को सर्वश्रेष्ठ द्रव्य, भारतीय संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ संस्कृति और गुजरात को सबसे संपन्न राज्य घोषित किया है लेकिन दलाल मीडिया ने इनमें से कोई खबर सार्वजनिक नहीं होने दी.
· गाय और पीपल 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं, गोमूत्र में सोना होता है, , कुत्ता पालने वाले के घर देवता नहीं जाते, झाड़ू खड़ी रखने से लक्ष्मी रूठ जाती है, संस्कृत कंप्यूटर को समझ में आती है, मोर सम्भोग नहीं करता बल्कि आंसुओं से गर्भधारण करता है (अब समझ आया कि मोदीजी को मोर इतना पसंद क्यों है?)
· ऐसे तमाम वैज्ञानिक तथ्य जो एक साजिश के तहत छुपा दिए गए थे, एक राष्ट्रवादी सरकार जिसमें बलात्कारी भी संस्कारी पाये जाते हैं, के सत्ता में आने के बाद सामने आने न केवल शुरू हो गए हैं बल्कि तमाम दिहाड़ी भैया दीदी के द्वारा व्हाट्सप्प के माध्यम से सुलभ भी करवाए जा रहे हैं, जिसके बदले भैया – दीदी लोगों को भुगतान भी मिलता है.
· अब जो भैया दीदी को प्रति ट्वीट और फॉरवर्ड के हिसाब से पैसा मिलता है, उसको रोजगार कहा जाएगा या नहीं कहा जाएगा?