*कुछ अपनी कुछ दोस्तों की कलम से..*
विजय दलाल,
हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए जो लोग काम कर रहे हैं वे लोग देश द्रोही, प्रजातंत्र द्रोही और मानवता द्रोही हैं।
इनके साथ कानून के तहत उसी प्रकार के व्यवहार की आवश्यकता है, जिस प्रकार का व्यवहार खालिस्तान, कश्मीर या अन्य राष्ट्र की मांग करने वालों के साथ किया जाता है।
दरअसल ये लोग देश से प्रजातंत्र समाप्त कर के चार वर्ण अर्थात ब्राह्मण, राजपूत, बनिया और शूद्र वाली व्यवस्था वाला देश बनाना चाहते हैं। जिसमें एक वर्ण शूद्र अनपढ़ और कंगाली की चरम सीमा पर रहकर मेहनत करता रहे और बाकि के तीन वर्ण के लोग शूद्रों की कमाई पर मजे मारते रहें।(असल में आज की आधुनिक गणतंत्रों की दुनिया में शुद्र यानी गरीब मेहनतकश वर्ग)
2014 के बाद जुमलेबाजी और झांसेबाजी में माहिर सरकार ऐसे हिंदू राष्ट्र बनाने के अंतिम लक्ष्य को पाने के आर एस एस /बीजेपी ब्रांड तथाकथित कट्टरपंथी हिन्दू द्वारा ” हिंदू धर्म खतरे में है” का नशा कैसा चढ़ा दिया है ये घटनाएं बताती है।
(एम एल कनोजिया जी की पोस्ट से)
*कुछ दिनों पहले एक पुलिस द्वारा रेल के डिब्बे में बहस से उत्तेजित हो कर अपने सहकर्मी सहित मुस्लिम यात्रियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। ये तो वो घटनाएं हैं जो मीडिया में उजागर हो जाती है।
*प्रणय त्रिपाठी की कलम से*
“माफ कीजिए, भारत की बात नहीं कर!” *प्रभात किरण* में छपे लेख से…
*दोस्ती में उम्र नहीं देखते, चौदह साल का बच्चा मेरा मित्र है। मुझे नाम से बुलाता है। इंदौर के मिशनरी स्कूल में पढ़ता है। कहता है क्लास में बच्चे ब्लेक – बोर्ड पर ‘हिंदू ‘ लिखने लगे हैं। यह अजीबो-गरीब है। मैंने पूछा – आखिर माजरा क्या है? उसने बताया – क्लास के सभी बच्चे ( चौदह साल के लड़के और लड़कियां) कहते हैं हिंदू धर्म खतरे में है।…
*किसी दोस्त ने मुजफ्फरनगर का वीडियो मोबाइल पर भेज दिया ‘ मुस्लिम बच्चे के गाल लाल हो रहे हैं….पीठ पर मारो’ सुना और देखा।…*
*बड़े दिनों बाद तमिलनाडु से दोस्त का फोन आया।..6 बच्चों ने 17 साल के दलित बच्चे पर दराता चला दिया। वजह इतनी – सी थी कि बच्चे ने स्कूल में शिकायत की थी।*
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*हम किस रास्ते पर जा रहे हैं,अब कौन शिक्षक ये बताएगा ईस्ट इंडिया कंपनी यानी बाजार के रास्ते से आई साम्राज्यवादी ताकत ने हिंदू – मुसलमान के इस भारतीय समाज के इस कैंसर रोग के कारण इस देश का विभाजन किया। अब फिर वो बाज़ार पर कब्जा करने वाली ही साम्राज्यवादी ताकतों ने ही पहले सोवियत रूस को तोड़ा और दुनिया को तोहफे में रूस – यूक्रेन युद्ध दिया। चीन का हित भी भारत को कमजोर रखने में है। जो साम्राज्यवादी शक्तियां पाकिस्तान को मदद कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमेशा कश्मीर विवाद और युद्धों के माध्यम से अपने हथियार खरीदने को मजबूर करते आई वही हथियार छीन इस्तेमाल कर भारत को अपने लिए सामानों का बाजार और पश्चिम की ताकतों के लिए हथियारों का बाजार तैयार करने का काम कर रहा है। ठीक कश्मीर की तरह उसने अरूणाचल और सीमावर्ती क्षेत्रों का उपयोग कर रहा है। आज उनके सामने अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में एक शक्तिशाली भारत सबसे बड़ा रोड़ा है दुनिया का सबसे बड़ा बाज़ार और ग्राहक। अब विभाजन कर कमजोर करने के लिए उनके निशाने पर है।*
*देश इतिहास के सबसे दूर्भाग्यपूर्ण दौर से गुजर रहा है कि साम्राज्यवादी ताकतों के इस काम में देश की कट्टरपंथी* *साम्प्रदायिक तथाकथित हिन्दू ताकतें नफरत का राजनीतिक व्यापार कर मदद कर रही है।*
*देश को उस खतरनाक रास्ते पर ढकेलने में अभी तो कामयाब है।*
विजय दलाल, संयोजक, मेहनतकश