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व्यक्तित्व – एबी तारापोर

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1965 के युद्ध में पाकिस्तान को भारत के हाथों मुंह की खानी पड़ी थी। इस जीत के कई हीरो थे।
उनमें से एक थे भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल एबी तारापोर, जिन्होंने अपनी बहादुरी से
पाकिस्तानी सेना के हर इरादे पर पानी फेर दिया था। एबी तारापोर ने 1965 में भारत-पाकिस्तान
युद्ध में न केवल लगातार 6 दिन तक अद्वितीय साहस, वीरता और बेमिसाल शौर्य का प्रदर्शन किया
बल्कि देश के लिए सर्वोच्च बलिदान भी दिया। इस अद्भुत शौर्य प्रदर्शन के लिए इन्हें वर्ष 1965 में
मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनकी गौरव गाथाएं भावी पीढ़ियों को सदैव
करती रहेंगी प्रेरित……

परमवीर चक्र से सम्मानित लेफ्टिनेंट कर्नल एबी तारापोर का वैसे तो पूरा नाम अर्देशिर बुर्जोरजी
तारापोर था लेकिन लोग प्यार से उन्हें ‘आदि’ कह कर पुकारते थे। तारापोर का जन्म 18 अगस्त,
1923 को मुबंई में बुर्जोरजी तारापोर और नर्गिश के घर हुआ था। उनके पूर्वज रतनजीबा ने छत्रपति
शिवाजी के अधीन सेनापति के तौर पर काम किया था।
तारापोर ने 1942 में 7 हैदराबाद इंफैंट्री से सैन्य जीवन की शुरुआत की। आजादी के बाद जब
हैदराबाद का भारत संघ में विलय हुआ तो उन्हें भारतीय सेना की पूना हॉर्स रेजिमेंट में तैनात किया
गया। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में सात से 11 सितंबर तक सियालकोट (पाकिस्तान) के
फिल्लौरा में युद्ध हुआ था। इस क्षेत्र पर अधिकार करने की जिम्मेदारी पूना हार्स रेजीमेंट के कमांडिंग
ऑफिसर लेफ्टीनेंट कर्नल एबी तारापोर को सौंपी गई। 7 सितंबर को फिल्लौरा में रेजीमेंट का सामना

पाकिस्तान की पैटन टैंक से हुआ। अमेरिका की ओर से सबसे मजबूत और खतरनाक बताए जा रहे
पैटन टैंक से सीधी लड़ाई में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को धूल चटा दी।
लेफ्टिनेंट कर्नल एबी तारापोर के नेतृत्व में गोलंदार यानी निशाना लगाने वालों ने इतने सटीक लक्ष्य
भेदे कि पाकिस्तानी सेना के 60 टैंक नष्ट कर दिए, जबकि भारत के सिर्फ 9 टैंक नष्ट हुए। घायल
होने के बावजूद वह मैदान से पीछे नहीं हटे और लड़ाई का नेतृत्व करते रहे। इस दौरान लेफ्टिनेंट
कर्नल तारापोर का टैंक क्षतिग्रस्त हो गया और आग की लपटों से घिर गया। बहादुरी के दम पर
युद्ध के नतीजों को अपने पक्ष में करने के बाद 16 सितंबर 1965 को आग की लपटों में घिरकर
लेफ्टिनेंट कर्नल एबी तारापोर एक नायक की तरह शहीद हो गए। युद्ध में बहादुरी दिखाने के लिए
उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। तारापोर की अंतिम इच्छा थी अगर मैं
लड़ाई में मारा जाता हूं तो मेरा अंतिम संस्कार यहीं युद्ध भूमि में किया जाए इसलिए 17 सितंबर,
1965 को जसोरन में उनका अंतिम संस्कार किया गया। लड़ाई के दौरान उनकी कमांड का लोहा
उनका सामना कर रहे पाकिस्तानी सेना ने भी माना था।
देश के वास्तविक जीवन के नायकों को उचित सम्मान देना हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वोच्च
प्राथमिकता रही है। इसी भावना के साथ आगे बढ़ते हुए 23 जनवरी 2023 को अंडमान और निकोबार
द्वीप समूह के 21 बड़े अज्ञात द्वीपों का नामकरण 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने का
निर्णय लिया गया। इसमें एक द्वीप एबी तारापोर के नाम पर भी रखा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने 18 जुलाई 2023 को कहा, “हमने ही 21 द्वीपों का नामकरण देश के लिए पराक्रम दिखाने वाले
वीर पराक्रमी सपूतों, परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर किया है। आज अंडमान-निकोबार के ये द्वीप
पूरे देश के युवाओं को देश के विकास की नई प्रेरणा दे रहे हैं।”

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