वीरांगना फूलन देवी कुल जमा 38 वर्ष की उम्र में दुनिया भर में चर्चित हो गई कम उम्र में शादी, बीहड़ में केवल चार वर्ष, जेल में ग्यारह वर्ष, राजनीतिक व सामाजिक जीवन केवल पांच वर्ष रहा लेकिन इतने कम समय में सामाजिक न्याय के उस दौर सभी नायकों के साथ बहुत ही गहरे और आत्मीय रिश्ते बन गए थे।(
डॉ. कमल उसरी
आज से लगभग 28 वर्ष पहले हम अपने ( मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र) गांव वाले घर के सामने खड़े थे कि अचानक एक मोटरकार आ कर सड़क पर खड़ी हुई। उसमें से हमारे यहां की सांसद वीरांगना फूलन देवी एक वर्दी व एक बिना वर्दी वाले सिक्येरिटी गार्ड के साथ कार से बाहर निकली। मैं उनका अभिवादन कर पाता कि वो अपनी निश्छल हंसी के साथ अभिवादन में हाथ हिलाते हुए एकदम पास आ गई और बोलीं सब ठीक है न। मैंने हां में गर्दन हिलाई और वो बोली बिंद बस्ती में जा रही हूं वहां एक कार्यक्रम है। और उसी तरह मुस्कुराते हुए गाड़ी में बैठी और चली गईं।
इतनी ममतामयी तरीके से जो उन्होंने पूछा था उससे मेरी आंखें भर आईं थी। क्योंकि इसी वर्ष पिताजी हमेशा के लिए हम सब को छोड़कर इस दुनिया से चले गए थे। हम लोग फूलन देवी के जीवन पर बनी फ़िल्म बैडिड क्वीन अब तक नहीं देख पाए थे। उनके बारे में लोकगायक रामदेव यादव व काशी बिल्लू यादव के गाए फूलन देवी पर बिरहा खूब सुने थे। जिसका एक मशहूर टेर था। “फूलन गोलीया चलावयई मरद बनी के”- फूलन देवी के बारे में हमारे पड़ोसी गांव गहरपुर के रहने वाले पुलिस इंस्पेक्टर ध्रुव लाल यादव जब कभी गांव आते थे, तो फूलन देवी के क़िस्से भेंट मुलाकात होने पर जरूर सुनाते थे, क्योंकि वो फूलन देवी के गांव के इलाके के थाने कालपी में कई वर्ष तक तैनात रहे थे। (जो अब देश के लिए शहीद होकर मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित हो चुके हैं।)
फूलन देवी जी से उनके लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कई बार उनको देखने- सुनने का मौका मिला। वो इतनी सरल और सहज होंगी इसका अंदाजा हम लोगों को कभी भी नही था। आज उनके शहादत दिवस पर जब मैं उन्हें याद कर रहा हूं तब देख रहा हूं पूरे देश में वंचित समाज की बहन बेटियों का मान सम्मान खुलेआम नीलम किया जा रहा है। हाथरस, ऊना, उन्नाव, प्रयागराज, देवरिया, लखीमपुर खीरी, बांदा हर जगह बेटियां नोची घासोटी जा रही है। नई दिल्ली की सड़कों पर ओलंपिक पदक विजेता बेटियां अपमानित की जा रही है, कुकर्मी जेल से बाहर हैं या पैरोल पर घूम रहे हैं। ऐसे हालात में वीरांगना फूलन देवी की ख़ूब याद आ रही है।
वीरांगना फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को पिता देवीदीन, माता मुला देवी के यहां गांव- घूरा क पुरवा (गोरहा), जालौन, उत्तर प्रदेश में एक वंचित परिवार में हुआ, छः भाई बहनों में दूसरे नम्बर पर थी फूलन देवी। 11वर्ष की उम्र में अधेड़ उम्र के व्यक्ति पुत्तीलाल से विवाह हुआ।
पति द्वारा शारिरिक शोषण के बाद बीमारी की हालात में भागकर वापस माता पिता के पास, चाचा द्वारा पिता की जमीन पर विवाद का विरोध करने पर चचेरे भाई द्वारा 17 वर्ष की उम्र में पुलिस थाने में बंद करवा दिया गया, जहां पुलिस द्वारा शारिरिक शोषण किया गया। थाने से घर आने पर फूलन देवी पुनः चचेरे भाई और चाचा द्वारा किए जा रहें अन्याय का विरोध करती रही, तब चाचा ने बाबू गुज्जर डकैत से मिलकर 16 वर्ष की उम्र में फूलन देवी का अपहरण करवाकर 1979 में बीहड़ पहुंचवा देता है।
बीहड़ में बाबू गुज्जर फूलन देवी का लगातार शारीरिक शोषण करता है। जिसे देखकर उसी गैंग में शामिल विक्रम मल्लाह बाबू गुज्जर को जान से मार देता है। और गैंग का सरदार बन जाता है। गैंग के मुख्य सरदार बाबू गुज्जर की मौत से गुस्साए श्रीराम ठाकुर और लाला राम ठाकुर धोखे से विक्रम मल्लाह को मार देते है और फूलन देवी को बंधक बनाकर 1980 में बेहमई गांव लाते है।
फूलन देवी को एक कमरे में भूखे प्यासे बंद कर देते है। यहां फूलन देवी के साथ सामूहिक दुष्कर्म होता है। गांव में मौजूद लगभग सभी पुरुष बारी-बारी से फूलन देवी के जिस्म को जानवरों की तरह नोचते है। उसके साथ हो रहे दुष्कर्म और दी जा रही यातनाओं की जानकारी उनके रिश्तेदार माधव को मिलती है। तो वे छुपते- छुपाते मौके पर पहुंचकर और फूलन देवी को वहां से बचाकर बीहड़ ले जाते हैं।
बीहड़ में पहुचने पर फूलन देवी बाबा मुस्तकीम के सहयोग से अपने साथी मान सिंह और अन्य अपने पुराने साथियों को इकट्ठा करके अपना गिरोह मनाती है और उस गिरोह का खुद सरदार बनती हैं। महज़ 18 वर्ष की उम्र में 14 फ़रवरी 1981 को बेहमई गांव के 22 लोगों एक साथ खड़ा करके गोली मरवा देती हैं। बेहमई कांड से नई दिल्ली में संसद, और मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश की विधानसभाओं में तूफ़ान मच जाता है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता मुलायम सिंह यादव तात्कालिक मुख्यमंत्री वीपी सिंह से इस्तीफा मांगते है, ( वही वीपी सिंह जो बाद में देश के प्रधानमंत्री बनते हैं ) और मुख्यमंत्री वीपी सिंह सौ दिन में दस्यु उन्मूलन करने की घोषणा करते है। लेकिन दस्यु उन्मूलन न कर पाने कारण वीपी सिंह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देते हैं।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अपील और भिंड के एसपी राजेन्द्र चतुर्वेदी और प्रसिद्ध लेखक कल्याण मुखर्जी के अथक प्रयास से अपनी चार शर्तों पर
1. मध्य प्रदेश प्रदेश पुलिस के सामने आत्मसमर्पण।
2. अपने किसी भी साथी को ‘सज़ा ए मौत’ न देने का आग्रह।
3. आत्मसमर्पण कर रहे सभी को जमीन के पट्टे दिए जाय।
4. आठ वर्ष से अधिक जेल में न रखा जाय।
उपरोक्त शर्तानुसार 13 फ़रवरी 1983 को भिंड में तीन सौ पुलिस और दस हजार जनता और अपने पूरे परिवार की उपस्थिति में रायफल उठाकर जनता का अभिवादन करते हुए गांधी और देवी दुर्गा की तस्वीर के समक्ष सर झुकाकर बंदूक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के पैर के पास ऱखकर आत्मसमर्पण कर देती हैं। फूलन देवी पर 22 हत्या, 30 लूटपाट, 18 अपहरण के मुकदमे दर्ज थे, लेकिन ग्वालियर केंद्रीय जेल में 11 वर्ष बिना किसी मुकदमे का सामना किए जेल में बंद रहीं।
इसी बीच उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने मंत्री विशम्भर नाथ निषाद जो फूलन देवी की रिहाई की कोशिश में लगे हुए थे, के आग्रह को स्वीकार करते हुए 1993 में फूलन देवी पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की घोषणा कर दी। औऱ 1994 में फूलन देवी को जेल से छूटने के बाद उनकी सार्वजनिक रूप से कार्यक्रमों में भागीदारी की शुरुआत होती है।
15 फ़रवरी 1995 उम्मेद सिंह से विवाह किया और इसी वर्ष हिंदू धर्म त्याग कर नागपुर के प्रसिद्ध दीक्षाभूमि में बौद्ध धर्म में परिवर्तित हो गई। समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर मिर्जापुर-भदोही से ग्यारहवीं लोक सभा 1996 में जीती। बारहवीं लोकसभा का चुनाव 1998 में हार गई। और पुनः तेरहवीं लोकसभा वही से उसी चुनाव चिह्न पर 1999 जीत गई।
जब अटल बिहारी बाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे, तब संसद से थोड़ी ही दूर 25 जुलाई 2001 को रुड़की निवासी पंकज सिंह ऊर्फ़ शेर सिंह राणा फूलन देवी से मिलने आया और कहा कि हम ‘एकलव्य सेना’ संगठन से जुड़ना चाहते है। खीर खाई, और फिर नई दिल्ली घर के गेट पर फूलन देवी को गोली मार दी। फ़िर अपने बयान में बोला कि मैंने बेहमई हत्याकांड का बदला लिया है। गिरफ्तारी के बाद नाटकीय ढंग से तिहाड़ जेल फरार हुआ, पुनः कोलकाता में गिरफ्तार के बाद 14 अगस्त 2014 को दिल्ली की अदालत ने पंकज सिंह उर्फ़ शेर सिंह राणा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
वीरांगना फूलन देवी कुल जमा 38 वर्ष की उम्र में दुनिया भर में चर्चित हो गई कम उम्र में शादी, बीहड़ में केवल चार वर्ष, जेल में ग्यारह वर्ष, राजनीतिक व सामाजिक जीवन केवल पांच वर्ष रहा लेकिन इतने कम समय में सामाजिक न्याय के उस दौर सभी नायकों के साथ बहुत ही गहरे और आत्मीय रिश्ते बन गए थे।(