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कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन?

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शशिकांत गुप्ते

सन 1967 में हरियाणा के पलवल जिले के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र के गया लाल नामक व्यक्ति ने एक ही दिन में तीन बार दल बदल किया था।
फाइनली जब वे शाम तक वापस कांग्रेस में आये तब तात्कालीन कांग्रेस के नेता राव वीरेंद्र सिंह ने बाकायदा पत्रकार परिषद में घोषणा की गया राम अब आया राम है। यह इतिहास है।वर्तमान में Fake न्यूज के प्रचलन के दौरान उक्त वास्तविक किस्से का जिक्र करना इसलिए लाज़मी है, कारण इनदिनों सियासत में एक मानसिक जुनून रूपी भूत सवार हो गया है। इतिहास बदलो?
भूूत,वर्तमान और भविष्य,के क्रम को हम बदल रहें हैं। वर्तमान से हमें कोई लेना देना नहीं,इतिहास बदलने का भूत हम पर सवार है,भविष्य के लिए हमारे पास असंख्य घोषणाएं हैं। घोषणाओं में वादे हैं,विज्ञापनों में दावे हैं। वर्तमान में यही सब दांव पेंच बेशकीमती विज्ञापनों में ही देखना,पढ़ना और सुनना है।
विभिन्न कला,खेल,साहित्य,
अभिनय आदि क्षेत्रों में निपुण व्यक्तियों में इतिहास रचने का जुनून होता है।
वर्तमान में गौरांवित हो रहें हैं ,हम इतिहास सिर्फ बदल ही नहीं रहें हैं, बहुत से ऐतिहासिक तथ्यों को इतिहास के हटाने का भूत हम पर सवार है।
वर्तमान में हमें महंगाई महसूस नहीं हो रही है,कारण हम अपनी श्रद्धा को प्रकट करने के लिए आए दिन धार्मिक आयोजनों में तल्लीन है। लाखों लोग भोजन प्रसादी का रसास्वादन कर रहें हैं।
दानवीरों पर भगवान का आशीर्वाद है।
तेरी जेब रहे ना खाली तेरी रोज मने दिवाली
तू हरदम मौज उड़ाए कभी ना दुःख पाए

(सन 1955 प्रदर्शित फिल्म वचन के गीत की पंक्तियां है। फिल्म नाम है वचन यह ध्यान में रखने वाली बात है)
इतिहास बदलों बेशक बदलों लेकिन तनिक वर्तमान पर भी ध्यान देना चाहिए।
आज बच्चे के जन्म के साथ ही बच्चे के पालनहारों का एक महत्वपूर्ण प्रश्न होता है।
बच्चे के विदेश में जाकर पढ़ने के योग है या नहीं इस प्रश्न से लेखक का संबंध तकरीबन रोज ही आता है, कारण लेखक पिछले चार दशकों से ज्योतिषी के व्यवसाय से जुड़ा है।
इस प्रश्न के पीछे छिपे हुए गंभीर रहस्य को समझना जरूरी है।
पिछले लगभग चार दशकों से देश के नौनिहालों के पालकों की मानसिकता में एक बात मजबूती से रच बस गई कि,अपने देश की शिक्षा प्रणाली दोष पूर्ण है?
जबकी इतिहास में भारत भूमि आचार्यों की भूमि है,संस्कार और संस्कृति की भूमि है। ऐसा शाश्वत सत्य इतिहास में विद्यमान है।
उपर्युक्त मुद्दों पर गंभीरता से विचार विमर्श के बाद युग निर्माण योजना के इन दो स्लोगन का स्मरण स्वाभाविक ही होता है।
हम बदलेंगे युग बदलेगा
यह निम्न स्लोगन तो बहुत ही सटीक है।
कथनी करनी भिन्न जहां
धर्म नहीं पाखंड वहां

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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