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*विचार जरूर करना….सौ चूहे नही नो सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली*

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@सत्येन्द्र हर्षवाल

,हमारे बड़े बुजुर्ग कह गए है,हाल ही  मेंशाहरुख खान की फ़िल्म *जवान* रिलीज हुई,अच्छा पैसा कमाया फ़िल्म ने रेड चिली (शाहरुख की होम प्रोडक्शन जिसकी निर्माता/निर्मात्री) गोरी खान है,अब सवाल यही से पहले जितना ज्ञान फ़िल्म में दिया गया कि कृषि (एग्रीकल्चर मिनिस्टर ने घपला किया) फिर स्वास्थय  मंत्री ने घपला किया,जिसके चलते देश के कई किसानों ने आत्म हत्या की,ओर जितना बजट शासन ने प्रदान किया हेल्थ मिनिस्टर ओर बिचौलियों की मदद से ये सब लोग डकार गए,फिर बात आई रक्षा मंत्री की, गन घोटाला

(बोफर्स कहले या कोई अन्य)

नायक ने सबको सजा दी दर्शकों ने खूब तालियां बजाई, खूब सीटियां बजाई,लेकिन एक रिक्त स्थान बाकी था वो था ईमानदारी का,बस सवाल इस लेख का यही आ कर टिका है ,की क्या शाहरुख खान जिसने टेक्स बचाने के लिए अपनी पत्नी को इस फ़िल्म का प्रोयड्यूसर बनाया, क्या वो ईमानदारी है,आप कहेंगे कि भाई इसमे गलत क्या है क्या गोरी खान के पास शुरू से इतना पैसा था कि वो फ़िल्म को प्रोड्यूस कर  ले? जवाब नही,,एक CA ने फाइल बनाई होगी और वो सारे धत कर्म किये होंगे जो उस फ़िल्म के विलेन ने किये होंगे,क्या शाहरुख खान जितनी फीस लेता है उतना टेक्स पे करता है ,,,(वास्तविक) जवाब नही होगा,,,,जो अपनी सेक्रेटरी पूजा ददलानी को 2 करोड़ महीने की फीस देता हो  वह बहुत आसानी से गवर्मेंट का टेक्स दे देगा(हालांकि टेक्स पे में वह सभी सितारों में नम्बर वन है) अब ऐसे तो हमारे इंदौर के बिजनेसमैन अग्रवाल ग्रुप के  पूरे मध्यप्रदेश में नम्बर 1 टेक्स पेयर है, बात पुनः फ़िल्म की ,फ़िल्म अच्छी थी,सब्जेक्ट अच्छा था,राजनेताओं पर लांछन अच्छा था पर क्या शाहरुख जितना कमा रहा है उतना tax पे कर रहा है?,,जवाब नही जिस व्यक्ति के UAE में होटल्स हो द्वीप हो,लोनावाला में पूरी की पूरी हिल(पहाड़ी) हो बम्बई में एक वर्चयुवल एडिटिंग(VFX) के लिए स्ट्यूडीओ हो धर्म पत्नी गोरी खान की एक डेकोर

(होम एसेसिरिज) की बडी सी कम्पनी हो  वो सही मायने में (वास्तविक) टेक्स दे पाएंगेजवाव नहीयह विचारणीय है ।

इस सब देश मे नेता,अभिनेता जो कहते है वो अविचारणीय है, उनका धंदा बन गया है यह,कितना खूबसूरत  झूठबोल सकते है वह बोल दो,इस देश की जनता तो अपनी रोजी रोटी में इतनी व्यस्त है की वह मकान की क़िस्त,अपनी बिटिया की स्कूल फीस,मेडिक्लेम,गाड़ी का इंश्योरेंस,ओर यहां तक अपनी माँ की मासिक दवाई लाना भूल जाता हो उसे इन के वादे ओर डायलॉग कहाँयाद रहेंगे, लेकिन जैसा फ़िल्म में दिखाया वैसा बदलाव आना चाहिए,ओर शाहरुख ये शुरुआत तुम ही करो, मेरे इस लेख से यह मत समझ लेना कि में कोई किसी व्यक्ति विशेष या धर्म विशेष को लेकर टिपण्णी कर रहा हूँ,फिल्मों में कही बात बस  तीन घण्टे की, ओर राजनीति में कही बात बस आचार संहिताके खत्म होने तक याद रहती है नेता को भी, ओर इस भोली जनता को भी इस लिए रेड चिली(गोरी खान/शाहरुख खान) पहली शुरुआत भी तुम करो TAX पे कर के 

(वास्तविक जो फीस लेते हो )

 (जो वाजिब होता है CA द्वारा बनाए आधार पे नही) ओर कुछ सीखना है तो साउथ (दक्षिण) चले जाओ जहां रजनीकांत,मम्मू टी,नागार्जुन,चिरंजीव  के मंदिर बना कर लोग यू ही पूजा नही करते है । कहा सुना माफ भले मत करना विचार जरूर करना।हर्षवाल

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