अग्नि आलोक

 दलित बच्चों के लिए 38 स्कूलों को चलाने वाले पुलिसिया मास्टर जी

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विकास कुमार का कहना है कि शिक्षा हर किसी का प्राथमिक अधिकार है। हम बुनियादी शिक्षा के अधिकार में विश्वास करते हैं और उनकी पहल कक्षा नर्सरी से 10 दसवीं तक के छात्रों को स्कूल के बाद सहायता प्रदान करती है। होमवर्क में मदद करती है। कठिन कांसेप्ट को समझने में मदद करते हैं। विकास कुमार 2012 से बच्चों को पढ़ा रहे हैं। बाद में, वर्ष 2016 में वह एक कांस्टेबल के रूप में यूपी पुलिस में शामिल हुए। हालांकि, पढ़ाने का उनका जुनून बना रहा। वह वर्तमान में यूपी सरकार की मोबाइल आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली डायल- 112 में तैनात हैं। बिजनौर के नंगल पुलिस स्टेशन से संबद्ध हैं।

बिजनौर: फिल्मों में अमूमन पुलिस और गुंडा का कॉम्बो दिखाया जाता है। लेकिन, अगर कानून व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी निभाने वाले बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगाएं। जी हां, कुछ ऐसा ही सहारनपुर के विकास कुमार के साथ। वे कानून के रक्षक भी हैं, शिक्षक भी। दलित परिवार के बच्चों के लिए शिक्षा का अलख जगाने वाले सिपाही को देखकर, उनसे मिलकर आपको एक अलग ही एनर्जी मिलेगी। यूपी और उत्तराखंड में 38 स्कूलों को संचालन करते हैं। यह पुलिस वाला वंचित बच्चों को मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था करा रहा है। ये हैं सहारनपुर के कुराल्की गांव निवासी 29 वर्षीय विकास कुमार। बिजनौर, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और रुड़की में दलित बच्चों के लिए 38 स्कूलों को चलाने वाले पुलिसिया मास्टर जी।

अपनी पहल के बारे में बात करते हुए विकास कहते हैं कि मैं एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखता हूं। मेरे पिता एक छोटे किसान हैं। जब मैं 18 साल का था, तब मैंने अपने गांव के गरीब बच्चों को कोचिंग देना शुरू किया था। बाद में, जब मुझे यूपी में कांस्टेबल के रूप में चुना गया। 2016 में पुलिस बिजनौर में तैनात हो गई। लेकिन, गरीब बच्चों को शिक्षित करने का मेरा जुनून बना रहा। इसलिए, मैंने बिजनौर शहर और आसपास के गांवों में छात्रों को अतिरिक्त कक्षाएं देना शुरू कर दिया।

सिपाही विकास के साथ जुड़े हैं करीब 300 अन्य साथी


व्हाट्सएप ग्रुप बनाया और बड़ा हुआ कारवां
काम के साथ-साथ बच्चों को पढ़ाने का उनका कॉन्सेप्ट कई लोगों को पसंद आया। इसके बाद व्हाट्सएप ग्रुप बनाया। इससे राज्यभर से लोग जुड़ने लगे। सरकारी कर्मचारी और युवाओं को मिलाकर आज इस ग्रुप में 300 सदस्य हो गए हैं। वे बिना किसी फायदा- मुनाफा के गरीब बच्चों को पढ़ाने का कार्य करते हैं। स्वयंसेवा कर रहे हैं। विकास बताते हैं कि ग्रुप की ओर से चलने वाली हर कक्षामें 50 से 100 बच्चे अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। बिजनौर में 250 से अधिक बच्चे इन कक्षाओं में भाग लेते हैं। रामपुर छाकारा, मोहनपुर, किशनपुर, सुंदरपुर बेहरा और धोलापुरी सहित विभिन्न गांवों में बच्चे इस ग्रुप से जुड़े हैं। उन्हें विकास कुमार और उनकी टीम की ओर से स्टेशनरी और स्टडी मैटेरियल उपलब्ध कराया जाता है।

बच्चों को भाती हैं कक्षाएं
बच्चों को भी स्कूल के बाद चलने वाली ये कक्षाएं काफी भा रही हैं। पांचवीं कक्षा की छात्रा 11 वर्षीय सुनीता रानी कहती हैं कि मैं एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ती हूं। मेरे माता-पिता अशिक्षित हैं। वे मुझे पढ़ा नहीं सकते हैं। जब से मैंने इस पाठशाला में आना शुरू किया है, मुझे गुरु जी से नैतिक और शैक्षिक समर्थन हमें मिला है। हमारा होमवर्क पूरा हो जाता है। हमारे डाउट यहां क्लियर हो जाते हैं। हमें और अधिक अध्ययन करने के लिए प्रेरणा यहां से मिलती है।

विकास कुमार के प्रयास ने कई सीनियर्स को अपना मुरीद बनाया है। बिजनौर में मुरादाबाद रेंज के डीआईजी शलभ माथुर ने इसके लिए पिछले बुधवार को सम्मानित किया। उनके नेक कार्य की सराहना की। पढ़ाई के प्रति उनकी मेहनत को स्वीकार किया।

मुरादाबाद रेंज के डीआईजी ने किया विकास को सम्मानित
एसपी भी करते हैं तारीफ
बिजनौर के पुलिस अधीक्षक दिनेश सिंह कहते हैं कि हमारे कांस्टेबल का काम काबिले तारीफ है। वह अपनी ड्यूटी के साथ-साथ समाज सेवा भी कर रहा है। उसे बुधवार को डीआईजी शलभ माथुर ने सम्मानित किया। वह गरीब बच्चों को पढ़ा रहा है। हमें उस पर गर्व है। विकास कुमार के प्रयास से चल रहे स्कूल में पढ़ाई की व्यवस्था भी बेहतर है। विकास स्वयं हर रोज किसी एक गांव के स्कूल में पहुंचते हैं। अन्य स्कूलों में चलने वाली पढ़ाई को लेकर सोशल मीडिया ग्रुप से नजर रखते हैं।

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