Site icon अग्नि आलोक

केजरीवाल की गिरफ्तारी का समय और तारीख तय करने की राजनीतिक वजह

Share

सनत जैन

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गुरुवार की रात गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें ईड़ी के दफ्तर ले जाया गया। जहां उनका मेडिकल चेकअप कराया गया। शुक्रवार को उन्हें पीएमएलए कोर्ट में पेश किया गया। ईडी ने केजरीवाल को शराब घोटाले का किंगपिन यानी सरगना बताया और उनसे पूछताछ करने के लिए 10 दिन की रिमांड मांगी। अब इसके बाद फैसला जो भी हो, उसकी अपील हाईकोर्ट अथवा सुप्रीमकोर्ट में करने का समय पीड़ित पक्ष के पास नहीं होगा। शुक्रवार को न्यायपालिका का अंतिम कार्य दिवस है।

इसके बाद 9 दिन की छुट्टियां लग जाएंगी। इसका सीधा-सीधा मतलब है, कि केजरीवाल कम से कम 10 दिन ईडी की कस्टडी में बने रहेंगे। सर्वोच्च न्यायालय में केजरीवाल की ओर से दायर याचिका को वापस ले लिया गया है। पहले यह माना जा रहा था, कि रात को ही सुनवाई हो सकती है, लेकिन रजिस्ट्रार ने काफी इंतजार कराने के बाद लिस्ट नहीं किया। गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी के सभी मंत्रियों एवं दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष गोयल ने कहा, मुख्यमंत्री पद से अरबिंद केजरीवाल इस्तीफा नहीं देंगे। पार्टी की मीटिंग में निर्णय किया जा चुका है। केजरीवाल जेल से ही मुख्यमंत्री पद का संवैधानिक निर्वाह करते रहेंगे।

जिसके कारण भारत में पहली बार अच्यूतपूर्ण संवैधानिक संकट बना है। इसके पहले जितनी भी गिरफ्तारियां हुई हैं, गिरफ्तारी के पहले संवैधानिक पदों पर बैठे हुए लोगों से इस्तीफा ले लिया गया था। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का भी इस्तीफा कराने के बाद ही गिरफ्तारी हुई थी। अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को एक सोची समझी राजनीतिक साजिश के रूप में देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है। पहले चरण के नामांकन भी शुरू हो गए हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का लोकसभा की सीटों के लिए गठबंधन हुआ है। अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी होने से इंडिया गठबंधन कमजोर होगा, वह समय पर अपने निर्णय नहीं ले पाएंगे। चुनाव के समय विपक्षी दलों को घेरने की सरकार की यह सुनियोजित रणनीति मानी जा रही है। अरविंद केजरीवाल के परिवार से किसी को नहीं मिलने दिया जा रहा है। राहुल गांधी आज अरविंद केजरीवाल के घर जाकर उनकी पत्नी से मिलना चाहते थे। उसके पहले ही उनके निवास स्थान पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। पुलिस किसी को भी अरविंद केजरीवाल को नहीं मिलने नहीं दे रही है।

आम आदमी पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया है। केजरीवाल के परिवार को हाउस अरेस्ट कर लिया गया है, जो पूर्णता अवैधानिक है। राजनीतिक क्षेत्र में इस बात की भी चर्चा है, चुनावी बांड को लेकर भारतीय जनता पार्टी के ऊपर जो आरोप लगाए जा रहे थे। उस मामले से बचने के लिए तथा कल कांग्रेस पार्टी द्वारा जो आरोप सरकार के ऊपर लगाये गये थे। कांग्रेस के खातों में लेनदेन बंद करने और लोकतंत्र समाप्त करने का आरोप सरकार पर लगाया गया था। उन सबसे ध्यान भटकाने के लिए केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई है। यह सरकार की एक सोची-समझी साजिश का ही हिस्सा बताया जा रहा है। बहरहाल अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद सारा विपक्ष तेजी के साथ एकजुट हो रहा है। वहीं सरकार को इसका लाभ मिलेगा या नुकसान होगा। इसका फैसला तो भविष्य ही करेगा। विपक्ष के नेताओं के साथ सहानुभूति जरूर जुड़ने लगी है। मतदान तक जैसी छवि बनेगी, निश्चित रूप से परिणाम भी वैसे ही रहेंगे।

हाल ही में बांग्लादेश, पाकिस्तान और रूस में चुनाव हुए हैं। राजनीतिक हल्कों में कहा जा रहा है कि रूस में पुतिन ने 80 फ़ीसदी वोटों से चुनाव जीतने की भविष्यवाणी की थी। वहां पर भी डिजिटल तरीके से चुनाव हुए और पुतिन को 88 फ़ीसदी वोट मिल गए। चुनाव का यह नया तरीका दुनिया के कई देशों में देखने को मिल रहा है। भारत के लोकसभा चुनाव भी उसी तर्ज पर हो रहे हैं। भारत लोकतांत्रिक देश है, इसके बाद भी जिस तरह से यह चुनाव हो रहा है। उसके कारण चुनाव परिणाम किस तरह के होंगे, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। इस तरीके से चुनाव हुए तो 400 पार का नारा वर्तमान परिस्थिति में सही होता हुआ दिख रहा है।

Exit mobile version