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लोकसभा चुनाव के आईने में ‘भारत रत्न’ की राजनीति,चुनावी लक्ष्य साधने की कोशिश

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वर्ष अब तक पांच महान हस्तियों को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने की घोषणा कर चुके हैं। पीएम मोदी ने सबसे पहले बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया था, उसके बाद चार और नाम इस लिस्ट में जुड़ गए। इनमें मोदी के राजनीतिक गुरु लालकृष्ण आडवाणी के साथ-साथ पूर्व प्रधानमंत्रियों चौधरी चरण सिंह और नरिसम्हा राव के भी नाम हैं। वहीं, कृषि क्षेत्र में क्रांति के नायक रहे वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भी भारत से नवाजे जाने का ऐलान किया गया है। लोकसभा चुनावों के माहौल में भारत रत्न के लिए इन शख्सियतों के चुनाव के पीछे की वजहें भी खंगाली जाने लगी है। सच भी है कि सियासत में अक्सर हर कदम बहुत दूर की सोचकर उठाया जाता है। तो आइए जानने की कोशिश करते हैं कि मोदी सरकार ने पांच प्रमुख हस्तियों को भारत रत्न देने के ऐलान से कौन-कौन से सियासी समीकरण साधने की कोशिश की है…

व्यापक अपील: विभिन्न राजनीतिक पृष्ठभूमि और क्षेत्रों के नेताओं और व्यक्तित्वों को सम्मानित करके, मोदी सरकार ने समाज के विभिन्न वर्गों में अपनी अपील को और व्यापक आधार देने की कोशिश की है। मोदी सरकार यह जता रही है कि उसे इन नेताओं के योगदान का महत्व समझ आता है जिन्होंने भारत की विकास यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। निश्चित रूप से मोदी सरकार का यह रवैया मतदाताओं को दिलों को छूएगा।

उदारता का परिचायक: विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं और पार्टियों (जैसे कांग्रेस से नरसिम्हा राव और भाजपा से लालकृष्ण आडवाणी) से जुड़ी हस्तियों को भारत रत्न देना भाजपा को एक ऐसी पार्टी के रूप में स्थापित करने का एक रणनीतिक कदम हो है जो दलगत राजनीति से ऊपर उठती है। भाजपा इन घोषणाओं से लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान यह दंभ भरेगी कि वह राष्ट्र के नायकों को सम्मान देने में तेरा-मेरा की राजनीति नहीं करती है बल्कि इससे ऊपर उठकर वह सबको उचित सम्मान देती है। भाजपा नेता जमकर प्रचार करेंगे कि राष्ट्र का भला करने वाले बीजेपी विरोधी ही क्यों नहीं हों, उनके योगदान को स्वीकार करने की माद्दा उसमें है। इससे भाजपा राष्ट्रवाद के अपने एजेंडे को और मजबूती दे सकती है।

किसानों पर नजर: भारत की हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को शामिल करके सरकार कृषि विकास और खाद्य सुरक्षा के महत्व पर अपनी नैरेटिव को मजबूत करेगी। ये मुद्दे भारतीय आबादी के एक बड़े हिस्से की आजीविका के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।

उत्तर-दक्षिण के भेद की राजनीति पर प्रहार: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत रत्न की घोषणाओं से उत्तर और दक्षिण भारत के बीच दरार डालने की कोशिशों पर भी पानी फेरा है। उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी, कर्पूरी ठाकुर और चौधरी चरण सिंह के जरिए उत्तर भारत को साधा है तो दो महान शख्सियतों नरसिम्हा राव और एमएस स्वामीनाथन के जरिए दक्षिण को भी बड़ा और स्पष्ट संदेश दिया है।

आइए अब एक-एक हस्ती और उनके प्रभावों का आकलन करते हैं...

कर्पूरी ठाकुर

प्रभाव क्षेत्र: बिहार
लोकसभा सीटें: 40
प्रभावित समूह/जाति: पिछड़ा वर्ग
मतदाता वर्ग: पिछड़ा वर्ग बिहार के मतदाताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अनुमान है कि वे राज्य की आबादी का 45% से अधिक हैं। जननायक कर्पूरी ठाकुर देश में पहली बार पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करके सामाजिक न्याय को नई दिशा दी थी। सीएम नीतीश कुमार के फिर से एनडीए में आने और कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने के संयुक्त प्रभाव का आकलन करें तो ऐसा लगता है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बिहार में एक बड़े मतदाताद वर्ग पर पासा फेंक दिया है।

चौधरी चरण सिंह

प्रभाव क्षेत्र: उत्तर प्रदेश
लोकसभा सीटें: 80
प्रभावित समूह/जाति: जाट और किसान
मतदाता वर्ग: जाट हालांकि कुछ क्षेत्रों में विशेष रूप से प्रभावशाली हैं, बड़े कृषि समुदाय का हिस्सा हैं जिनकी उत्तर प्रदेश के मतदाताओं में बड़ी भागीदारी है। जाटों सहित किसान, यूपी में एक महत्वपूर्ण वोटर बेस हैं, खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों पर ये जीत-हार का निर्णय करने की स्थिति में हैं।

पीवी नरसिम्हा राव

प्रभाव क्षेत्र: तेलंगाना (और ऐतिहासिक जुड़ाव के कारण आंध्र प्रदेश)
लोकसभा सीटें: तेलंगाना (17), आंध्र प्रदेश (25)
प्रभावित समूह/जाति: विभिन्न समुदायों में व्यापक अपील
मतदाता वर्ग: राव के आर्थिक सुधारों और नेतृत्व की पूरे देश में अपील है, लेकिन उनका प्रत्यक्ष प्रभाव किसी विशिष्ट जाति या समुदाय पर ध्यान केंद्रित किए बिना तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक गहराई से महसूस किया जाता है। उनकी विरासत सीधे तौर पर किसी विशेष जाति या समुदाय को प्रभावित नहीं कर सकती है, लेकिन आर्थिक सुधारों और अच्छे शासन-प्रशासन की चाह रखने वाले मतदाताओं के व्यापक स्पेक्ट्रम को आकर्षित कर सकती है।

एमएस स्वामीनाथन

प्रभाव क्षेत्र: पूरे देश में, खासकर पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु जैसे कृषि राज्यों पर।
लोकसभा सीटें: विभिन्न राज्यों में जिनमें तमिलनाडु (39), पंजाब (13), और हरियाणा (10) उल्लेखनीय हैं।
प्रभावित समूह/जाति: किसान और कृषि समुदाय
मतदाता वर्ग: पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु जैसे राज्यों में मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा किसान हैं, हालांकि उनकी हिस्सेदारी के प्रतिशत अलग-अलग हैं। हरित क्रांति के पुरोधा स्वामीनाथन को भारत रत्न देने के फैसले का देशभर के किसान स्वागत करेंगे और भाजपा यह दावा कर सकेगी कि उसकी सरकार का किसानों की जीवन में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है।

लाल कृष्ण आडवाणी

प्रभाव क्षेत्र: आडवाणी का असर पूरे भारत में है, क्योंकि वो बीजेपी और सरकार में राष्ट्रीय स्तर के नेता रहे हैं।
मतदाता वर्ग: आडवाणी को भारत रत्न देने का असर किसी खास जाति या समुदाय के मुकाबले राष्ट्रवाद और हिंदुत्व में यकीन रखने वाले बड़े वर्ग पर पड़ेगा।
इससे बीजेपी के पुराने समर्थकों की नाराजगी भी दूर होगी जिन्हें लगता है कि मोदी-शाह की बीजेपी ने आडवाणी को नजरअंदाज कर दिया गया है।

विपक्ष के लिए चुनौतियां: इन महान विभूतियों को भारत रत्न देना ऐसा मास्टर स्ट्रोक है जिससे बीजेपी को दोहरा लाभ पहुंचाएगा। एक तो वह खुद के उदार हृदय होने का ढिंढोरा पीटेगी ही, विपक्ष भी बीजेपी के इस कदम की तारीफ भले नहीं करे, कम से कम वो विरोध तो नहीं ही कर पाएगा। खासकर नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने के फैसले से कांग्रेस के लिए बड़ी उलझन की स्थिति पैदा हो गई। गांधी परिवार का नरसिम्हा राव से छत्तीस का आंकड़ा रहा लेकिन आज की बदली परिस्थितियों में वह राव पर बचाव की मुद्रा में आ गई है।

निष्कर्ष:
 आडवाणी के जरिए राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को साधा है तो एमएस स्वामीनाथन और चौधरी चरण सिंह के जरिए किसानों पर डोरे डाले हैं। वहीं कर्पूरी ठाकुर के जरिए देश के एक बड़े मतदाता वर्ग ओबीसी को बीजेपी के पाले में बनाए रखने की कवायद की गई है। नरिसम्हा राव को भारत रत्न देने के पीछे बीजेपी का मकसद दक्षिण के दुर्ग को साधना तो है ही, कांग्रेस पार्टी की फजीहत बढ़ाना भी है।

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