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*पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम : जानकारी और बचाव*

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    ~ डॉ. श्रेया पाण्डेय 

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक जटिल अंतःस्रावी विकार है, जो महिलाओं के प्रजनन, चयापचय और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

    पीसीओएस वाली महिलाओं में नींद की गड़बड़ी और विकार अधिक दिखाई पड़ते हैं। इसमें ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया और दिन में अत्यधिक नींद आना शामिल है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं अधिक वजन या मोटापे की भी शिकार होती हैं।

    यह आंशिक रूप से उनकी नींद की समस्याओं का कारण बनता है. सामान्य वजन वाली पीसीओएस वाली महिलाओं में भी नींद की समस्या होती है। 

*पीसीओडी में नींद की समस्या,:*

     पीसीओडी के कारण महिलाओं में 30 गुना अधिक नींद की समस्या होती है। इनसोमनिया, नींद आने में दिक्कत, दिन के समय नींद आना, नींद का बार-बार खुलना जैसी समस्या हो सकती है।

     असल में यदि पीसीओडी होने पर नींद की समस्या को दूर कर लिया जाता है, तो इसे भी रिवर्स कर लिया जाता है।

    हॉर्मोन में असंतुलन के कारण नींद में गड़बड़ी होती है। पीसीओएस से प्रभावित होने पर हाइपरएंड्रोजेनमिया (मेल हॉर्मोन एंड्रोजेन का अधिक सीक्रेशन, इंसुलिन रेसिस्टेंस, कोर्टिसोल और मेलाटोनिन स्राव में संभावित परिवर्तन होते हैं।

    ये हाइपोथैलेमिक-पिट्यूटरी-एड्रेनल फ़ंक्शन को दर्शाते हैं। यह मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक रूप से भी प्रभावित होता है। पीसीओएस और नींद की गड़बड़ी दोनों लंबे समय तक रहने पर कार्डियोमेटाबोलिक स्वास्थ्य में गिरावट आ जाती है।

    साथ ही टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम भी बढ़ जाता है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं की लोंगेविटी और स्वास्थ्य दोनों प्रभावित हो जाता है।

*साउंड स्लीप पोलिसिसटिक सिंड्रोम को कर सकता है रिवर्स :*

    पीसीओडी से जूझ रही महिला को 7-8 घंटे की जरूरी नींद लेना बहुत अधिक आवश्यक है। साउंड स्लीप पोलिसिसटिक सिंड्रोम को रिवर्स करने में भी मदद करता है।

    नर्वस सिस्टम के ठीक से काम करने के लिए यह आवश्यक है। इसके बिना न्यूरोलॉजिकल कार्यप्रणाली वास्तव में कम होने लगती है। नींद कम आने या बार-बार नींद खुलने से मूड पर भी प्रभाव पड़ने लगता है।

     ध्यान केंद्रित करने में भी व्यक्ति असमर्थ महसूस करने लगता है। नींद का असर पीसीओडी से जूझ रही महिला के मेमोरी पॉवर पर भी पड़ने लग सकता है।

*संभव है स्लीपिंग प्रॉब्लम का उपचार :*

     स्थिति की गंभीरता पर नींद की समस्या का उपचार किया जा सकता है। हल्के मामलों के लिए चिकित्सक अच्छी नींद के लिए जरूरी चीज़ों को अपनाने की सलाह दे सकते हैं।

      गले को खुला रखने के लिए माउथ गार्ड का सुझाव दिया जा सकता है। यदि वजन अधिक है, तो वजन घटाने पर भी नींद में मदद मिल सकती है। इससे गले के आसपास से कुछ एक्स्ट्रा फैट और टिश्यू हटा जाते हैं।

     अधिक गंभीर मामलों के लिए लगातार सकारात्मक एयरपाथवेज प्रेशर मशीन मानक उपचार है। सीपीएपी मशीन मास्क के माध्यम से दबावयुक्त हवा का संचालन करती है, जो नाक और मुंह पर लगाया जाता है। बहुत अधिक गंभीर मामलों के लिए सर्जरी की भी मदद ली जाती है।

    नींद की समस्या को ठीक करने के लिए इन 6 आदतों को  रूटीन में शामिल करे :

   1 दोपहर 2 बजे के बाद पीसीओडी से जूझ रही महिला को कोई कैफीन नहीं लेनी चाहिए।

    2 शाम के समय शराब या किसी प्रकार के नशे के सेवन से बचें।

    3 देर शाम भारी भोजन या नाश्ता न करें।

4 सोने से पहले शरीर को रिलैक्स करें। सोने से पहले किताब पढ़ना या गुनगुने पानी से स्नान करना इसमें मदद कर सकते हैं। सोने जाने पर बेडरूम पूरी तरह से अंधेरा होना चाहिए।

    5 बिस्तर पर जाने पर सभी इलेक्ट्रॉनिक्स बंद हो जाना चाहिए।

     6 सोने से पहले कैमोमाइल चाय या गर्म दूध पीने का प्रयास करना चाहिए।

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