~ डॉ. गीता शर्मा
आजकल छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गो तक हर उम्र के लोग डिप्रेशन का शिकार बन रहे हैं। आसपास फैली नकारात्मकता लोगों के तनाव का कारण साबित हो रही है। हो भी क्यों न आधुनिकता के इस दौर में लोगों का लाइफस्टाइल कई कारणों से अस्त व्यस्त हो चुका है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार साल 2015 में भारत में किए गए नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे की मानें, तो हर 20 में से 1 भारतीय डिप्रेशन का शिकार हो रहा है। वहीं विश्वभर में 300 मीलियन लोग इस समस्या से ग्रस्त है। जो वर्ल्ड पोपुलेशन का 4.3 फीसदी है।
लोकप्रिय मनोचिकत्सक डॉ विकास मानवश्री का कहना है कि हर व्यक्ति के जीवन में विपरीत परिस्थितियां ज़रूर आती है। जब हम उन परिस्थितियों के साथ ढ़ल नहीं पाते हैं तो व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार होता है। दिनों दिन बढ़ रहा वर्क प्रैशर और भावनाओं पर नियंत्रण की कमी तेज़ी से बढ़ने वाले तनाव का कारण साबित हो रहे है। ऐसे में नींद न आना, हर वक्त सोचना और भूख का अचानक बढ़ जाना या कम होना समेत कई संकेत होते हैं। जो डिप्रेशन के प्राथमिक संकेत होते हैं।
अगर आप मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं, तो इससे न सिर्फ आपकी सेहत, बल्कि आपके रिश्ते और आपका कॅरियर भी प्रभावित हो सकते हैं। मानसिक अ-स्वास्थ्य के मुख्य बेसिक लक्षण हैं :
~पूरी नींद न ले पाना
~हर वक्त एकांत की तलाश में रहना
~लोगों से ज्यादा बातचीत न करना
~किसी काम पर फोक्स न कर पाना
~भूख का बढ़ना या कम हो जाना
~हर पल उदास रहना
~आत्म नियंत्रण की कमी महसूस होना.
*1. मज़बूत रिलेशनशिप्स बिल्ड करें :*
अकेलापन जीवन में तनाव का कारण बनने लगता है। जो व्यक्ति को अंदर ही अंदर मानसिक तौर पर खोखला बना देता है। ऐसे लोगों को हर व्यक्ति में कमियां नज़र आने लगती है। जो उनकी झुंझलाहट का कारण साबित होती है।
खुद को डिप्रेशन की कंडीशन से बाहर निकालने के लिए लोगों में मज़बूत बॉडिंग मेंटेन करने की कोशिश करें। दूसरों पर विश्वास करना सीखें। इससे आपके पर्सनल रिलेंशन में मज़बूती आने लगेगी।
*2. इंटरैक्टिव बनें :*
अपने विचारों को लिखने के अलावा उन्हें एक्सप्रेस करना भी आवश्यक है। वो भावनाएं जो आप महसूस करते हैं। उन्हें ज़ाहिर करना भी ज़रूरी है। दिनभर में कुछ वक्त दोस्तों से बात करें। परिवारजनों के साथ उठे बैंठे और बच्चों के साथ खेलें व उनके विचार जानें।
इन सब चीजों से आपका तनाव खुब खुद कम होने लगता है। अभिव्यक्ति आपके अंदर के भय को खत्म करके आपको सुकून प्रदान करेगी। इससे आप मानसिक स्वास्थ्य उचित बना रहेगा।
*3. फिज़िकली एक्टिव रहें :*
सिडेंटरी लाइफस्टाइल को छोड़कर कुछ वक्त एक्सरसाइज़ के लिए निकालें। इससे आप न केवल दुश्चिंताओं से मुक्त हो पाते हैं बल्कि आप शारीरिक तौर पर भी एक्टिव बने रहते हैं। दिनभर में वॉक के अलावा कुछ योगासन और हाई इंटेसिटी एक्सरसाइज़ भी शामिल कर सकते हैं।
आपकी पंसदीदा एक्टिविटीज़ आपको डिप्रेशन जैसी समस्याओं से बाहर निकालने में मददगार साबित होती है। इसके अलावा एरोबिक्स और डांसिग भी आपकी मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद साबित होती है।
*4. पूरी नींद लें :*
नींद न आना कोई बीमारी नहीं बल्कि खराब लाइफ स्टाइल का एक संकेत है। अगर आपको कुछ मेडिकल रीज़नस या कैफीन इनटेक के चलते नींद नहीं आ पाती है। तो अपने लाइफ स्टाइल में बदलाव लाना आवश्यक है। 6 से 8 घंटे की नींद लेने से आप तनाव से खुद ब खुद दूर होने लगते हैं।
इससे आलस्य और बार बार नींद की झपकी आने की समस्या भी हल हो जाती है। रात को खाना खाने के बाद वॉक करके। इससे न केवल कैलोरीज़ बर्न होती है बल्कि थकान से नींद भी आने लगती है। अधिकतर वे लोग जो दिनभर बिना कोई कार्य किए अपना समय व्यतीत करते हैं। ऐसे लोगों को नींद न आने की समस्या से दो चार होना पड़ता है।