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जनता की मूलभूत समस्याएं बनाम क्रूर मोदी सरकार बनाम जनता का फैसला !

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जनता को जो चाहिए था उसे मिल गया है।

अब न कोई बेरोज़गारी की बात करेगा, न महंगाई की।

न स्कूल मांगेगा, न अस्पताल।

जनता की कोई नहीं सुनेगा।

जनता ने खुद महंगाई चुनी है, बेरोज़गारी चुनी है।

परीक्षाएं क्यों नहीं हो रही हैं,?

रिज़ल्ट क्यों नहीं आ रहे हैं?

पर्चे क्यो लीक हो रहे हैं?

नियुक्तियां क्यों नहीं हो रही है?

खाली पद क्यों नहीं भरे जा रहे है?
ये सवाल चुनाव से पहले खूब उठे। सड़कों पर आंदोलन हुए।
लाठी चार्ज हुए। छात्रों को पीटा गया।

किसान कुचले गए। संविदा कर्मचारी पिटे, शिक्षा मित्र पिटे।

अब कोई सड़कों पर नहीं आएगा। जो आएगा, उसेसंकलन बुलडोज़र का सामना करना होगा। प्रदेश में शांति रहेगी। न कोई रोजगार मांगेगा, न पुरानी पेंशन का ज़िक्र करेगा।
मुफ्त अनाज मिलना बंद हो जाएगा।
पेट्रोल डीजल कितना महंगा होगा, ये जल्दी सामने आ जाएगा।
सब मस्त चलेगा।

पुनश्च: जीत भले किसी की हो, लेकिन जनता हारी है।
जनता ने खुद को खुद ही हरा दिया है।
सरकार को सभी सवालों से बरी कर दिया है।

          - जस्टिस काटजू और मणि शंकर अय्यर 

         संकलन - -निर्मल कुमार शर्मा, 'गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण तथा देश-विदेश के समाचार पत्र- पत्रिकाओं में पाखंड,अंधविश्वास, राजनैतिक, सामाजिक,आर्थिक,वैज्ञानिक, पर्यावरण आदि सभी विषयों पर बेखौफ,निष्पृह और स्वतंत्र रूप से लेखन ', गाजियाबाद, उप्र,सं
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