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पंजाब से देश वाया हिमाचल

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दीपक असीम
पंजाब में आम आदमी पार्टी जीत तो गई है, मगर उसके सामने कई चुनौतियां हैं। पहली चुनौती है किये हुए वादे पूरे करने की। दूसरी चुनौती है दिल्ली की तरह सुशासन देने की। भगवंत मान चूंकि अरविंद केजरीवाल को बहुत मानते हैं और साथ ही अपना दिमाग ज्यादा लगाने में यकीन नहीं रखते, इसलिए हम यह मान सकते हैं कि पंजाब की सरकार भी दिल्ली से ही चलेगी और अरविंद केजरीवाल ही पंजाब की भी सरकार को चलाएंगे। मुख्यमंत्री और मंत्री नाम के रहेंगे और उन पर पूरा होल्ड दिल्ली इकाई का रहेगा। अगर इससे पंजाब की जनता को फायदा होता है, तो इसमें भी कोई बुराई नहीं है। लोग आखिरकार तो सुविधाएं और सुशासन ही चाहते हैं। अगर इस साल के अंत तक पंजाब में आम आदमी पार्टी ने कुछ कर के दिखा दिया, तो हिमाचल प्रदेश चुनावों में आम आदमी पार्टी को बहुत आसानी होने वाली है। 
अगर पंजाब में आम आदमी पार्टी दिल्ली की ही तरह सरकार चला लेती है तो देश की राजनीति में एक बड़ा परिवर्तन आ सकता है। नरेंद्र मोदी और भाजपा की पूरी आईटी सेल ने कांग्रेस को मुस्लिम परस्त घोषित कर रखा है। अतीत की अनेक एतिहासिक घटनाओं के लिए भाजपा आराम से कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराती रही है। सत्तर साल से संघ भी कांग्रेस को निशाने पर लिये हुए है। मगर जहां आम आदमी पार्टी से मुकाबला होता है, भाजपा की आटी सेल के पास कोई हथियार नहीं होता। ना तुष्टिकरण का आरोप आम आदमी पार्टी पर लग सकता है और ना आम आदमी पार्टी के पास कोई नेहरू है, जिसे भाजपा और उसके वक्ता कोस सकें। आम आदमी पार्टी फ्रेश पार्टी है। अभी पंजाब में अरविंद केजरीवाल को आतंकवाद का समर्थक कहा गया, मगर बात कुछ बनी नहीं। आरोप केजरीवाल पर चिपका ही नहीं। उल्टे केजरीवाल को सहानुभूति का वोट भी मिल गया।
भाजपा का प्रचार तंत्र आम आदमी पार्टी के सामने फेल है। दूसरी बात यह कि आम आदमी पार्टी ने अपनी ब्रांडिंग सुविधाएं देने वाली पार्टी के रूप में की है। भाजपा को कांग्रेस से लड़ना तो आता है, मगर आम आदमी पार्टी से लड़ना नहीं आता। आम आदमी पार्टी के खिलाफ उसके पास कोई हथियार नहीं है। इसीलिए जहां भी आम आदमी पार्टी का मुकाबला भाजपा से सीधे होता है, आम आदमी पार्टी बहुत अच्छे वोट पा लेती है। पंजाब में अगर सब कुछ ठीक रहा तो अन्य राज्यों में भी भाजपा के सामने आप की ही चुनौती रहेगी। भाजपा हरचंद कोशिश करेगी कि भगवंत मान को निशाने पर ले सके। मान को सावधान रहने और कुछ करके दिखाने की ज़रूरत है। देश की दिशा इस पर निर्भर करती है।
 लेखक इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार हैं

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