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‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ पर गठित कमेटी के सदस्यों को लेकर उठने लगे हैं सवाल

Polling officials carry the Electronic Voting machines (EVM) and voter-verified paper audit trail (VVPAT) as they leave for their polling stations, on the eve of the Punjab state assembly elections, in Amritsar on February 19, 2022. (Photo by NARINDER NANU / AFP)

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नई दिल्ली। मोदी सरकार ने ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ के लिए कमेटी गठित कर दी है। इसकी अधिसूचना भी जारी हो चुकी है। कमेटी के सदस्यों का नाम सार्वजनिक होने के बाद विवाद अब बढ़ता जा रहा है। कमेटी के सदस्यों को लेकर तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस ने समिति के सदस्यों पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस समिति का गठन मोदी सरकार के निष्कर्षों पर मुहर लगाने के लिए की गई है। यानि सरकार ने एक राष्ट्र, एक चुनाव पर फैसला कर लिया है और समिति की रिपोर्ट से उसे वैधानिकता प्रदान करना है। फिलहाल इस समिति के कुल 8 सदस्यों में- पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद, भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे, पूर्व सीवीसी संजय कोठारी, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह और लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप शामिल हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को समिति का विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है।

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर गठित समिति के कुल आठ सदस्यों में से अधिकांश लोग मोदी सरकार के साथ रहे हैं या संघ-भाजपा की वैचारिकी के समर्थक या अनुयायी है। कहने को तो कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद इसके सदस्य हैं। लेकिन अधीर रंजन चौधरी ने समिति में शामिल होने से इनकार कर दिया है, और गुलाम नबी आजाद राहुल गांधी और गांधी-नेहरू परिवार पर तरह-तरह के आरोप लगाते हुए कांग्रेस छोड़ चुके हैं। आजाद लंबे समय से पीएम मोदी के प्रशंसक हो गए हैं और संघ-भाजपा की थाप पर थिरक रहे हैं। समिति के अधिकांश सदस्य मोदी सरकार के लाभार्थी और शुभचिंतक तो हैं ही, आश्चर्यजनक यह है कि अधिकांश लोग किसी न किसी रूप में विवादित और घोटालों में शामिल भी रहे हैं।

एक राष्ट्र, एक चुनाव कमेटी के सदस्य
• केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह
• कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी
• पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद
• भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे
• पूर्व सीवीसी संजय कोठारी
• वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह
• लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप
• कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (विशेष आमंत्रित सदस्य)

समिति के एक-एक सदस्य की बात करें तो पहला नाम पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का आता है। कोविंद का राष्ट्रपति कार्यकाल संवैधानिक प्रमुख के बतौर कम पीएम नरेंद्र मोदी के पिछलग्गू के रूप में ज्यादा याद किया जाता है। उनकी अध्यक्षता में समिति के गठन की सूचना के बाद से ही आशंकाओं का बाजार गर्म है। उनका न केवल पूरा कार्यकाल उल्लेखनीय नहीं रहा बल्कि राजनीतिक रूप से भी समाज पर उनकी पकड़ नहीं रही है। ऐसे में उनकी अध्यक्षता में समिति की जो रिपोर्ट आयेगी वह मोदी सरकार का डिक्टेशन होगा, ऐसी आशंका जाताई जा रही है।

समिति के दूसरे सदस्य गृहमंत्री अमित शाह हैं। वह पीएम मोदी के लंबे समय से सहयोगी हैं। गुजरात से ही शाह मोदी के करीबी और उनके राजदार हैं। वर्तमान में केंद्र में एनडीए की सरकार को मोदी-शाह की सरकार कहा जाता है और आज के भाजपा को मोदी शाह की भाजपा। ऐसे में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ समिति के सदस्य के बतौर उनकी निष्ठा समिति में नहीं बल्कि मोदी में है।

तीसरे सदस्य कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी 1999 से लोकसभा के सांसद हैं। वह पश्चिम बंगाल से आते हैं। अधीर वर्तमान में बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं। बड़ी बात यह है कि अधीर रंजन ने गृह मंत्री अमित शाह को लेटर लिखकर कमेटी में शामिल होने से इनकार किया है।

समिति के चौथे सदस्य जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद नई पार्टी का गठन किया था। पीएम मोदी की हमेशा तारीफ करने वाले आजाद की नई राजनीतिक पार्टी जम्मू-कश्मीर में कुछ खास नहीं कर पाई। उल्टे उनकी पार्टी के अधिकांश नेता एक-एक करके कांग्रेस में वापस लौट आए। अब वह अपनी पार्टी में अकेले हैं। मोदी सरकार ने उनको 2022 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था।

सुप्रीम कोर्ट के दिग्गज वकील और भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ समिति के पांचवे सदस्य हैं। साल्वे आते तो कांग्रेसी परिवार से हैं लेकिन लंबे समय से उनकी निष्ठा मोदी सरकार के साथ है। और पनामा पेपर्स से लेकर कई मामलों में उनका नाम भी आया है।

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक हरीश साल्वे ने लंदन में एक संपत्ति के मालिक होने के लिए 2015 में ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह में द मार्सुल कंपनी लिमिटेड का अधिग्रहण किया। साल्वे को 15 सितंबर 2015 को मार्सुल में 50,000 शेयर आवंटित किए गए थे। सदस्यों का रजिस्टर अनिवार्य रूप से किसी कंपनी के शेयरधारकों की एक सूची है।

साल्वे को कंपनी के लाभकारी मालिक के रूप में नामित किया गया है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि कंपनी का स्वामित्व उनके पास है। वह मार्सुल के निदेशक और सचिव भी हैं। अपतटीय मध्यस्थ द्वारा अपने सभी ग्राहकों के जोखिम प्रोफाइल को सूचीबद्ध करते समय उन्हें उच्च जोखिम वाले पीईपी (राजनीतिक रूप से उजागर व्यक्ति) के रूप में चिह्नित किया गया था।

द इंडियन एक्सप्रेस के सवालों का जवाब देते हुए, साल्वे ने कहा: “मैंने मार्सुल का अधिग्रहण किया क्योंकि यह वह कंपनी थी जिसके पास लंदन में पार्क टॉवर में एक फ्लैट था। मैं एक एनआरआई था, इसलिए मुझे किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं थी।

यह पूछे जाने पर कि क्या आयकर विभाग को इस बारे में सूचित किया गया था, उन्होंने कहा कि यह ‘पूरी तरह से खुला’ था।

समिति के छठे सदस्य संजय कोठारी ने साल 2020 से 2021 तक केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के रूप में काम किया था। कोठारी 1978 बैच के IAS अधिकारी रहे। 2017 में कोठारी रामनाथ कोविंद के सचिव बनाए गए थे। संजय कोठारी की निष्ठा लंबे समय से मोदी-शाह के साथ है।

समिति के सातवें सदस्य पूर्व नौकरशाह एन के सिंह को अर्थशास्त्री, शिक्षाविद् और नीति निर्माता के रूप में जाना जाता है। सिंह वर्तमान में वित्त आयोग के चीफ हैं। वह 2008 से लेकर 2014 तक राज्यसभा सांसद रहे। एन के सिंह बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी रहे। सिंह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी रहे हैं। उनका नाम राडिया टेप कांड की सुर्खियों में था।

समिति के आठवें सदस्य सुभाष कश्यप लोकसभा के महासचिव रहे हैं। उनकी पहचान संवैधानिक और संसदीय कानून के विशेषज्ञ हैं। साल 2015 में केंद्र सरकार ने उनको देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया था। मोदी सरकार के आने के बाद से ही उनका झुकाव राष्ट्रवादी विचारधारा की तरफ है।

समिति के नौवें सदस्य अर्जुन राम मेघवाल वर्तमान में देश कानून एवं न्याय मंत्री और संसदीय कार्य मंत्री हैं। मेघवाल राजस्थान की बिकानेर लोकसभा सीट से सांसद हैं। वह लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के मुख्य सचेतक भी रहे। फिलहाल इस कमेटी में वह विशेष आमंत्रित सदस्य हैं।

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