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वक्फ बोर्ड के कामकाज और उनके अधिकारों पर सवाल 

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वक्फ बोर्डों के कामकाज और उनके अधिकारों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। हाल ही में संसद में पेश किया गया वक्फ बोर्ड एक्ट संशोधन विधेयक 1995 के कानून में बड़े बदलाव लाने की तैयारी में है। इसका उद्देश्य वक्फ बोर्ड की पारदर्शिता बढ़ाने और महिलाओं को इसमें शामिल करने का है। लेकिन इस विधेयक के आने से राजनीतिक गलियारों में हंगामा मच गया है

वक्फ बोर्ड का नाम अक्सर खबरों में आता है, खासकर तब जब इसके अधिकारों या संपत्तियों को लेकर कोई विवाद उठता है। वक्फ बोर्ड की स्थापना इस्लामी कानून के तहत धार्मिक और धर्मार्थ कार्यों के लिए संपत्तियों के प्रबंधन के उद्देश्य से की गई थी। लेकिन हाल ही में वक्फ बोर्ड के अधिकारों और उसकी संपत्तियों को लेकर नया बवाल मच गया है। आइए, समझते हैं कि वक्फ बोर्ड क्या है, इसका गठन कैसे हुआ, और क्यों यह आज चर्चा का विषय है?

वक्फ बोर्ड क्या है?

वक्फ बोर्ड एक सरकारी निकाय है जो धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए इस्लामी कानून के तहत समर्पित संपत्तियों का प्रबंधन करता है। जब कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को वक्फ के रूप में घोषित करता है, तो वह संपत्ति उस व्यक्ति से हटकर अल्लाह के नाम हो जाती है और उसका मालिकाना हक वक्फ बोर्ड के पास चला जाता है। इस संपत्ति का उपयोग मस्जिदों, कब्रिस्तानों, स्कूलों, और अनाथालयों जैसी धार्मिक और समाजसेवा से जुड़ी जगहों के लिए किया जाता है।

वक्फ बोर्ड का इतिहास और शुरुआत

भारत में वक्फ की अवधारणा दिल्ली सल्तनत के समय से चली आ रही है, इतिहास में इसका पहला उल्लेख सुल्तान मुइज़ुद्दीन सैम ग़ौर (मुहम्मद ग़ोरी) के दौर का मिलता है। जब उन्होंने मुल्तान की जामा मस्जिद को एक पूरा गांव दान कर दिया गया था। अंग्रेजों के शासन काल में 1923 में पहली बार मुसलमान वक्फ अधिनियम लाया गया, जो वक्फ संपत्तियों को विनियमित करने का प्रयास था।

स्वतंत्रता के बाद, 1954 में भारतीय संसद ने वक्फ अधिनियम पारित किया, और फिर 1995 में इस कानून में बड़े बदलाव किए गए। 1995 का वक्फ अधिनियम वक्फ बोर्डों को और अधिक शक्तियां प्रदान करता है। हालांकि, इन शक्तियों के साथ समस्याएं भी बढ़ीं, जैसे कि वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे, गलत तरीके से पट्टे देना और संपत्तियों की बिक्री।

वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का ब्योरा

क्या आप जानते हैं रेलवे और रक्षा विभाग के बाद वक्फ बोर्ड कथित तौर पर भारत में तीसरा सबसे बड़ा भूमि धारक है। वक्फ बोर्ड के पास देशभर में लगभग 9.4 लाख एकड़ में फैली 8.7 लाख संपत्तियाँ हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है। उत्तर प्रदेश और बिहार में दो शिया वक्फ बोर्ड सहित भारत में कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं। इन संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड या उनके द्वारा नियुक्त मुतव्वली (प्रबंधक) द्वारा किया जाता है।

वक्फ बोर्ड के पास मस्जिदें, कब्रिस्तान, दान की हुई जमीनें, स्कूल, अस्पताल और कई प्रकार की संपत्तियां होती हैं, जिनका धार्मिक और समाजसेवा के कामों के लिए उपयोग किया जाता है। लेकिन इन संपत्तियों के प्रबंधन में अक्सर अनियमितताओं और विवादों की खबरें आती रहती हैं।

विवाद क्यों हो रहा है?

हाल ही में संसद में पेश किए गए वक्फ बोर्ड एक्ट संशोधन विधेयक के कारण वक्फ बोर्ड फिर से चर्चा में है। इस बिल के जरिए 1995 के वक्फ अधिनियम में करीब 44 बदलावों का प्रस्ताव रखा गया है। इसका मुख्य उद्देश्य वक्फ बोर्डों के कामकाज में पारदर्शिता लाना और महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व देना है। इस बिल के तहत वक्फ बोर्डों को सभी संपत्तियों के दावे के लिए अनिवार्य सत्यापन से गुजरना होगा, जिससे मनमाने दावों को रोका जा सके। इसमें धारा 9 और 14 में बदलाव कर वक्फ बोर्ड की संरचना में महिलाओं को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, जिला मजिस्ट्रेट को वक्फ संपत्तियों की निगरानी का अधिकार दिया जाएगा ताकि संपत्तियों का दुरुपयोग न हो सके।

सितंबर 2022 में तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने एक मुख्य रूप से हिंदू बहुल गांव तिरुचेंदुरई पर अपना दावा जताया, जिसके बाद से ही इसे लेकर विवाद बड़ता चला गया।  दरअसल बोर्ड ने दावा किया था कि यह संपत्ति वक्फ की है, जबकि स्थानीय लोग इसे हिंदू धर्मस्थल मानते हैं। इस दावे के बाद से ही वक्फ बोर्ड के अधिकारों और उनकी पारदर्शिता पर सवाल खड़े होने लगे थे। 

वक्फ बोर्ड का मकसद समाज और धर्म के लिए काम करना है या कुछ  इस पर तो हम कुछ नहीं कह सकते, लेकिन इसके कामकाज में पारदर्शिता की कमी और विवादित संपत्ति दावों के चलते इसे आलोचना का सामना जरूर करना पड़ रहा है। वक्फ बोर्ड एक्ट संशोधन विधेयक 2024 इन मुद्दों को सुलझाने का प्रयास है, लेकिन इसे लेकर भी राजनीतिक दलों के बीच बहस जारी है। समय के साथ ये बदलाव वक्फ बोर्ड की कार्यशैली और इसकी पारदर्शिता में कितना सुधार लाते हैं, यह देखने वाली बात होगी।

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