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सावरकर पर राहुल गांधी के बयान से बवंडर स्वाभाविक

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अवधेश कुमार
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के दो स्थानों पर वीर सावरकर के विरुद्ध दिए गए राहुल गांधी के बयान पर बवंडर स्वाभाविक है। राहुल ने पहले वाशिम जिले में आयोजित रैली में सावरकर की निंदा की और जब इसका विरोध हुआ तो अकोला जिले में पत्रकार वार्ता में माफीनामे की एक प्रति दिखाते हुए उन्हें डरपोक तथा महात्मा गांधी और उस वक्त के नेताओं के साथ धोखा करने वाला बता दिया। राहुल के बयान और उसके प्रभावों के दो भाग हैं। पहला है इसका राजनीतिक असर और दूसरा उनके दावों की सच्चाई। दोनों हिस्सों पर अलग-अलग गौर करना ठीक रहेगा।

राजनीतिक असर

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के वाशिम में एक कार्यक्रम को संबोधित करते राहुल गांधी (फोटोः एजेंसी)

माफीनामे की सचाई
राहुल जो बोल रहे हैं वह सचाई का एक पक्ष है। आइए इसके विभिन्न पहलुओं पर गौर करें।

दरअसल, प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1919 में जॉर्ज पंचम के आदेश पर भारतीय कैदियों की सजा माफ करने की घोषणा की गई थी। उनमें अंडमान के सेलुलर जेल से भी काफी कैदी छोड़े गए थे। इनमें सावरकर बंधु – विनायक दामोदर सावरकर और उनके बड़े भाई गणेश दामोदर सावरकर- शामिल नहीं थे। उनके छोटे भाई नारायणराव सावरकर ने महात्मा गांधी को पत्र लिखकर सहयोग मांगा था। इस अनुरोध पर गांधी जी ने क्या किया, यह देखिए।

सावरकर की प्रशंसा में गांधीजी ने लिखा, ‘अगर देश समय पर नहीं जागता है तो भारत के लिए अपने दो वफादार बेटों को खोने का खतरा है। दोनों भाइयों में से विनायक दामोदर सावरकर को मैं अच्छी तरह जानता हूं। मेरी उनसे लंदन में मुलाकात हुई थी। वह बहादुर हैं, चतुर हैं, देशभक्त हैं…। उन्होंने सरकार की वर्तमान व्यवस्था में छिपी बुराई को मुझसे काफी पहले देख लिया था। भारत को बहुत प्यार करने के कारण वह काला पानी की सजा भुगत रहे हैं।’

ठीक है कि सावरकर महात्मा गांधी के अनेक विचारों से असहमत थे और कांग्रेस के आलोचक थे। किंतु उन्हें माफी मांगने वाला कायर, अंग्रेजों का पिट्ठू और स्वतंत्रता आंदोलन का विरोधी कहना एक महान देशभक्त, क्रांतिकारी, समाज सुधारक के प्रति कृतघ्नता होगी। कुछ और तथ्य देखिए।

राहुल गांधी कहते हैं कि एक ओर आरएसएस और सावरकर की विचारधारा है तो दूसरी ओर कांग्रेस की। यह भी कि सावरकर बीजेपी और आरएसएस के प्रतीक हैं। सच यह है कि वीर सावरकर संघ के प्रशंसक नहीं रहे। बावजूद इसके, संघ और बीजेपी उनके बलिदान, त्याग, देशभक्ति और हिंदू समाज की एकजुटता के लिए किए गए उनके कामों को लेकर उनका सम्मान करती है। सावरकर जैसे महान व्यक्तित्व के मानमर्दन के विरुद्ध पूरे भारत में प्रतिक्रिया है। इसी कारण लोग कांग्रेस और नेहरू जी से जुड़े उन अध्यायों को सामने ला रहे हैं जिनका जवाब देना राहुल और उनके सलाहकारों के लिए कठिन है। कुल मिलाकर, राहुल गांधी ने अपने बयान से कांग्रेस के लिए ही समस्याएं पैदा की हैं।

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