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राहुल गांधी की उत्तर प्रदेश यात्रा मायनेखेज़

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-सुसंस्कृति परिहार 

 विदित हो,उत्तर प्रदेश में 1985 में आखिरी बार कांग्रेस सरकार आई थी तब कांग्रेस ने 1980 और 1985 दोनों ही चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी उसके बाद कांग्रेस सत्ता से बाहर है।एक ऐसा प्रदेश जिसने देश को पांच प्रधानमंत्री दिए जिनमें आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी शामिल हैं उस प्रदेश में समाजवादी दल,बसपा और रालोद जैसे दलों ने भी सरकार चलाईं है। इनमें चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती रहीं हैं जिन्होंने बहुजन समाज को साथ लेकर और समाजवादी पार्टी ने पिछड़ावर्ग और अल्पसंख्यकों को साथ लेकर कांग्रेस के ख़िलाफ़ जबरदस्त माहौल बनाया। सन् 1991में भाजपा के कल्याण सिंह सिर्फ डेढ़ माह मुख्यमंत्री रहे।तभी 1992में बावरी मस्जिद का ढांचा गिराया जाता है और राममंदिर की लड़ाई ने यहां हिंदुओं का ध्रुवीकरण कर दिया जिसके बाद से यहां धीरे-धीरे मज़बूत होती चली गई।यही वजह है कि उत्तर प्रदेश भाजपा का गढ़ बन गया।एक घटना ने प्रदेश की फिज़ा बदल दी दलित,पिछड़ा और अल्पसंख्यक हताश और निराश तो हुआ किंतु दलित और पिछड़े वर्ग के लोग हिंदुत्ववादी धारा में बह गए।

ऐसे हालात में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा मायनेखेज़ हो जाती है।इस बीच पिछले विधानसभा चुनाव में ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ के ज़रिए प्रियंका गांधी ने महिला अत्याचार के ख़िलाफ़ बिगुल फूंका । पीड़ित महिलाओं सहित जुझारू महिलाओं को टिकिट भी कांग्रेस ने दिए लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिल सकी।वजह वहीं थी बहुसंख्यक महिलाओं का हिंदुत्ववादी दृष्टिकोण। लेकिन इस बार बिहार में तेजस्वी की तरह उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के साथ पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों के बीच पहुंचकर जिस तानाशाही सरकार को बदलने की पहल की जा रही है वह निश्चित तौर पर असरकारी होगी।इस राज्य में उपेक्षित दलित, पिछड़ावर्ग और अल्पसंख्यकों के बीच काफ़ी सरगर्मी है।यदि वे जाग गए तो 80में से 50 सीट इस गठबंधन को जीतना मुश्किल नहीं होगा। वहीं ये आशा भी बंधती है सोनिया गांधी और राहुल द्वारा अपनी सीट छोड़ने के बावजूद कांग्रेस दस का आंकड़ा पार लेगी।

यह विश्वास उत्तर प्रदेश में मोदी गढ़ वाराणसी में उमड़ी जनमेदनी है जो राहुल के यूपी प्रवेश के साथ साथ चली।उधर कतिपय भाजपाइयों ने जब राहुल की न्याय यात्रा जो लगभग 12 कि मी लंबी थी ख़त्म होने के बाद उस रास्ते को गंगा जल से धोया ।इस कृत्य पर वाराणसी वासी शर्मसार नज़र आए।कई जगह जय श्री राम से इस यात्रा का स्वागत हुआ।कुछ असमाजिक तत्वों ने काला झंडा भी लगाया किंतु उसे राहुल आगमन से पूर्व हटा दिया गया। राहुल शाम भदौही ना जाकर वायनाड गए हैं जहां एक हाथी से कुचलकर मरे परिवार से साथ बड़ी संख्या में लोग आंदोलनरत हैं।बताया गया है सोमवार से 21फरवरी तक यह यात्रा उत्तर प्रदेश में रहेंगी।

ये चंद रोज़ ही सही तानाशाह हुक्मरान के ख़िलाफ़ एक चुनावी बगावत का शंखनाद भारत जोड़ो न्याय यात्रा भाजपा के गढ़ में कर रही है जिसमें वहां के युवा साथी पूर्व अखिलेश  यादव अपने दल-बल के साथ पूर्ण रूप से सहभागी हैं।इस संग साथ का उत्तर प्रदेश में बहुत असर पड़ेगा।

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