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मध्य प्रदेश में बारिश से तबाही :पिछले 48 घंटे से बूंदें नहीं टूटीं

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मध्य प्रदेश में पिछले 48 घंटों से जारी घनघोर बारिश आज भी नहीं थमी।इस बारिश की वजह से नर्मदा, बेतवा और शिप्रा जैसी नदियां उफान पर हैं। राज्य के 50 से ज्यादा डैम ओवर फ्लो हो गए हैं। कई जिलों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं। राजधानी भोपाल आने वाली फ्लाइट्स कैंसिल कर दी गई हैं या डायवर्ट हुई हैं। लैंड स्लाइड की वजह से एमपी-छत्तीसगढ़ का संपर्क टूट गया है।पू

र मध्य प्रदेश में इस आफत की वजह क्या है? ऐसी बारिश कब तक जारी रहेगी और क्या ये बादल दूसरे राज्यों की तरफ भी डायवर्ट हो सकते हैं?

मौसम वैज्ञानिक वेद प्रकाश के मुताबिक मध्य प्रदेश में इस घनघोर बारिश की वजह डीप डिप्रेशन है। अब आप कहेंगे कि क्या इंसानों की तरह मौसम को भी डिप्रेशन होने लगा?

दरअसल, साइक्लोनिक सर्कुलेशन यानी चक्रवाती घेरे के चलते हवाएं संगठित होकर ऊपर की ओर बढ़ती हैं। इसे ही डीप डिप्रेशन कहते हैं। इससे कुछ इलाकों में हवा का दबाव कम हो जाता है। जिन क्षेत्रों में ये लो प्रेशर एरिया बनता है, वहां भारी बारिश होती है।

आम तौर पर साइक्लोनिक सर्कुलेशन या ऊपरी हवा के चक्रवात के चलते लो प्रेशर एरिया जैसे सिस्टम बंगाल की खाड़ी में बनते हैं। फिर ये झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के रास्ते पूर्व की ओर से मध्य प्रदेश में प्रवेश करते हैं।

जब समुद्र में डिप्रेशन की स्थिति बनती है तो अधिकतम 20 से 31 मील प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलती हैं। डीप डिप्रेशन में हवाओं की रफ्तार 32 से 38 मील प्रति घंटा और चक्रवातीय तूफान में ये रफ्तार 54 मील प्रति घंटे की हो सकती है।

मौसम विभाग के इस मैप में दिख रहा ग्रीन जोन डिप्रेशन वाले इलाकों को दर्शा रहा है। इसी डिप्रेशन की वजह से इन जगहों पर भारी बारिश हो रही है। (मैप प्रतीकात्मक है)

बंगाल की खाड़ी से मध्य प्रदेश पहुंचा डीप डिप्रेशन

18 अगस्त को बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्वी हिस्से में लो प्रेशर एरिया बना, फिर ये डीप डिप्रेशन में बदल गया। इसके बाद झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के रास्ते पूर्व की ओर से मध्य प्रदेश में प्रवेश किया। यानी रीवा संभाग के आसपास। इसके चलते रीवा, शहडोल, जबलपुर और सागर संभाग में भारी से अति भारी बारिश रिकॉर्ड की गई है।

इसके बाद ये डीप डिप्रेशन पश्चिम दिशा की तरफ यानी सागर की ओर से भोपाल, होशंगाबाद, ग्वालियर और उज्जैन संभाग पहुंचा। जहां अति भारी और कहीं पर अत्यधिक भारी जैसे 200 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हुई है। रायगढ़ और गुना में सबसे ज्यादा और भोपाल में 190 मिलीमीटर बारिश हुई है।

भोपाल का कलियासोत डैम लबालब होने के बाद उसके गेट खोलकर पानी छोड़ा जा रहा है। भारी बारिश के बाद डैम के 13 में से 7 गेट खोल दिए गए हैं।

मौसम विशेषज्ञ पीके साहा ने बताया कि भोपाल में जिन बादलों ने बारिश कराई, वे जमीन से सिर्फ 90 मी. ऊंचाई पर बने थे। यह इस सीजन में बादलों की सबसे कम ऊंचाई है। बारिश के दौरान न केवल 52 किमी प्रति घंटे की हवा चली, बल्कि विजिबिलिटी सिर्फ 800 मीटर रह गई थी।

मंगलवार सुबह तक बना रह सकता है डीप डिप्रेशन का असर

मौसम वैज्ञानिक वेद प्रकाश सिंह कहते हैं कि डीप डिप्रेशन का असर अभी भी काफी स्ट्रांग है। सिस्टम का असर मंगलवार यानी 23 अगस्त की सुबह तक बना रहेगा। अभी इसकी दिशा उत्तर-पश्चिम की तरफ है, यानी अब यह गुना की तरफ बढ़ेगा। हालांकि सोमवार शाम से इसका असर पूर्वी मध्य प्रदेश में कम हो जाएगा।

रीवा, शहडाेल और जबलपुर में इसका असर सोमवार शाम तक लगभग-लगभग खत्म हो जाएगा। वहीं सोमवार को भोपाल में दिन-रात, होशंगाबाद-उज्जैन और लगे हुए ग्वालियर संभाग के हिस्से जैसे गुना, शिवपुरी में अति बारिश होने की आशंका है। साथ ही भोपाल और उज्जैन के कुछ जिलों जैसे राजगढ़, उज्जैन, शाजापुर, देवास, विदिशा और सीहोर में भी रेड अलर्ट जारी किया गया है। यानी यहां पर भी तेज बारिश का दौर जारी रहेगा।

नर्मदा नदी के बढ़ते जलस्तर से मंडला की निचली बस्तियों में बाढ़ का खतरा है। प्रशासन ने आपदा से निपटने के लिए सभी टीमों को अलर्ट मोड पर रहने को कहा है।

भोपाल में राहत मंगलवार सुबह के बाद से ही मिलेगी। सिस्टम जैसे ही ऊपर की ओर जाएगा, यहां पर बारिश की इंटेंसिटी देर शाम से घटेगी। इसके बावजूद बारिश का दौर जारी रहेगा।

भोपाल में मंगलवार सुबह तक अति भारी बारिश की आशंका बनी रहेगी। मंगलवार सुबह के बाद से पूरे मध्य प्रदेश में बारिश की गतिविधि घटने लगेगी। मंगलवार को केवल ग्वालियर, चंबल, उज्जैन या भोपाल संभाग के कुछ जिलों में मध्यम से भारी बारिश की आशंका रहेगी। इसके बाद मध्य प्रदेश में बारिश का दौर थम जाएगा।

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