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दमोह में भी आवाज़ उठाना जुर्म, विरोध में प्रदेश पिछड़ा वर्ग भी हुआ शामिल

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सुसंस्कृति परिहार
अपने गांव दतला अभाना के लिए छोटे छोटे काम और गरीबों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाले दमोह के युवा तुर्क  द्रगपाल सिंह लोधी अब द्वय भाजपा नेताओं की वज़ह से पुलिस की नज़रों में चढ़ गए हैं। पिछले दिन उन्हें केंद्रीय मंत्री वीरेन्द्र खटीक की आशीर्वाद यात्रा के बहाने में हिरासत में लिया गया वे एक जीप में अपने परिवार के साथ जबलपुर जाने घर से निकले ही थे कि पुलिस ने उन्हें धर दबोचा मोबाइल छीना और मारपीट की गई। उन्हें बिना कारण बताए हिरासत में ले लिया ।बाद में उन्होंने बताया कि वे मंत्री जी को क्षेत्र की समस्यायों को लेकर ज्ञापन भी देना चाहते थे। जो पुलिस को नागवार गुजरा।वे अभी फिलहाल जमानत पर हैं ।


इसके ठीक दूसरे दिन नोहटा पुलिस दल-बल के साथ द्रगपाल के अनुज को गिरफ्तार करने उनके गांव दतला पहुंचती है ।घर में घुसती है और मां बहन और परिवार जनों के साथ अभद्र व्यवहार करती है जो गांव के लोगों को भी कचोटता है।जबकि मां और दादा जी अस्वस्थ हैं। जबलपुर में उनका इलाज चल रहा है।इस घटना का वीडियो जैसे ही शहर और दूर दराज के लोगों तक पहुंचता है। भगतसिंह को अपना आदर्श मानने वाले द्रगपाल के साथियों के अलावा पिछड़े वर्ग के नेताओं एडवोकेट वैभव सिंह और महेंद्र सिंह तथा नगर के सामाजिक कार्यकर्ताओं का समर्थन मिलते देर नहीं लगी।अब तक हज़ारों लोगों का समर्थन मिल चुका है।म०प्र०मा क पा के वरिष्ठ सदस्य अजित कुमार जैन ने पुलिस के इस कृत्य की घोर निन्दा करते हुए कहा कि जनहित में आवाज़ उठाने वाले द्रगपाल सिंह पर पुलिसिया दमन संविधान विरोधी है।इसकी जांच कर दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए।
ज्ञातव्य हो घर में पुलिस के प्रवेश, महिलाओं से अभद्र   व्यवहार और  पूजाघर में जूते पहन कर पुलिस के जाने से द्रगपाल को बहुत कष्ट पहुंचा है इसलिए कल दमोह घंटाघर पर फांसी लगाने की घोषणा से यहां माहौल गरमा गया है।बड़ी संख्या में उनके सभी समर्थकों के दमोह पहुंचने की संभावना है। शांति पूर्वक अब तक अपने लोगों के हक की आवाज उठाने वाले द्रगपाल के आंदोलन को जानबूझकर पुलिस गलत दिशा दे रही है जबकि द्रगपाल सिंह बराबर उग्रता का विरोध कर रहे हैं।
घर में घुसकर पुलिस ने जो दमनचक्र चलाया है वह पूरी तरह गलत है पुलिस को माफी मांगनी चाहिए ताकि दमोह नगर का शांत माहौल ना बिगड़े।सभी जानते हैं कि यह सब दो सजातीय भाजपा के  नेताओं के बर्चस्व को चुनौती नज़र आ रहे द्रगपाल सिंह के दमन का हिस्सा है।द्रगपाल की नाराज़गी की बड़ी वजह इनमें से एक नेता पर दल-बदलने से रुष्ट होकर जूतों की माला और स्याही फेंकना भी है।जिसकी सज़ा वे भुगत चुके हैं।

बहरहाल इस वक्त ज़रूरी यह है कि जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक इस मसले पर त्वरित पहल करें वर्ना चिंगारी को शोला बनते देर नहीं लगेगी।

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