Site icon अग्नि आलोक

राज युक्त नमक,हलाल नीति

Share

शशिकांत गुप्ते

फ़िल्म का नाम राज युक्त नमक हलाल नीति
फ़िल्म के टायटल दिखाने के साथ ही भारी भरकम आवाज में पार्श्वभूमि में संगीत के साथ यह सूक्ति सुनाई देगी। “पूत कपूत तो क्यो धन संचे, पूत सपूत तो क्यो धन संचे
साथ ही Background में सभी धार्मिक स्थलों के दृश्य दिखाई जाएंगे।
टाइटल में पटकथा लेखक, दिग्दर्शक,संगीत निर्देशक, और फ़िल्म निर्माता का एक ही नाम होगा।
फ़िल्म की शुरुआत भी Back ground में इस गीत की पैरोड़ी सुनाई देगी।
चलो बुलावा आया है
गंगा ने बुलाया है।
नमो गंगे। हर हर महादेव।
काशी के दर्शन के बाद करो
मथुरा के दर्शन।

फ़िल्म के नाम को ध्यान रखते हुए फ़िल्म में चुनाव के दृश्य दिखाना जरूरी है।
सन 1969 में प्रदर्शित फ़िल्म आंसू बन गए फूल के गीत की पैरोड़ी बनाकर कुछ पंक्तिया सुनाई जाएगी। इस गीत को लिखा है,शायर ताज भोपाली ने।
इलेक्शन में धार्मिक लोग खड़े हैं
अरे इन्हें कम न समझो
ये खुद भी बड़े है
इनके बेटे भी खड़े हैं इनको वोट दो

नके सिवाय₹ वोट का हक़दार कौन है?
शहर भर में जितने है अख़बार इनके है
शहर भर में जितने भी न्यूज चेनल इनके हैं
काले सफ़ेद सैकड़ो व्यापार इनके है
सब अस्पताल इनके है बीमार इनके है
प्रणाम लाख बार करो इनको वोट दो
ऐसे सपूत सब है कहां अपने देश में
भगवान आ गए है इंसा के भेष में

सब इनकी जय जय कर करो इनको वोट करो
हर चीज़ इनकी दास है, हर शह गुलाम है
ज़िंदा इन्ही के नाम से शराफत का काम है
लोगो की भावना ख़रीदना बस इनका काम है

इस गाने के बाद इंटरवल होगा।
शेष भाग में रैलियों के दृश्य,हेलीकॉप्टर से उतरते राजनेता। नेताओ के दर्शनार्थ लोगो की भीड़ दिखाई जाएगी।
भीड़ के दृश्य कंप्यूटर के माध्यम दिखा सकतें हैं।
जनता और भीड़ का फर्क समझना भी एक अनसुलझी पहेली ही है।
मुख्य भूमिका निभाने वाले कलाकारो के संवाद वही होंगे जो उन्हें लिख कर दिए जाएंगे।
बहुत हुई महंगाई की मार
अब और झेलो महंगाई की मार
पकौड़े तलों नाली के गैस से
रोजगार मिलेगा।
मुफ्त में राशन बांटने का सीन भी जरूरी होगा।
मुफ्त बांटने की घोषणा में हम सब एक हैं।
मुफ्त का लुफ्त किस्मत वाले ही उठा पाएंगे।
मुफ्त राशन मतलब नमक अदायगी होगी। नमक अदायगी मतलब एहसान।
यह नारा बुलंद किया जाएगा।हमने तुम्हे राशन दिया है तुम हमें वोट दो।
खलनायक और खलनायिका का रोल विपक्षीदल के कुछ स्त्री और पुरुषों को दिया जाएगा।
सस्पेंस क्रिएट करने के लिए किसी भी खलनायक या खकनायिका को पर्दे पर दिखाया नहीं जाएगा।
खोजों तो जाने विपक्ष है कहाँ?
मंदिर निर्माण की झांकी जरूर दिखाई जाएगी।
एक ओर देश और विदेश में मजबूरी में पैदल चलतें देशवासी
दूसरी ओर चुनाव प्रचार में व्यस्त राजनीति।
राजनीति के गिरता स्तर और राजनेताओं की फलती जुबाँ।
भारत माता जी जय। वंदे मातरम।
जय जय सियाराम के नारों के साथ The end।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

Exit mobile version