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राम भरोसे मोदी का परिवार : चहुंओर है हाहाकार 

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सुसंस्कृति परिहार

वाकई मोदीजी एक महान शख्सियत हैं जिन्होंने ये तो कहा कि उनका परिवार देश का विशाल परिवार है जिसकी संख्या लगभग एक अरब चालीस करोड़ के लगभग है और प्रति मिनिट बढ़ती ही जा रही है वे गत दिनों लालू यादव द्वारा पटना में इंडिया गठबंधन की जनविश्वास रैली में कहें ‘”उनका परिवार होता तो उसका दुख दर्द जानते”के सवाल का जवाब दे रहे थे।एक पल सबको बहुत अच्छा लगा होगा कि मोदीजी उन्हें अपना परिवार बता रहे हैं।कोई भी इस बात पर गर्व कर सकता है पर जैसा कहा जाता है हाथी के दांत खाने के और तथा दिखाने के दांत अलग होते हैं वैसी ही साहिब जी के वादे, गारंटी और बोली बानी भी एक तरह की होती है।जो कहते हैं वो कभी करते नहीं।इसे ही विद्वतजन कथनी करनी का फ़र्क बताते हैं जो देश के महापुरुषों में इससे पहले नहीं देखा गया है।एक आध गलती तो क्षमा योग्य होती है पर जब लगातार ये सिलसिला चारोओर के साथ नज़र आए तब यकीन ही नहीं होता परआज के विश्वगुरु की बात ही निराली है।

इसीलिए जन जन में उनके इस कथन को मज़ाक बतौर लिया जा रहा है। चारों और देशवासियों के आंदोलन चल रहे हैं  किसान , मज़दूर,युवा बेरोजगार या कर्मचारी हों सब के सब परेशान हैं आस लगाए बैठे हैं कि चुनाव सर पर हैं इसलिए कुछ हासिल किया जा सकता है पर भारत के इस परिवार की बात कोई सुनने वाला नहीं।वह तो चार सौ पार की तैयारी में  जुटा हुआ है उसे पक्का यकीन है इस चीख चिल्लाहट के बीच वह आसानी से पार हो जाएगा।वह भली-  भांति जानता है कि ये लोग धर्मांधता में डूब कर जब गोते लगाते हैं तो सब भूल जाते हैं इसलिए भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा अधूरे निर्मित मंदिर में कर  दी  जाती है और धर्म प्राण जनता रामभरोसे सब भूल हो जाती है यानि भारत परिवार पर विष्णु अवतार छा जाते हैं।राम का ऐसा आसरा आजकल लोकतंत्र पर हावी हो गया है। पिछले एक दशक से लहालोट भक्ति रस में आपादमस्तक डूबी जनता लगता है कि अपने लोकतांत्रिक अधिकार समझना ही नहीं चाहती।वह भीषण मंहगाई, बेरोजगारी जैसी समस्या रामजी के सहारे से ख़त्म करने के इंतजार में है उसे ये नहीं मालूम राममंदिर के लिए गया चंदा कहां गया,काशी विश्वनाथ हो महाकाल कारीडोर की बात हो कितने गरीबों की रोजी-रोटी छिन गई। बड़े-बड़े काम्प्लेक्स बने जो पूंजीपतियों को दे दिए गए। राममंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में  देश के गिने-चुने अमीर आमंत्रित किए गए पर अयोध्या वासी अपने घरों में अपराधियों की तरह बंदी रहे।मन में खौल थी पर रामजी पर अब भरोसा बरकरार है।राजी करेंगे बेड़ा पार और क्या चाहिए?

देश की जनता को जादूगर ने अपने मायाजाल में इस तरह फांस लिया है कि वे मानने तैयार ही नहीं है कि धर्म की अफीम के वे शिकार हो रहे हैं। मोदीजी का परिवार कह देने से हम सब अडानी अंबानी  नहीं बन सकते । राहुल गांधी ने सच कहा था ‘हम दो हमारे दो’। बेशक मोदी-शाह हम दो और अडानी अंबानी हमारे दो।कहने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता साहिब जी तो जहां जाते हैं वहीं उनका पुराना रिश्ता निकल आता है। परिवार कह देने से या भाषणों में भाईयो बहनों की जगह परिवार जनों कह देने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता। सड़क के किनारे नमाज पढ़ रहे लोगों को जब यूपी पुलिस लतियाती है या हज़ारों लोगों के घर बुलडोजर से ज़मींदोज़ कर दिए जाते हैं तब परिवार को तड़फते देखकर उनका दिल नहीं दुखता। मणिपुर में नारी अस्मिता को लुटते देखकर ख़ून भी नहीं खौलता, पहलवान महिलाओं के जार जार गिरते आंसुओं से विचलित नहीं होता इसका सीधा मतलब यह है कि 140करोड़ का अपना परिवार बताना बेईमानी की इंतहा है।वोट हथियाने का चिकना चुपड़ा फार्मूला है।

पूरे दस साल चुनाव मूड में रहने वाले साहिब भी अब जान चुके हैं कि उनकी इस लफ्फाजी को कांग्रेस और विपक्षी नेताओं ने भली-भांति समझ लिया है कि चुनाव वे नहीं जीते ईवीएम जीती है। इसलिए  डटकर जनप्रतिरोध हो रहा है। बेरोजगारों की बेरुखी भी बढ़ चुकी है सारे वादे हवा हवाई साबित हो चुके हैं। महिलाओं के साथ हुए अमानवीय व्यवहार से समझदार महिलाएं नाखुश हैं।न्याय की हर उम्मीद धुंधली नज़र आती है। सर्वधर्म समभाव की भारतभू का दायरा संकुचित कर गंगा-जमुनी तहज़ीब को विलोपित करने का उपक्रम चल रहा है। जातिवादी मनुवादी व्यवस्था का अनधिकृत प्रवेश शुरू हो चुका है।इन तमाम संविधान विरोधी कार्यों का विरोध देश भर में अपने तरीके से चल रहा है। भाईचारा कायम रखने भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण में न्याय यात्रा को भी शामिल कर जन जागरण की पहल राहुलगांधी कांग्रेस की ओर से कर रहे हैं।

किंतु कहा जा रहा है मोदी जी का ये 140 करोड़ का परिवार बहुत खुश हैं।अब आप ही बताइए कि लगभग 65%विपक्ष आपसे नाराज़ है।80 करोड़ जनता इतनी गरीब है कि आपको राशन देना पड़ रहा है और फिलहाल पांच साल में उनकी स्थिति सुधरने वाली नहीं है इसलिए पांच साल और राशन की गारंटी दी जा रही है। किसान एमएसपी के लिए संघर्षरत हैं।चार साल नौकरी पूरी करनेवाले हमारे फौजी भाईयों की तकलीफों की किसी को परवाह नहीं। इसलिए शायद आपने रामजी को मंदिर में बिठाने की जल्दबाजी की है कि जनता राम भरोसे छोड़ दी जाए। जनता अब यह समझने लगी है कि भूखे भजन ना होए गोपाला।पांच किलो राशन एक माह पेट नहीं भर सकता है साहिब। बहुत कठिन है डगर पनघट की।आपका कथित परिवार बेहाल है।चंद लोगों की खुशी उनकी खुशी नहीं हो सकती। सच्ची बात ये है कि अब उन्हें और नहीं लूटा जा सकता है वे सतर्क हो रहे हैं।और जनाब जब आग लगती है/ तो कुछ ना पूछिए जनाब/ आसमां को भी रुला देती है आग।

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