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सच में अब डर लगने लगा है ऐसे अच्छे दिनों से !

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मुनेश त्यागी,

पिछले 8 वर्षों के मोदी शासन के द्वारा फैलाए जा रहे झूठ, प्रपंच, धर्मांधता के झूठे वादों की, सांप्रदायिकता की, बढ़ती संस्कृति और नफरत बढ़ाने वाले और हिंसक होते प्रपंची बाबाओं से भारत की छवि बिगड़ रही है। समाज के इस विकृतिकरण और ऐसे विकृत समाज से अब वास्तव में डर लगने लगा है ! 

            मोदी ने सत्ता में आने से पहले जो वादे किए थे, उन्हें बाद में जुमले बता दिया गया ! बाद में काला धन जुमला बन गया !आतंकवाद खत्म होगा, यह भी जुमला बन गया ! किसानों की आय दुगनी होगी, यह भी जुमला बन गया ! हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपए आएंगे, यह भी जुमला बन गया ! भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर होगी, यह भी जुमला बन गया है ! हर साल 2 करोड लोगों को रोजगार मिलेगा, यह भी जुमला बन गया ! रुपया डालर के मुकाबले मजबूत होगा, यह भी जुमला बन गया ! महंगाई पर वार भी जुमला बन गया है !     

      भ्रष्टाचार खत्म होगा, यह भी एक जुमला बनकर रह गया है और विदेश नीति में परिवर्तन लाया जाएगा, यह भी एक जुमला बनकर रह गया है ! देश में होने वाले आयात में 10% की कमी लाई जाएगी, यह भी एक जुमला बनकर रह गया है ! ऐसा लगता है जैसे पिछले 8 साल में भारत में जुमलों की झड़ी लग गई है ! जुमलों की बरसात हो रही है और सरकार को इन जुमलों की बरसात करने से कोई परेशानी नहीं हो रही है क्योंकि इन जुमलों पर विश्वास करने वाले करोड़ों अंधभक्त लोग सरकार के साथ हैं और ऐसे में उसे कोई डर नहीं लगता है और उसे इससे कोई परेशानी होने वाली भी नहीं है !   

          भारतीय समाज में एक के बाद एक हमले जारी हैं। भाई को भाई से लड़ाया जा रहा है, बुर्का और हिजाब पर कोहराम मचाया जा रहा है, बुल्डोजर के नाम पर जनता को भड़काया जा रहा है, हनुमान और अजान के नाम पर हिंदू और मुसलमान को लड़ाया जा रहा है !जनता को मंदिर और मस्जिदों के नाम पर लड़वाया जा रहा है उनके अंदर विवाद पैदा किए जा रहे हैं और उन्हें एक दूसरे का दुश्मन बनाया जा रहा है। पूरे समाज में जैसे दो दुश्मन गुट बन गए हैं ! 

            असली सवाल यह है कि इन आठ सालों में हुआ क्या ? कोई काला धन वापस नहीं आया ? अब तो सरकार ने काले धन का नाम लेना ही छोड़ दिया है। जम्मू कश्मीर में आतंकवादी हमले आज भी जारी हैं और निर्दोष लोगों को आज भी मारा जा रहा है। किसानों की आय दोगुनी होने के बजाय और घट गई है। उनकी गर्दन पर तीन काले कानूनों की तलवार लटका दी गई है जिसका खतरा आज भी बना हुआ है और उनको आज भी अपनी फसलों का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है। लोगों के खाते में 15 लाख रुपए आने की बात की गई थी मगर इसके बजाय पिछले 8 सालों में उनके खाते खाली हो गए हैं !   

         5 ट्रिलीयन डॉलर की अर्थव्यवस्था का सपना, सपना बनकर रह गया है। दो करोड़ लोगों को रोजगार मिलना था, मगर सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण करोड़ों लोग और बेरोजगार हो गए हैं, उनको अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है ! सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण रुपया डोलर के मुकाबले मजबूत होने की जगह आज तक के  निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है ! लगातार बेरोकटोक बढ़ती महंगाई ने जनता की कमर तोड़ दी है। विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार भारत में कोरोना काल में पिछले दो साल में 47 लाख आदमी मर गए और सरकार अभी भी सही आंकड़े जानबूझकर नहीं बता रही है, सरकार अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए और अपनी लापरवाही और अपनी गैरजिम्मेदारी को छुपाने के लिए भारत में कोरोनावायरस से हुई मौतों का आंकड़ा केवल केवल पांच लाख बता रही है। वह कोरोना से हुई मौतों के सही आंकड़े जनता और दुनिया से छुपा रही है !   

          भ्रष्टाचार हमारे देश में पिछले 8 सालों में चरम पर है और पहले के मुकाबले दो तीन गुना बढ़ गया है और इस पर रोक लगाने की कोई भी कोशिश सरकार की तरफ से नहीं हो रही है। कचहरी, तहसील, मेडिकल, नगर निगम, पुलिस थाने और सरकार के अधिकांश विभाग जैसे भ्रष्टाचार के अड्डे बन गए हैं ! विदेश नीति में भारत को गुटनिरपेक्ष आंदोलन को आगे बढ़ाना था मगर उसे छोड़कर मोदी सरकार पूरी दुनिया पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे दुनिया के लुटेरे अमेरिका के चंगुल में फंस गई है जो देश के हितों के बिलकुल खिलाफ है !                 सरकार ने चार श्रम कानून लाकर पूरे देश के मजदूर वर्ग को पूंजीपतियों का आधुनिक गुलाम बना दिया है ! मोदी सरकार ने मजदूरों द्वारा आजादी के बाद बनवाये गए तमाम कानूनों को वापस ले लिया है। स्थाई नौकरी खत्म कर दी है, पुरानी पेंशन बहाल नहीं की है, नौकरियों में ठेका भर्ती शुरू कर दी है, जो श्रम कानूनों का सबसे बड़ा उल्लंघन है और आधुनिक गुलामी का सबसे बड़ा नमूना है। मजदूर यूनियन बनाने की आजादी को लगभग छीन लिया गया है और आज यूनियन बनाना लगभग असंभव कर दिया गया है। बिना वेतन बढ़ाए काम के घंटों में 4 घंटों की वृद्धि कर दी गई है और ओवरटाइम वेतन का खात्मा कर दिया गया है। ये चारों श्रम कानून देश दुनिया के पूंजिपतियों, धन्ना सेठों और पैसे वालों को अनाप-शनाप लाभ पहुंचाने के लिए लाए गए हैं। और बेहद आश्चर्य की बात है कि सरकार ने इन श्रम कानूनों को लाने से पहले मजदूर वर्ग के प्रतिनिधियों, किसी फेडरेशन या किसी यूनियन से सलाह मशविरा नहीं किया है और ना ही उन्हें  विश्वास में लिया है !     

         और मोदी सरकार के आगमन के बाद सबसे ज्यादा जिस क्षेत्र में प्रगति हुई है वह इस देश की सरकारी संपत्ति को, जनता के खून पसीने के पैसे के द्वारा बनाई गई राष्ट्रीय संपत्ति को, इस देश के अपने चंद पूंजीपतियों को कौडियों के दाम बेचने में लगी हुई है। सरकार बेखौफ तरीके से देश की सरकारी संपत्तियों को अपने चंद मित्रों को कौडियों के दाम पर बेच रही है। इसको लेकर जनता में सबसे ज्यादा  हताशा और निराशा है और वह सोच रही है कि आखिर मोदी सरकार क्या करना चाहती है ? यह कौन सा विकास है ?  ये कैसे और कौन से अच्छे दिन हैं ?         

     मोदी सरकार ने आज तक जो कुछ किया है वह धन्ना सेठों और पैसे वालों की आय, मुनाफे और तिजोरियां भरने के लिए किया है, जिस कारण आज हमारे देश में दुनिया में सबसे ज्यादा आर्थिक असमानता बढ़ गई है। अडानी और अंबानी की संपत्ति दिन दूनी, रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रही है। अडानी दुनिया के 5 सबसे बड़े अमीरों में शामिल हो गया है। यह सब सरकार की दुर्नीतियों के कारण हुआ है और ऐसे ही इसी प्रकार दूसरे पूंजीपतियों की संपत्तियां भी अनाप-शनाप रूप से कई गुना बढ़ गई हैं। और इसी काल में भारतीय जनता के रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुढ़ापे की सुरक्षा पर सरकार के हमले बढ़े हैं। उनका बजट कम कर दिया गया है जिससे जनता को अभूतपूर्व संकट और समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है !             आज भारतीय समाज में आजादी मिलने के बाद समाज में सबसे ज्यादा हिंदू मुस्लिम के तनाव, हिंसा और नफरत का माहौल है। हिंदू मुस्लिम के नाम पर लोग साझी संस्कृति, सामाजिक एकता, गंगा जमुनी तहजीब और आपसी भाईचारे को भूल कर,एक दूसरे के दुश्मन बना दिए गए हैं। तथाकथित धर्म संसद में मुस्लिम महिलाओं का बलात्कार करने का सरेआम आह्वान किया जा रहा है ! भारतीय संविधान को केसरिया संविधान बनाने की खुलेआम घोषणाएं हो रही हैं। यह सारा काम खुले तौर पर हिंदुत्ववादी सांप्रदायिक ताकतों द्वारा किया जा रहा है और सरकार इन देश विरोधी, समाज विरोधी और भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठा रही है जिस कारण इन समाज तोड़ने वालों को, देश की एकता तोड़ने वालों को, कानून के शिकंजे से कोई डर नहीं लगता और अब ये ताकतेंं बैखौफ होकर और इस प्रकार की हिंदू मुस्लिम एकता तोड़ने और हिंसा फैलाने की गतिविधियां जारी रखे हुए हैं। अब तो आश्चर्य होने लगा है कि ये वे अच्छे दिन नहीं हैं, जिनका वादा किया गया था। वास्तविकता यह है कि उक्त वर्णित समाजविरोधी और राष्ट्रविरोधी गुंडों को इन कुकृत्यों को करने के लिए मोदीजी की सरकार बेशर्मी से खुद प्रायोजित कर रही है और उन्हें प्रश्रय दे रही है !

             सच में अब तो ऐसे अच्छे दिनों से डर लगने लगा है !    

मुनेश त्यागी,मेरठ,उप्र,

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