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भाजपा के घोषित कई प्रत्याशियों के विरोध में बगावत

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भले ही भाजपा प्रत्याशियों का विरोध न होने का दावा करे, लेकिन यह पूरी तरह से सच होता नहीं दिखता है। इसका बड़ा उदाहरण बीते रोज नगादा में दिखा जब, बीती शाम पूर्व विधायक दिलीप सिंह शेखावत के समर्थन में जनसैलाब उमड़ पड़ा। यह अकेला क्षेत्र नहीं हैं, जहां इस तरह का नजारा दिखा हो, बल्कि अमरवाड़ा हो या सांवेर, लगभग सभी जगह एक जैसी स्थिति दिख रही है। इसके अलावा कई जगहों पर चेतावनी और विरोध का दौर अब भी जारी है। बीते रोज नागदा के रतन्याखेड़ी रोड पर एक गार्डन में शेखावत के हजारों समर्थकों ने भाजपा आलाकमान को संकेत दिया कि टिकट वितरण की प्रक्रिया का रिव्यू किया जाए। इस दौरान शेखावत ने कहा कि कार्यकर्ता बी फॉर्म मिलने तक संयम ना खोएं। बता दें कि भाजपा ने नागदा – खाचरौद विधानसभा क्षेत्र से डॉ. तेज बहादुर सिंह को उम्मीदवार घोषित किया है, लेकिन कार्यकर्ता उन्हें पार्टी का चेहरा मानने को ही तैयार नहीं हैं। इस भीड़ में विधानसभा क्षेत्र के लगभग हर क्षेत्र के कार्यकर्ता अपनी मांग को लेकर आए थे। इस भीड़  को देखकर स्थानीय संगठन भी हतप्रभ बताया जा रहा है। गौरतलब है कि  इस सीट पर पूर्व विधायक दिलीप शेखावत की दावेदारी पक्की मानी जा रही थी। वे पहले भी नागदा खाचरोद सीट से विधायक रह चुके हैं। उन्होंने कांग्रेस के दिलीप गुर्जर को चुनाव में हराया था, लेकिन 2018 चुनाव में वह दिलीप गुर्जर से हार गए थे। इस बार भी कांग्रेस दिलीप गुर्जर पर दाव खेल सकती है। दूसरी तरफ बीजेपी में पनप रहे आक्रोश का लाभ भी कांग्रेस लेने की कोशिश में जुट गई है। उधर, भाजपा जिला अध्यक्ष बहादुर सिंह बोरमुंडला का कहना है कि पार्षद गोलू यादव सहित कुछ नेताओं के फोन जरूर आए थे, लेकिन अभी तक औपचारिक रूप से लिखित में किसी ने इस्तीफा नहीं दिया है। उन्होंने यह जरूर कहा है, कि जब एक सीट पर कई दावेदार होते हैं तो कार्यकर्ताओं में कुछ दिनों के लिए नाराजगी जरूर हो जाती है, लेकिन यह परिवार का मामला है, कोई विशेष बात नहीं है।
घटिया और तराना सीट पर भी हो चुका है विरोध
बीजेपी की पहली सूची जारी होने के बाद उज्जैन जिले की घटिया और तराना के प्रत्याशियों का नाम भी शामिल था। इस घोषणा के बाद कुछ दिनों तक दोनों प्रत्याशियों का भी विरोध होता रहा, लेकिन अब सब कुछ सामान्य नजर आ रहा है। दूसरी सूची में फिर विरोध सामने आ रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में चार और विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा के साथ विरोध के स्वर भी सामने आ सकते हैं। इंदौर के देपालपुर विधानसभा सीट से पूर्व विधायक मनोज पटेल को फिर से टिकट दिया गया है। वहीं, मनोज पटेल का नाम फाइनल होते ही स्थानीय कार्यकर्ताओं ने पटेल के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। देपालपुर विधानसभा के लोग इस बार स्थानीय उम्मीदवार की मांग कर रहे थे। इस दौरान स्थानीय उम्मीदवार की मांग को लेकर गौतमपुरा में हजारों कार्यकर्ताओं ने हाथों में बाहरी हटाओ, स्थानीय लाओ की तख्ती लेकर नारा लगाते हुए गांधी चौक पहुंचे और पूर्व विधायक मनोज पटेल के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। आक्रोशित लोगों ने मनोज पटेल को टिकट देने का विरोध किया। कार्यकर्ताओं की मांग थी कि इस बार देपालपुर विधानसभा से स्थानीय उम्मीदवार को टिकट दिया जाए, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर कार्यकर्ता पटेल के विरोध में उतर आए हैं, कार्यकर्ताओं ने बताया कि अगर इस सीट से स्थानीय उम्मीदवार को नहीं उतारा जाता तो निर्दलीय प्रत्याशी को मैदान में उतारा जाएगा। उधर, बीते रोज सांवेर में  जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट को विरोध का सामना करना पड़ा। देपालपुर से राजेंद्र चौधरी के लिए टिकट मांग रहे उनके समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की। सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें राजेन्द्र चौधरी के नाम के पोस्टर लेकर समर्थक नारे लगाते दिखाई दे रहे हैं। वीडियो में तुलसी जाते हुए भी नजर आ रहे हैं। बीजेपी ने देपालपुर से मनोज पटेल को टिकट दिया है, जिसका विरोध हो रहा है। बता दें कि मनोज पटेल इस सीट से 2018 में भी चुनाव लड़े थे, लेकिन कांग्रेस के विशाल पटेल के सामने चुनाव हार गए थे। बता दें कि 2013 के विधानसभा चुनाव में मनोज पटेल ने 30,197 वोट के अंतर से सत्यनारायण पटेल को हराया था। इसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विशाल पटेल ने 9,044 वोट से मनोज पटेल को हराया था। अब भाजपा ने मनोज पटेल को एक बार फिर से मौका दिया है। मनोज पटेल 2003, 2008, 2014 व 2018 में भी भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुके है। जिसमे 2003 व 2014 में उन्हें जीत मिली थी, जबकि 2008 और 2018 में वे चुनाव हार गए थे।
दी चुनाव में उतरने की चेतावनी
भाजपा की दूसरी सूची में लहार विधानसभा से अंबरीश शर्मा का टिकट फाइनल होने के छह दिन बाद भाजपा नेता रसाल सिंह ने कार्यकर्ताओं के साथ बगावती संकेत दिए हैं। बीते रोज लहार के भाटनताल में हुए कार्यकर्ता सम्मेलन में उन्होंने टिकट पर पुर्नविचार करने का अल्टीमेटम दिया है। पूर्व विधायक ने कहा, पांच दिन में यदि शीर्ष नेतृत्व ने अंबरीश का टिकट नहीं बदला तो  चुनाव लडऩे पर निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा सीएम शिवराज सिंह, केंद्रीय मंत्री सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर मुझे पार्टी से चुनाव लड़ाने के पक्ष में थे, लेकिन आलाकमान ने तीनों वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर दिया। लहार से पार्टी ने 14 सर्वे कराए। सभी में रसाल का नाम था। एक भी सर्वे में अंबरीश का नाम नहीं है। रसाल ने आरोप लगाया कि पैसे से टिकट तो मिल जाएगा, बड़ी बात नहीं है टिकट लेना । मिलता है मिलेगा, पर पैसे से चुनाव नहीं जीता जा सकता।
अमरवाड़ा में भी हो रहा विरोध
विरोध की स्थिति अमरवाड़ा में भी है। यहां पर कार्यकर्ता घर बैठ गया है। इसकी वजह है गोंगापा की हिंदू विरोधी नेता मोनिका बट्टी को यकायक पार्टी में शामिल कराकर उन्हें प्रत्याशी बना देना। मोनिका के पिता पर रामायण जैसे पवित्र व धार्मिक ग्रंथ को जलाने का आरोप है। इस मामले में उनके खिलाफ पुलिस ने मामला भी दर्ज किया था। यही नहीं मोनिका द्वारा बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीेरेन्द्र शास्त्री की कथा का भी भारी विरोध किया गया था। ऐसे में हिन्दुत्व की पक्षधर भाजपा कार्यकर्ताओं के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। इसकी वजह से कार्यकर्ता उनके विरोध में उतरे हुए हैं।

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