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सपनों का धार्मिक और वैज्ञानिक आधार

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            डॉ. विकास मानव 

   अगर आप को कुछ समय से जरुरत से ज्यादा ऐसे अच्छे या बुरे सपने आ रहे हैं जिनसे सुबह भी आपका दिमाग उठने के बाद काफी समय तक सोच में डूबा रहे, तो ज्योतिष के हिसाब से इसका मतलब यह होता है कि आपके जीवन में कोई परिवर्तन आने वाला है। यह परिवर्तन क्या होगा इसका मतलब सपने में क्या दिख रहा है इससे इसका कोई संबंध नहीं होता। 

   अब यह परिवर्तन क्या होगा कैसे होगा यह आपके जन्म नक्षत्र और ग्रह स्थिति और ग्रह दशाओं पर निर्भर करता है। अब इसको मेडिकल और विज्ञान की भाषा में समझते हैं।

      हमारा दिमाग एक कंप्यूटर की तरह है या उल्टा समझ लें कि कंप्यूटर टेक्नोलॉजी हमारे दिमाग के कार्य करने के तरीके को समझ कर बनाई गई है।

   जब हम काफी समय से एक ही प्रकार का जीवन जी रहे होते हैं तो उस समय हमारे  एक्टिव  दिमाग  के हिस्से में रोजाना के क्रियाकलाप की मेमोरी या यादाश्त  स्टोर रहती है। 

   अब जब हमारी ग्रह स्थिति के अनुसार हमारे जीवन में कोई परिवर्तन आने वाला होता है। तो उस समय की सारी एक्टिव मेमोरी स्पेस को खाली होना पड़ता है, मतलब present memory को एक्टिव दिमाग से पैसिव दिमाग में शिफ्ट होना होता है। 

   जैसे आप समझ लो कि आप अपने ड्रॉइंग रूम का सारा सामान नया लाने वाले हो तो उससे पहले आपको पुराना समान वहां से हटा कर अपने घर के स्टोर रूम में शिफ्ट करना है। या आप अपना पेन ड्राइव खाली करते है तो उसका डाटा किसी दूसरी जगह शिफ्ट करते हो। 

     जब भी हम नींद में होते हैं तब यह मेमोरी शिफ्टिंग का काम होता है। लेकिन यह मेमोरी शिफ्ट सीरियल वाइज नहीं होता। यह मेमोरी टुकड़ों टुकड़ों में रैंडम तरीके से शिफ्ट होती है। 

   मान लो आप शक्ल अपने बॉस की देख रहे है लेकिन उसके साथ don फिल्म का संवाद सुन रहे हैं। मतलब इस रैंडम तरीके की मेमोरी शिफ्टिंग में कोई भी अजीबोगरीब स्टोरी प्ले हो जाएगी। कहीं भूत कहीं बच्चा कहीं ट्रेन पता नहीं क्या क्या, हर चीज उल्टी सीधी। 

   क्योंकि पैसिव और एक्टिव दिमाग में हर अलग प्रकार की जानकारी अलग अलग जगह पर स्टोर होती है। साउंड की जानकारी अलग जगह, तस्वीर की जानकारी अलग जगह जब शिफ्टिंग के दौरान ये सारी जानकारियां बेतरतीब तरीके से दिमाग के प्रोसेसिंग हिस्से से पास होती हुई एक्टिव दिमाग से पैसिव दिमाग में शिफ्ट हो रही होती हैं नींद में, तब हमें अजीबोगरीब सपने दिखना शुरू होते हैं। 

   जैसे किसी कि मौत का दृश्य और शक्ल किसी और कि स्थान ना जाने कोई और। 

   दौड़ रहा कोई, शक्ल किसी और की, पता नहीं और क्या क्या। 

   इसलिए उल्टे सीधे सपने से घबराने का कोई कारण नहीं है। 

   इसीलिए एग्जाम के समय हमे जरूरत से ज्यादा नींद आती है और हमें चाहिए कि एग्जाम के समय अच्छी नींद भी लें। क्योंकि मान लो कल जो पेपर दिया था उस सब्जेक्ट की सारी मेमोरी को आज की रात को एक्टिव दिमाग से पैसिव दिमाग में शिफ्ट होनी होती है। ताकि दिमाग की एक्टिव मेमोरी अगले एग्जाम के सब्जेक्ट को भरने के लिए खाली हो जाए। या जब आप कोई नया काम सीख रहे होते हैं जैसे गाड़ी चलाना या तैरना आदि। तब उन्ही क्रिया किलापों के सपने आते है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह सब सीखने के बाद यह काम हमारे रिफ्लेक्स एक्शन रिएक्शन से करने होते हैं इनकी स्टोरेज दिमाग की अलग कोशिकाओं में होती है। दिन में जब आप इस तरह के काम करते है तब ये बातें हमारी एक्टिव मेमोरी में होती है इनकी रात की नींद में एक अलग जगह स्टोर होना होता है। 

       एक बात और यदि डरावने सपने आएं और भय लगे या दवाब महसूस हो , पानी में गिर रहे हों या चीखना चाहें चीख ना पाएं, या दवाब महसूस हो रहा हो और हिल ना पा रहे हों। तो इसका मतलब होता है कि दिमाग की न्यूरोलॉजिकल कोशिकाओं में सोडियम और पोटैसियम आयन की कमी हो गई है। या उनका अनुपात गड़बड़ है। क्योंकि हमारी सारी दिमाग की कोशिकाओं का कार्य इलेक्ट्रिक चार्ज से होता है। जिसमे सोडियम और पोटैसियम आयन इस्तेमाल होते हैं। 

      इन आयन की कमी को पूरा करने का सबसे अच्छा उपाय थोड़ा सा ors घोल होता है, जो हम लूज मोशन होने पर भी पीते हैं। इसलिए थोड़ा सा ors घोल लेने से यह समस्या दूर हो जाती है। क्योंकि ors घोल में नमक या सोडियम क्लोराइड और पोटैसियम क्लोराइड और ग्लूकोज होता है यह कोई दवाई नहीं बल्कि सामान्य खाने की चीज है।

*बुरे सपनों का आधार और निदान :*

    गंदगी दिखना मरे हुए लोग दिखना, शरीर पर काले नीले दाग पड़ना, झूठी बीमारी का भ्रम होना। इन सब के ज्योतिषीय और मेडिकल आधार पर कारण और निदान को समझें.

    ज्योतिष के अनुसार जब भी किसी के जीवन में राहु की महादशा, अंतर्दशा या प्रयतेंतर दशा शुरू होती है या शुरू होने वाली होती है तो उस व्यक्ति को तरह तरह के बुरे सपने आना शुरू हो जाता है जैसे सपने में सांप, गंदगी, मरे हुए लोग, उनके साथ बैठ कर खाना खाना, तथा अन्य डरावने सपने आना शुरू होता है। शरीर पर कई स्थानों पर काले, पीले, नीले दाग पड़ना शुरू होता है।

   दरअसल राहु लालच का प्रतीक ग्रह है और मेरे द्वारा defined लेवल सिस्टम के अनुसार लालच का स्थान हमारे तीसरे लेवल यानी पेट से संबंध रखता है। जैसे ही किसी पर राहु का प्रभाव आना शुरू होता है सबसे पहले उसका पाचन तंत्र खराब होना शुरू होता है। जिससे उसके विभिन्न प्रकार के डाइजेस्टिव एंजाइम का संतुलन बिगड़ना शुरू हो जाता है। यानी अगर छोटी आयु है तो digestive enzymes अगर बड़ी आयु है तो पैनक्रियाज का फंक्शन गड़बड़ होना शुरू होता है। 

      आधुनिक मेडिकल साइंस सीधे सीधे दवाइयों पर ही जोर देता है जिससे परिस्थितियां और खराब होने लगती हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि दवाइयां जरूरी नहीं उनका रोल अपनी जगह ठीक है। पर दवाइयां पर ही निर्भर हो जाना गलत है।

   जिसके कारण ब्रेन cells में सोडियम और पोटैसियम आयन का संतुलन, और खून में इंसुलिन का लेवल गड़बड़ हो जाता है। 

   अब इन सब समस्याओं के कारण हम तरह तरह की दवाइयां खाना शुरू कर देते है । परन्तु बीमारियां एक के बाद एक बढ़ना शुरू हो जाती है। जिससे शरीर में कई स्थानों पर तरह तरह के दाग पड़ना शुरू हो जाते हैं। 

    ब्रेन कोशिकाओं में सोडियम और पोटैसियम आयन के संतुलन बिगड़ने के कारण उल्टे सीधे सपने और विचार पैदा होते हैं। जिससे किसी भी काम से मन उचाट होने लगता है। 

    लड़कियों में हार्मोनल संतुलन गड़बड़ होने से polycystic overian desease या syndrome, थाओरोएड, बाल झडना, weight बढ़ना इत्यादि की समस्या होना शुरू होती है।

     इन सभी कारणों से राहु की कोई भी दशा, अंतर्दशा में हम कोई भी काम ठीक ढंग से नहीं कर पाते और हमे इन दशाओं असफलता मिलने के पूरे पूरे चांस होते है। इसका क्या उपाय हो सकता है। यह हर व्यक्ति के जन्म नक्षत्र और ग्रह स्थिति के अनुसार अलग अलग होता है। 

     पर अधिकतम केस में खाने पीने के तौर तरीके बदल कर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। लालच से दूर हो जाना इसका सबसे बड़ा उपाय है। पर बुद्धिमान लोग समझाने से समझ जाते हैं परन्तु नासमझ लोगों को कुछ उपाय मढ़ने पड़ते है ताकि वे डर के कारण अपने जीवन जीने के तरीके में बदलाव लाएँ।

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