Site icon अग्नि आलोक

*नारायणी नारी : बहनों से निवेदन*

Share

       ~ रीता चौधरी

पति शराबी-कबाबी-दुराचारी हो, तुम्हारे साथ अन्याय करे और मायका भी उसे ही झेलते रहने के लिए तुम्हें विवस करे तो भी तुम बेचारी नही हो जाती। पति छोड़ दे तो तुम्हारे व्यक्तित्व में कोई कमी नही आ जाती। सब साथ छोड़ दें तो भी अबला-अनाथ नही हो जाती है नारी।

     घिसीपिटी परिपाटी बन्द होनी चाहिए. आज बहुत अवसर हैं खुद के पैरों पर खड़े होने के. ये अवसर नहीं दिखते, नहीं मिलते तो हमसे लो. कोई शरीर , मन या संतान से संबंधित समस्याएं हैं तो उनका भी नि:शुल्क समाधान लो.

    ऑप्शन खोजो. किसी का नहीं तो हमारा सहयोग लो और कमाओ. अपनी शक्तियों को जगाओ. अपने अस्तित्व को खुद चुनौती दो. शेरनी की तरह दहाडो। अपनी बुजदिली, आलसवृत्ति त्यागो. खुद को दीनहीन दिखाकर पाखण्डियों, हरामियों, खुदगर्जों और शोषकों की सिम्पैथी मत बटोरो। 

         समाज को,  सिस्टम को बुजदिल, कायर, कमजोर लोग कोसते हैं। जिनमें आग है, वे समाज व सिस्टम को चुनौती देकर उसे बदलने का साहस दिखाते हैं. अकेले होकर तो तुम अवश्य ही कचरे समाज को चुनौती दे सकती सकती हो। हम तुम्हारे साथ हैं. बस ईमानदारी जरूरी है : अपनी चाहत, अपनी जरूरत के प्रति ईमानदारी.

       जो स्वतन्त्रता भीख मांगकर ली जाए, उसका वेल्यू नहीं होता. स्वतन्त्र होना तुम्हारा जन्मसिद्ध अधिकार है। मजबूर नही हो तुम सबकुछ सहने को. बस स्वयं की खुशियों और आजादी को लेकर ईमानदार नही हो।

Exit mobile version