आरती शर्मा
बर्थोलिन सिस्ट एक आम योनिरोग है. यह आज तेजी से बढ रहा है. इसका एक खास कारण दुराचार भी है. जिसके ख़ान-पान, रहन-सहन, विचार-आचार के बारे में आप नहीं जानती, या जो विधर्मी या विजातीय है उससे इंटीमेट होना सेफ़ नहीं है. उसके स्वास-प्रश्वास, लार, पसीने, ब्लड, वीर्य सभी का असर आप पर पड़ता है. कंडोम बचाव का कोई विकल्प नहीं है.
स्किन और बालों का ध्यान रखने के अलावा आनी रिपोडक्टिव हेल्थ को बूस्ट करने के लिए नियमित रूप से वेजाइनल हाइजीन को मेंटेन करना आवश्यक है। इससे योनि के आसपास पनपने वाले संक्रमण से बचा जा सकता है।
कई बार वेजाइना के नज़दीक गीलापन बढ़ने, प्यूबिक हेयर हटाने में जल्दबाज़ी और असुरक्षित सेक्स के कारण महिलाओं को सिस्ट की समस्या का सामना करना पड़ता है।
योनि को दोनों ओर से ढ़के हुए होठों पर वो सिस्ट बनने का खतरा बना रहता है, जो दर्द और बुखार का भी कारण बनने लगता है।
इस बारे में हमारे मिशन की गायनोकोलॉजिस्ट डॉ श्रेया पाण्डेय बताती हैं कि बर्थोलिन ग्लैंड में संक्रमण बढ़ने से सिस्ट बन जाती है। ये ग्लैंडस योनि के दोनों ओर मौजूद रहती हैं। इस पर आने वाला उभार सिस्ट का रूप ले लेता है। इससे कभी जलन और दर्द रहती है, तो कभी पेनलेस भी होता है। ये समस्या इंटिमेट हाइजीन की कमी के कारण बढ़ने लगती है, जो उपचार से ठीक हो जाती है।
अमेरिकन फैमिली फिज़िशियन जर्नल के अनुसार ये समस्या महिलाओं में रिप्रोडक्टिव एज में बढ़ने लगती है। बर्थोलिन सिस्ट लेबिया मेजोरा में होती है और अपने जीवनकाल में दो फीसदी महिलाओं में ये समस्या पाई जाती है। ये दाना फूला हुआ सिस्ट के समान दिखने लगता है।
बर्थोलिन सिस्ट का जोखिम 20 से 40 वर्ष की आयु के बीच ये अधिक आम होता हैं। साथ ही रजोनिवृत्ति के बाद बर्थोलिन सिस्ट विकसित होने की संभावना कम हो जाती है। वेजाइनल ओपनिंग पर दिखने वाले इस लंप के बढ़ने से शरीर का तापमान बढ़ता है, जिससे शरीर में बुखार आने लगता है।
लक्षण :
~वेजाइनल डिस्चार्ज बढ़ने लगता है और प्रेशर महसूस होता है
~इंटरकोर्स के दौरान दर्द की संभावना बढ़ जाती है।
~उठने बैठने और चलने के दौरान दर्द का अनुभव होता है।
~योनि के नज़दीक सूजन और रेडनेस बढ़ जाती है।
~बॉडी पेन बढ़ना और बुखार का आना.
इन कारणों से बढ़ने लगता है बर्थोलिन सिस्ट का खतरा :
1. सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन :
एनएचएस के अनुसार बार्थोलिन ग्लैंड मटर के आकार की दो ग्रंथियाँ होती हैं जो वेजाइनल लिप्स के ठीक पीछे दोनों ओर पाई जाती हैं। जब वो फ्लूइड से भर जाती हैं, तो सिस्ट बनने लगती हैं। यौन संचारित संक्रमण यानि एसटीआई जैसे गोनोरिया या क्लैमाइडिया से सिस्ट का खतरा बढ़ जाता है। सेक्स के बाद हाइजीन का ध्यान न रखने से इस समस्या से जूझना पड़ता है। ऐसे में सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन और यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन से इस समस्या का जोखिम बढ़ जाता है।
2. प्यूबिक हेयर ट्रीमिंग :
हाइजीन को मेंटेन करने के लिए प्यूबिक हेयर ट्रीमिंग के दौरान लगने वाला कट सिस्ट की समस्या को बढ़ा सकता है। ऐसे में किसी भी प्रकार की असुविधा से बचने के लिए सीज़र, रेज़र और ट्रिमर का इस्तेमाल कर सकती हैं। शेविंग करते वक्त ज्यादा पुराने ब्लेड का प्रयोग करने से बचें। इसके अलावा सिंगल टाइम में शेव करने का भी प्रयास करें।
3. हाइजीन का ख्याल न रखना :
जिम से आने के बाद पसीना आना स्वाभाविक है। ऐेसे में देर तक गीले कपड़ों में रहना जननागों में संक्रमण पनपने का कारण बनने लगता है। इससे वेजाइना में खुजली, दर्द व जलन बढ़ जाती है और वेजाइना में सिस्ट का सामना करना पड़ता है। पसीना या फिर डिसचार्ज से रहने वाला गीलापन रैशेज की समस्या को बढ़ाता है, जिससे ग्लैंड में संक्रमण बढ़ने लगता है।
4. हार्मोनल बदलाव :
हार्मोनल उतार चढ़ाव के चलते अत्यधिक गाढ़ा योनि स्त्राव होने लगता है, जो बार्थोलिन ग्लैंड को प्रभावित करता है। इससे ग्लैंड में ब्लॉकेज के कारण पस बनने लगती है। सिस्ट का आकार बढ़ा होने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
क्या हो सकता है उपचार :
- गर्म पानी में स्नान :
शुरूआत में सेल्फ एग्ज़ामिन करने के दौरान सिस्ट का पता लगने पर गर्म पानी में स्नान करने की सलाह दी जाती है। इससे दर्द और सूजन दोनों में कमी आने लगती है। लेकिन अगर सिस्ट दर्दनाक नहीं है, तो केवल गर्म पानी से स्नान करने से ठीक होने लगती है।
2. सर्जिकल ड्रेनेज :
अगर संक्रमित सिस्ट बड़ी हो रही है, तो सर्जिकल ड्रेनेज की मदद से उसे हटाया जा सकता है। इसमें डॉक्टर सिस्ट में कट लगाकर मौजूद पसनुमा तरल पदार्थ को निकाल देते हैं। इस दौरान डॉक्टर छोटी रबर ट्यूब यानि कैथेटर वेजाइना में इंसर्ट करते हैं। ये छह सप्ताह तक ड्रेनेज के लिए डाली जाती है।
3. डॉक्टर की सलाह से दवा :
किसी प्रकार के बैक्टीरियल और यौन संचारित संक्रमण से होने वाली सिस्ट का जल्द पता लगने पर डॉक्टर एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह देते है। ऐसे में किसी भी अन्य दवा को लेने से बचें। इससे समस्या को कम करके पस निकल जाती है।