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टीबी कंट्रोलिंग में डाइट की भूमिका

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  (World TB Day, 24 March)

         डा. गीता शर्मा 

ट्यूबरक्लोसिस यानी की टीबी एक प्रकार का संक्रामक रोग है, जो फेफड़ों को प्रभावित करता है। ये संक्रमण एक प्रकार की बैक्टीरिया की वजह से होता है, जो एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैल सकता है।

    भारत में टीवी संक्रमित मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है, यदि इसका इलाज वक्त पर शुरू कर दिया जाए तो इसे ट्रीट करना बेहद आसान है, परंतु यदि इस पर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकती है।

   पास्ट में जानकारी और सुविधाओं की कमी के कारण से कई लोगों ने टीबी संक्रमण से अपनी जान गवां दी। हालांकि, आज के समय में राहत की बात यह है कि इसका इलाज पूरी तरह से मुमकिन है और धीरे-धीरे लोगों के बीच इसके प्रति जागरूकता भी बढ़ रही है। इस बीमारी से ग्रसित लगभग 85% लोगों का सफलतापूर्वक उपचार किया जा सकता है।

    हम हर साल 24 मार्च को टीबी के प्रति स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक परिणामों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने और ग्लोबल टीबी एपिडेमिक को समाप्त करने के प्रयासों को बढ़ाने के लिए विश्व टीबी दिवस मनाते हैं।

   ये दिन डॉ. रॉबर्ट कोच को समर्पित है। इस दिन 1882 में डॉ. रॉबर्ट कोच ने घोषणा की थी कि उन्होंने टीबी फैलाने वाले बैक्टीरिया की खोज कर ली है, जिससे इस बीमारी के प्रीवेंशन और ट्रीटमेंट की खोज की जा सके।

      ट्यूबरक्लोसिस एक प्रकार के बैक्टेरियम के कारण होता है, जिसे हम माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस कहते हैं। यह तब फैलती है जब टीवी से ग्रसित व्यक्ति के इनफेक्टेड लंग्स के कफ या छींक के ड्रॉपलेट्स दूसरे व्यक्ति द्वारा इन्हेल किए जाते हैं।

     इन ड्रॉपलेट्स में टीवी बैक्टीरिया होते हैं, जो दूसरे व्यक्ति को भी संक्रमित कर देते हैं। यह बैक्टीरिया हवा के माध्यम से भी ट्रांसफर हो सकता है, इसलिए एक संक्रमित व्यक्ति को सांस लेते हुए, छींकते हुए, खांसते वक्त खास ध्यान रखना चाहिए। साथ ही दूसरे व्यक्ति से उचित दूरी मेंटेन करनी चाहिए।

टीवी के लक्षण संक्रमण के तुरंत बाद नजर नहीं आते यह बेहद धीरे-धीरे नजर आते हैं। इनके कॉमन सिंपटम्स में शामिल है :

~तीन हफ्तों से अधिक समय तक कफ का बना रहना, या आपके कफ में ब्लड आना।

~बिना कुछ किए अत्यधिक थकान महसूस करना।

~बॉडी का टेंपरेचर बढ़ाना और रात को पसीना आना।

~भूख में कमी आना।

~वजन का कम होना।

~बीमार महसूस करना।

इन सामान्य लक्षणों के अतिरिक्त कुछ गंभीर लक्षण भी नजर आ सकते हैं जैसे :

~स्वॉलेन ग्लैंड्स

~शरीर में ऐठन और दर्द होना

~एंकल और ज्वाइंट में सूजन आना

~पेट और पेल्विक में दर्द रहना

~कब्ज की समस्या

~गहरे रंग की क्लाउडी यूरिन

~सिर दर्द होना

~कन्फ्यूज्ड रहना

~गर्दन का अकड़ जाना

~पैर, चेहरा और शरीर के अन्य अंगों पर रैशेज होना

  कई बार टीबी की स्थिति में बॉडी में कोई भी लक्षण नजर नहीं आता जिसे लेटेंट टीबी कहा जाता है।

 ट्यूबरक्लोसिस ये डाइट जरूरी है :

*1. प्रोटीन युक्त आहार :*

प्रोटीन शरीर में टिश्यू की वृद्धि, मरम्मत और रखरखाव के लिए महत्वपूर्ण होता है, और टीबी के मरीजों को रिकवर करने के लिए पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता होती है। टीबी में अंडे, लीन मीट, मछली, बींस, दाल और नट्स जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ को डाइट में शामिल करने की सलाह दी जाती है।

    प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन मांसपेशियों के नुकसान को रोकने, उपचार को बढ़ावा देने और इम्यूनिटी को बूस्ट करने में आपकी मदद कर सकता है।

*2. कैलरी की प्रयाप्त मात्रा :*

टीबी के मरीजों को फास्ट रिकवरी के लिए उचित मात्रा में कैलरी की आवश्यकता होती है। हाई कैलरी फूड्स का सेवन आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे की टीबी के मरीजों को सक्रिय रहने में मदद मिलती है।

     एवोकाडो, पनीर, नट्स, पीनट बटर, दूध, दही, सूखे फल, डार्क चॉकलेट और ग्रेनोला बार जैसे हाई कैलरी फूड्स को अपनी डाइट में शामिल करें। इन खाद्य पदार्थों के सेवन के साथ ही कैलरी के अन्य स्रोत भी ढूंढे, इन पर पूरी तरह से निर्भर न रहें।

*3. माइक्रोन्यूट्रिएंट्स :*

माइक्रोन्यूट्रिएंट्स बेहद आवश्यक होते हैं। इनमें विटामिन और मिनरल्स शामिल हैं, जो इम्यूनिटी को बनाए रखने, रिकवरी में सहायता करने और आगे की परेशानियों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

    डार्क ग्रीन वेजिटेबल्स, जामुन, खट्टे फल, नट और सीड्स जैसे पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन यह सुनिश्चित करता है कि शरीर को ठीक से काम करने के लिए आवश्यक पोषक तत्व मिल रहे हैं।

*4. कुछ खास सुपरफूड्स :*

हल्दी, लहसुन, अदरक और ग्रीन टी जैसे सुपरफूड में एंटी इनफ्लेमेट्री और इम्यूनिटी बूस्टिंग प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं, जो टीबी को मैनेज करने में सहायता करते हैं।

   हल्दी में करक्यूमिन होता है, जिसमें एंटी बैक्टिरियल और एंटी इनफ्लेमेट्री प्रभाव होते हैं। इसके साथ ही लहसुन और अदरक में प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले गुण होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। साथ ही ग्रीन टी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो सेल डैमेज को रिपेयर करती है।

*5. ऊर्जाशक्ति बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ :*

  टीबी के मरीजों को भूख न लगना, मतली और वजन कम होने का अनुभव हो सकता है, जिससे उन्हें कमजोरी और थकान महसूस होता रहता है।

    ऐसे में स्मूदी, सूप और स्टू जैसे उच्च ऊर्जा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन आसानी से पचने योग्य रूप में आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर सकता है। ये खाद्य पदार्थ कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और हेल्दी फैट से भरपूर होते हैं, जो रिकवरी में सहायता करने और आगे की परेशानियों को रोकने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करते हैं।

*6. हेल्दी कार्ब्स :*

हेल्दी कार्ब स्वस्थ आहार का एक अनिवार्य हिस्सा हैं, खासकर टीबी रोगियों के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। साबुत अनाज की ब्रेड, पास्ता और ब्राउन राइस जैसे फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करें।

    ये खाद्य पदार्थ शरीर को निरंतर ऊर्जा प्रदान करते हैं और ब्लड शुगर के स्तर को स्थिर करने में मदद करते हैं, स्पाइक्स और क्रैश को रोकते हैं, जो थकान और कमजोरी का कारण बन सकते हैं।

*7. हेल्दी फैट :*

टीबी के रोगियों के लिए हेल्दी फैट लेना महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्हें ठीक होने में सहायता के लिए ऊर्जा के स्वस्थ स्रोतों की आवश्यकता होती है। हेल्दी फैट, जैसे कि एवोकाडो, नट्स, बीज और जैतून के तेल आवश्यक फैटी एसिड से भरपूर होते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य, मस्तिष्क कार्य और इम्यूनिटी कार्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

    ये फैट शरीर में सूजन को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकते हैं, जिससे टीबी के मरीजों की शारीरिक समस्याओं के विकास के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।

*8. पर्याप्त मात्रा में सब्जियां :* 

सब्जियां विटामिन और मिनरल्स का एक अच्छा स्रोत हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और टीबी के मरीजों को ठीक होने में मदद कर सकती हैं। डार्क ग्रीन वेजिटेबल्स, जैसे पालक और केल, विटामिन ए, सी और के, साथ ही आयरन और कैल्शियम से भरपूर होती हैं।

   गाजर, शकरकंद और शिमला मिर्च जैसी अन्य सब्जियों में एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर की मात्रा पाई जाती है, जो सेल डैमेज को रोकने और पाचन स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकती हैं।

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