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नीमच में’ मोहम्मद’ नाम पर हुई बेरहम हत्या !

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सुसंस्कृति परिहार
मध्यप्रदेश के नीमच जिले में एक बुजुर्गवार 65वर्षीय भंवरचंद जैन को ‘मोहम्मद’ नाम बताने पर सरेआम पीट-पीट कर जान ले ली गई।बताया जा रहा कि भंवरचंद जी का मानसिक संतुलन बिगड़ा हुआ था उनके परिवार जन उन्हें तीर्थ पर ले गए थे जहां से वे लापता हो गए वहां उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज की गई।उधर भंवरजैन जी किसी बस से मनासा पहुंचे और वहां से अपने गांव जाते जाते भटक गए इस बीच एक उन्मादी युवा दिनेश कुशवाह ने उनसे नाम पूछा और आधार कार्ड मांगा। उन्होंने पता नहीं अपना नाम जाने क्या बताया और सुना गया मोहम्मद।बस आग लग गई  और उसे पीट पीट कर ख़त्म कर दिया गया ।
ये घटना यह साबित करती है कि प्रदेश में मुस्लिम विरोधी उन्माद किस तरह फैलाया गया है कि मुस्लिम नाम सुनते ही एक गिरोह के उन्मादी  सदस्य किस तरह आगबबूला हो रहे हैं। उनका कसूरवार होना जरूरी नहीं।अनजाने में ही सही एक जैन बुजुर्ग का इस तरह मारा जाना एक बड़ा संकेत है उन लोगों के लिए जो दाढ़ियां बढ़ा रहे हैं या गर्मी में कुरता पायजामा पहन रहे हैं। महिलाओं की तो और मुसीबत है वे सलवार कुर्ती तो पहन ही रहीं हैं धूल धूप से बचने नकाब ओढ़ती हैं जो हिजाब की तरह दिखता है वह भी ख़तरनाक हो सकता है बचना है तो बाबा आधारकार्ड रखना ही होगा।सिरफिरों का क्या भरोसा है ? दूसरा पक्ष जो मुसलमान है वह क्या करे यह एक गंभीर मसला है?क्या वह अपनी परम्परागत पोशाक और रहन-सहन को तिलांजलि दे दे ।छद्म हुलिया बनाए जैसा संघियों ने महिलाओं और पुरुषों को बुर्का पहनाया या वसीम साहब की तरह पंडित जी बन जाए।यह सच्चे मज़हबियों के अनुकूल नहीं होगाऔर ना ही हमारी वैविध्य पूर्ण संस्कृति के लिए।यह अधिकार हमारे मौलिक अधिकार का हिस्सा है जिसे संवैधानिक तौर पर हमें मिला हुआ है।
तब फिर क्या किया जाए वे घर में ही बैठे तो  रहे नहीं सकते तब तो उन्हें अपनी लिए सुरक्षा की मांग करनी पड़ेगी ।हम यह जानते हैं इतनी बड़ी तादाद में सुरक्षा देना संभव नहीं हो सकता। मध्यप्रदेश इस समय खासतौर से मालव अंचल ऐसे उन्मादियों की गिरफ्तारी में है इंदौर में चूड़ी वाला के साथ हुए अमानवीय व्यवहार के बाद अनेकों घटनाओं में यह बदरंग देखने मिला है रतलाम, इंदौर, खरगौन की घटनाओं से कोई सबक नहीं सीखा गया बल्कि  पिछले दिनों  सिवनी जिले में जिस तरह आदिवासियों की हत्या इसी गिरोह के लोगों ने सरेआम करने का दुस्साहस दिखाया ये सब इस बात की ताकीद करते हैं कि शांति के टापू कहे जाने वाले इस प्रदेश को लगता  षड्यंत्र पूर्वक उकसाने का उपक्रम बड़े पैमाने पर चल रहा है।अब तो भोजशाला धार और जामा मस्जिद भोपाल को भी निशाना बनाने की तैयारी चल रही है। 
ऐसे बिगड़ते माहौल का फायदा आगत चुनाव हेतु ध्रुवीकरण के लिए ही हो रहा है । क्योंकि अब तक घटित तमाम घटनाओं के तार सीधे सीधे संघ या भाजपा से जुड़े हुए ही नज़र आते हैं।नीमच वाली घटना को अंजाम देने वाला कौन है भाजपा पार्षद का पति दिनेश कुशवाह ओ भाजपा सदस्य है।घटना के बाद वह फरार हो गया था लेकिन घर पर बुलडोजर चलने की खबर के बाद उसने पुलिस के सामने समर्पण कर दिया है हालांकि बुलडोजर बताते हैं इसलिए नहीं चलाया गया कि उस मकान में उसके भाई और पिता का भी हक है।जब किसी को बचाना होता है तो बुलडोजर को बहाना मिल जाता है वरना वह खरगौन आदि में आंखबंद कर चलाया जाता है। 
बहरहाल हत्यारे दिनेश को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी बचा सकती है मौत की वजह कुछ और हो सकती है।बड़े बड़े शातिर अपराधियों की तरह कोई आश्चर्य नहीं वह  सुरक्षित बच भी जाए किंतु प्रदेश में एक कौम विशेष के खिलाफ बोए जा रहे नफरत के बीज को समाप्त करने का बीड़ा कौन उठाएगा ये बड़ा सवाल है ? सरकार से उम्मीद करना बदलाव के इस दौर में बेवकूफी ही होगी।जैन समाज से प्रतिरोध की संभावना भी लगभग शून्य है।यदि वे इस कृत्य पर एकजुट हो जायें तो कुछ बात बने।
उम्मीद की किरण सिर्फ जनता के सार्थक हस्तक्षेप पर ही टिकी हुई है वे देश में एकता, भाईचारा, अखंडता और मोहब्बत को सलामत रखने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं तभी कोई मोहम्मद ,माईकल,महेश ,मिट्ठूलाल या महेन्दर सिंह सही सलामत बचेगा। पहलूखान और अब भंवरचंद जैन जैसे लोग सरेआम मारे नहीं जायेंगे। किसी को नाम और आधार कार्ड की ज़रूरत नहीं होगी। आइए एकजुट होकर ऐसे लोगों का प्रतिकार करेंयही एकमेव रास्ता है देश को बचाने का।

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