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सबका नाथ एकनाथ

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देवेंद्र फडणवीस भाजपा के ऐसे नेता है जिसने अमित शाह के भव्य ज्ञान विश्वविद्यालय से प्रेरित होकर 12वीं के बाद इंटर में एडमिशन लिया है. मुख्यमंत्री से सीधा उप-मुख्यमंत्री बने देवेन्द्र फडणवीस भाजपा के तोड़फोड़ कर सरकार बनाने के ‘माहिर गणित’ का खिलाड़ी हैं. रविश कुमार लिखते हैं कि बीजेपी के पास इतने संगठन हैं कि केवल उन्हीं संगठनों के अध्यक्षों की गिनती कई हज़ार में निकल आए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए. हर किसी को पद मिल जाता होगा, जैसे कारपोरेट मीडिया में होता है. वेराइटी वेराइटी के नाम वाले संपादक होते हैं, बस कोई संपादक नहीं होता है.

रविश कुमार

मुबारक हो, जे पी नड्डा ने फ़ैसला लिया है! नड्डा ने फ़ैसला लिया है ! एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला किसका था ? क्या भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा का ? क्या मोदी-शाह माउंट आबू में ‘समर होलिडे’ मना रहे थे ? नड्डा का फ़ैसला, नड्डा का फ़ैसला, इस तरह से प्रचारित किया जा रहा है, जैसे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पहली बार कोई फ़ैसला लिया है. कोई बता सकता है कि इसके पहले कब नड्डा ने किसी को मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला लिया है ? क्या देवेंद्र फड़णवीस को उप मुख्यमंत्री बनाने के पीछे नड्डा का स्वतंत्र फ़ैसला था ? इसके पीछे मोदी-शाह का निर्देश नहीं रहा होगा ?

भाजपा के इस दौर में हर काम मोदी के नाम पर होता है. राज्यों के मुख्यमंत्री भी अपने रूटीन फ़ैसले के पीछे माननीय प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व और निर्देशन को श्रेय देते हैं. मोदी का फ़ैसला होता, तब कहा जाता कि देवेंद्र फड़णवीस ने मोदी का आदेश सहर्ष स्वीकार कर लिया. उनसे यह कहने का सुख और सौभाग्य भी छीन लिया गया कि मोदी जैसे महान नेता के आदेश पर वे दूसरे दल के बाग़ी नेता के भी डिप्टी बन सकते हैं, बस यह नहीं पूछेंगे कि शिंदे को क्यों मुख्यमंत्री बनाया जबकि बीजेपी के पास 106 विधायक थे ?

मैं इस फ़ैसले को किसी की बेइज़्ज़ती के रूप में नहीं देखता लेकिन इस केस में बीजेपी कहना क्या चाहती है ? बीजेपी पहले तय कर ले कि उप मुख्यमंत्री के पद को सम्मान बता कर देवेंद्र फड़णवीस का अपमान करना है या जे. पी. नड्डा का ? क्या जे. पी. नड्डा को मज़ाक़ का पात्र नहीं बनाया जा रहा है कि वे कम से कम उप मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला लेने लगे हैं ? क्या बीजेपी यह कह रही है कि मुबारक हो, जे. पी. नड्डा ने फ़ैसला लिया है ?

106 विधायकों की पार्टी बीजेपी मुख्यमंत्री का पद एक ऐसे गुट को देती है, जिसके पास पचास विधायक होने का दावा है. यह अभी एक गुट की अवस्था में है. यह गुट शिव सेना होने का दावा कर रहा है मगर शिव सेना है या नहीं, फ़ैसला नहीं हुआ है. विधायक दल पार्टी का अंग होता है, पार्टी नहीं. कहीं बीजेपी के प्रवक्ता और मोदी सरकार के मंत्री यह भी न कहने लग जाएं कि शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला शिंदे का था ! मोदी-शाह का नहीं था.

अगर कहते हैं कि सरकार बनाने और शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने के स्तर तक का फ़ैसला मोदी-शाह का था, तब तो जे. पी. नड्डा का भी एक तरह से उप-मुख्यमंत्रीकरण हो जाता है. भाजपा ने किसी की औक़ात बताने का नया राजनीतिक औज़ार बनाया है, जिसे मैं उप-मुख्यमंत्रीकरण कहता हूं. इसके तहत यह भी है कि मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला जे. पी. नड्डा नहीं लेते लेकिन उप मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला जे. पी. नड्डा लेते हैं.

मोदी सरकार के मंत्री और बीजेपी के प्रवक्ता बता रहे हैं कि देवेंद्र फड़णवीस कितने महान हैं. बीजेपी में कार्यकर्ता पार्टी के आगे व्यक्ति को पीछे रखता है. क्या शपथ से पहले देवेंद्र फड़णवीस उप मुख्यमंत्री होने की ख़ुशी में लड्डू खा रहे थे ? क्या उन्हें एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए बीजेपी के नेता लड्डू खिला रहे थे ? यहां ध्यान रखने की बात है कि देवेंद्र फड़णवीस ने यह क़ुर्बानी अपनी पार्टी के किसी नए नेतृत्व के लिए नहीं दी है, उस एकनाथ शिंदे के लिए दी है, जिनकी पार्टी अभी तय नहीं है. गोदी मीडिया किससे बात कर जश्न मना रहा था कि देवेंद्र ही महाराष्ट्र के नरेंद्र हैं. उसे कौन फ़र्ज़ी ख़बरों की सप्लाई कर रहा था ?

अब इस चक्कर में बीजेपी शिंदे को महानतम नेता बताना न शुरू कर दे. इस सवाल को दफ़्न ही न कर दे कि दल बदल के पहले फ़ाइव स्टार होटल, चार्टेड विमान पर करोड़ों रुपये शिंदे ने अपनी जेब से दिए या बीजेपी ने दिए ? बीजेपी ने दिए तो क्या पार्टी ने उस हज़ारों करोड़ रुपये के फंड से ख़र्च किए, जो रहस्यमयी इलेक्टोरल बॉन्ड से मिले हैं ? जिन साधनों के इस्तेमाल से एकनाथ शिंदे शिव सेना से निकले हैं, क्या वे भी शिंदे की तरह महान और नैतिक हैं ?

मोदी सरकार के मंत्री और बीजेपी के प्रवक्ता कोई भी तर्क चला सकते हैं. यह भी कहने लग जाएंगे कि शिंदे दल बदल जैसा राष्ट्रीय कर्तव्य निभाने वाले राष्ट्र के प्रथम सैनिक हैं इसलिए ऐसे सौभाग्य को गंवाना ठीक नहीं होगा. इस सौभाग्य को प्राप्त करने का एकमात्र तरीक़ा है कि देवेंद्र फड़णवीस से कहा जाए कि आप शिंदे के चरणों में बैठ कर महाराष्ट्र राज्य की सेवा करें और उप मुख्यमंत्री बनें ! कमाल है ! मुख्यमंत्री बनने का अवसर शिंदे को और महान बनने का अवसर देवेंद्र को ?

देवेंद्र फड़णवीस भी इस लेख को पढ़ कर रोते-रोते हंसने लग जाएंगे. तब फिर महानता का यह भाव देवेंद्र में खुद से क्यों नहीं पैदा हुआ ? ख़ुद ही नड्डा जी से बोल देते कि वे एकनाथ शिंदे जैसे महान नेता के डिप्टी होकर सेवा करना चाहते हैं ? जो शिंदे अपनी पार्टी के न हुए उनके सामने देवेंद्र को उप मुख्यमंत्री बना कर बीजेपी बता रही है कि देवेंद्र केवल पार्टी के हैं ! उनके भीतर कोई व्यक्ति और लड्डू खाने की कोई इच्छा है ही नहीं ? इतना महान फ़ैसला है तो गोदी मीडिया के ऐंकर और पत्रकार मायूस क्यों हो गए ?

क्रिकेट में कप्तानी का पद छोड़कर खिलाड़ी टीम का हिस्सा हो जाता है. उसी टीम में बिना डिप्टी हुए खेलता है लेकिन यह जय शाह की बीसीसीआई का मामला नहीं है बल्कि अमित शाह की बीजेपी का मामला है, जहां बड़े फ़ैसले मोदी-शाह के इशारे पर लिए जाते हैं. एक बाहरी दल के नेता के आगे बीजेपी अपने बड़े नेता को कहती है कि आप उनका डिप्टी बनें और बीजेपी के प्रवक्ता ऐसे कथा सुना रहे हैं जैसे प्रभु राम के चरणों में भरत होने का अवसर आया है ?

क्या वाक़ई बीजेपी मानती है कि जनता के बीच तर्क बुद्धि समाप्त हो चुकी है ? वह वही मानेगी जो बीजेपी कहेगी ? उसका अपना दिमाग़ नहीं है ? जब और जैसा बीजेपी सोचती है, तब और वैसे जनता सोचती है ? बीजेपी इस तरह से क्यों प्रचारित कर रही है कि पहली बार पार्टी के अध्यक्ष ने कोई फ़ैसला लिया है ? क्या यह अपने अध्यक्ष का मज़ाक़ उड़ाना नहीं है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्यमंत्री या सरकार बनाने का तो नहीं लेकिन उप मुख्यमंत्री किसे बनाना है, इसका फ़ैसला लेने लगे हैं ? ऐसा लग रहा है कि देवेंद्र फड़णवीस ने नड्डा की बात मान कर नड्डा को भी महान और प्रभावशाली होने का मौक़ा प्रदान किया है कि इस पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का कहना भी माना जाता है ! फिर जो बीजेपी के कोटे से बाक़ी मंत्री बनेंगे, उनके बारे में कौन फ़ैसला ले रहा है ? वो महान कौन है जिसके बारे में प्रचार नहीं हो रहा ?

क्या जे. पी. नड्डा ने तब भी फ़ैसला लिया था, जब असम में कांग्रेस से आए हिमांता बिस्वा शर्मा को उप मुख्यमंत्री से मुख्यमंत्री बनाया गया ? असम में तो चुनाव सरबनानंद सोनेवाल के नेतृत्व में जीता गया. जनता से नहीं कहा गया कि इस बार बीजेपी दोबारा सत्ता में आएगी तो हिमांता बिस्वा शर्मा को मुख्यमंत्री बनाएंगे ? ग़नीमत है कि असम में सोनेवाल को नड्डा ने नहीं कहा कि आप अपने डिप्टी रह चुके हिमांता बिस्वा शर्मा के डिप्टी बन जाइये ? सोनेवाल को केंद्र में मंत्री बनाया गया.

एकनाथ शिंदे हिमांता बिस्वा शर्मा और ज्योतिरादित्य सिंधिया से आगे के नेता हैं. एकनाथ के पहले अपनी पार्टी तोड़ कर आए इन नेताओं ने पहले बीजेपी में रह कर इंतज़ार किया तब सत्ता प्राप्त किया. हिमांता बिस्वा शर्मा को पांच साल उप मुख्यमंत्री बन कर काम करना पड़ा. ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्य सभा और केंद्र में मंत्री बनने के पहले लंबा इंतज़ार करना पड़ा. दोनों मोदी के नेतृत्व में सच्चे सेवक बने. एकनाथ शिंदे ने अपने नेतृत्व में बीजेपी को सेवक बना दिया, यह उनके राजनीतिक कौशल का कमाल है.

एकनाथ शिंदे समझ गए हैं कि बीजेपी को सत्ता चाहिए. सत्ता के लिए बीजेपी नैतिकता की राजनीति नहीं करती तो बीजेपी से इसी आधार पर डील की जा सकती है. अपनी शर्तों पर भी बीजेपी को मनाया जा सकता है और बीजेपी ने एकनाथ की शर्तों को मान एक नया द्वार खोला है कि आप पार्टी तोड़ कर आएं, हम आपकी सरकार बनाएंगे. अपने नेता को आपका डिप्टी बनाएंगे. हम भाजपा है, केवल अपनी सरकार नहीं बनाते बल्कि दूसरों की भी सरकार बनाते हैं. नीतीश कुमार गठबंधन तोड़ कर आए तो बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री मान लिया. एकनाथ शिवसेना तोड़ कर आए तो बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया. बीजेपी के पास सरकार और मुख्यमंत्री बनाने के कई मॉडल हैं. देवेंद्र को उप मुख्यमंत्री बनाने के साथ उप-मुख्यमंत्रीकरण का भी मॉडल लांच हो गया है.

सबके नाथ एकनाथ, समर्थक विधायकों का रपचिक डांस

क़सम से शिंदे के विधायक डांस अच्छा करते हैं. क्या स्टेप्स मारेला है अपुन का भाई लोग बाप. रपचिक डांस का टाइम आएला है. महाराष्ट्र में डांस पोलिटिक्स छाएला है, बीड़ू. राजनीति पैसों का खेल है और ये फ़ाइव स्टार होटल है, राशन की दुकान नहीं, जहां प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण योजना के तहत मुफ़्त अनाज और एक किलो तेल बंटने वाला है. पांच सितारा हिन्दुत्व है।

इस पेज पर आने वाले पाठक जानते हैं कि मैं डांस का घोर समर्थक हूं. हर किसी को डांस आना चाहिए. बीजेपी के विधायकों को भी डांस करना चाहिए. उनका दिमाग़ इसमें उलझा होगा कि मोदी जी का मास्टर स्ट्रोक तो है लेकिन उन्हें क्यों स्ट्रोक लग गया ? ऐसे में वे नोटबंदी याद करें, वो भी मास्टर स्ट्रोक था लेकिन उसका नतीजा क्या निकला, किसी को पता नहीं चला. ये शॉक थेरेपी है ताकि आप पुराना सब भूल जाएं और अपने झटके को संभालने में लग जाए, जिस तरह से गोदी मीडिया के ऐंकर झटका खा रहे हैं.

देवेंद्र फड़णवीस मुख्यमंत्री से उप मुख्यमंत्री बनने वाले पहले नेता हैं ? यह सोचने का समय नहीं है. फड़णवीस उद्धव ठाकरे के सामने विपक्ष के नेता थे. अब उद्धव के भूतपूर्व डिप्टी एकनाथ शिंदे के सामने डिप्टी हो गए. ये शायद पहली बार हुआ हो ? फड़णवीस को मुख्यमंत्री मान चुके गोदी मीडिया को यह बताना चाहिए कि वे अपनी दिली इच्छा रिपोर्ट कर रहे थे या कोई ठोस सूचना थी ?

मुझे आज विधायकों को डांस करते देख बहुत ख़ुशी हुई है. विधायकों ने बता दिया कि वे दोहरा चरित्र नहीं रखते. उनके डांस से लग रहा है कि वे पहली बार बाग़ी होने के बाद फ़ाइव स्टार नहीं गए हैं, पहले से ही जाते रहे हैं. पांच सितारा होटल के टेबल पर नाचते-नाचते चढ़ जाने का मतलब है कि विधायक अपनी प्रवृत्ति में बाग़ी तेवर के हैं. सड़क पर जैसा डांस सिखा है, वैसा फ़ाइव स्टार में भी किया है. इसका मतलब उनके भीतर कोई हीन ग्रंथि नहीं है.

पैसे के बिना और सफ़ेद पैसे से राजनीति नहीं होती, ये बात जनता भी जानती है. इसी पैसे में से तो वो वोट के पहले कुछ हिस्सा ले लेती है ! इस पैसे की खूबी यही है कि सबके सहयोग से आता है और सबमें बंटता है. जो पैसा ईमानदारी का होता है, वो राजनीति के किसी काम नहीं आता. इतना कम होता है कि बैंक अकाउंट में सड़ता रहता है. हिन्दुत्व की राजनीति में डांस मना नहीं है, बस भाई लोग भरत नाट्यम नहीं कर रहे हैं लेकिन पाश्चात्य से झगड़ा ही कब था !

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