*10 करोड़ से ज्यादा निवेशक अपनी जमा पूंजी लौटाने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर*
रामस्वरूप मंत्री
सहारा इंडिया के निवेशक आज अपने ही जमा किए पैसों के लिए दर दर की ठोकर खा रहे हैं। निवेशक आज चाह कर भी अपने पैसे नहीं निकाल पा रहे हैं और खून के आंसू रो रहे हैं। सहारा इंडिया के पॉलिसी से प्रभावित होकर देश के करोड़ों लोगों ने अपना पैसा निवेश किया था। किसी ने बेटे की पढ़ाई के लिए तो किसी ने बेटी की शादी की प्लानिंग करके पैसे जमा किए थे। लेकिन आज वो उन पैसों के लिए ही मारे मारे फिर रहे हैं। हालांकि सहारा इंडिया की ओर से ये कहा गया था कि निवेशकों का पैसा ब्याज सहित वापस किया जाएगा, लेकिन आज ब्याज तो छोडिए मूल भी नहीं मिल रहा। आखिर क्यों निवेशकों को उनके जमा रुपये नहीं मिल पा रहे हैं? कहां पेंच फंस रहा है।
सहारा की कंपनियों और योजनाओं में देशभर में बड़ी संख्या में लोगों ने निवेश किया है। इस मामले में सेबी ने सहारा को लोगों के पैसे 15 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने का आदेश जारी किया कि। बाद में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय को 24,400 करोड़ रुपये निवेशकों को लौटाने के लिए कहा था। इस दौरान सहारा ने न तो निवेशकों के पैसे लौटाने के सबूत दे पाया और न ये बता पाया कि इतना पैसा आया कहां से है। सहारा के इस रूख पर सुप्रीम कोर्ट ने सहारा के बैंक खाते को सीज करने की बात कही गई और उनकी संपत्ति को सील करने को कहा गया था।
सहारा में जमा अपनी मेहनत की कमाई के लिए लोग चक्कर काटने को मजबूर हैं। जिन एजेंटों के सहारे वो अपने रुपये जमा करते थे अब उनका भी कोई अता पता नहीं है। निवेशकों को नहीं पता कि उन्हें अपने जमा रुपये कब वापस मिल पाएंगे। दिनभर मेहनत करके रुपये जोड़ने वाले लोग आज अपने जमा रुपयों के लिए परेशान हैं। लोगों ने पहले कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें कभी इस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबित बीते महीनों सहारा की तरफ से एक ऐड जारी किया गया था। इसमें सहारा ने कहा था कि हमसे दौड़ने के लिए तो कहा जाता है, लेकिन हमें बेड़ियों में जकड़ कर रखा गया है। सेबी निवेशकों को भुगतान क्यों नहीं कर रहा, जबकि उसके पास हमारे 25,000 करोड़ रुपए जमा हैं। वहीं सेबी का कहना है कि दस्तावेजों और रिकॉर्ड में निवेशकों का डेटा ट्रेस नहीं हो पा रहा, जिस कारण वो पैसा नहीं दे पा रही है।
एक समय था जब सहारा देश की बड़ी प्राइवेट कंपनियों में से एक हुआ करती थी। इसमें 11 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते थे। रियल एस्टेट, फाइनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, मीडिया एंड एंटरटेनमेंट, हेल्थ केयर, हॉस्पिटैलिटी, रिटेल, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से लेकर स्पोर्ट्स तक सहारा इंडिया का बिजनेस फैला था। 11 सालों तक यह ग्रुप टीम इंडिया का स्पॉन्सर रहा। IPL में पुणे वॉरियर्स टीम के मालिक भी सुब्रत रॉय सहारा थे।
साल 2009 में कंपनी ने आईपीओ लाने की योजना बनाई थी। सहारा ने जब सेबी से IPO की बात कही तो सेबी ने DRHP यानी कंपनी का पूरा बायोडाटा दिखाने को कहा। सहारा ने दो कंपनियों का नाम बताया– सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इवेस्टेमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड। दस्तावेजों की जांच के दौरान सेबी को कुछ शक हुआ। सेबी ने सहारा से उसके पास जिन लोगों के रुपये जमा थे उनके दस्तावेज मांगे। सहारा ने सेबी को 127 ट्रक डाक्युमेंट ऑफिस में भेजे। सेबी ने जब इन डाक्युमेंट में जांच की तो उसमें बहुत गड़बड़ी सामने आई, जिसके बाद सेबी ने सहारा के नए OFCD जारी करने से मना कर दिया।