*प्रमोद जैन पिंटू*
संदेश खाली को लेकर जो समाचार आ रहे हैं अगर वह वास्तविक है तो निश्चित रूप से भारतीय राजनीति की शर्मनाक घटनाओं का एक बहुत बड़ा दस्तावेज बन जाएगी!
संदेश खाली प्रायोजित हैसमाचार पत्रों में समाचार छपा है कुछ महिलाएं अपने रिपोर्ट वापस ले रही है !
एक महिला ने आरोप भी लगाया है कि हमसे खाली कागजों पर दस्तक करा कर उसके बाद उनको प्रार्थना पत्र का रूप देकर घटना को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश की है और सेक्स असेरमेंट के आरोप लगाए है!
इन आरोपों को बल इसलिए भी मिलता है जिस औरत को प्रधानमंत्री के सामने प्रस्तुत किया गया था वह औरत वह नहीं थी जिसके नाम से उसे प्रस्तुत किया गया जिस औरत का नाम लिया गया उसने समाचार पत्रों को बताया है कि उसके नाम का दुरुपयोग किया गया है!
यह इस बात का संकेत भी है भारतीय जनता पार्टी 400 पार का परसेप्शन बनाने के लिए किस तरह झूठे हथकाडों का सहारा ले रही है!
मणिपुर और पहलवान बेटियों पर खामोश रहने वाले भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने जिस तरह संदेश खाली को लेकर पूरे देश में माहौल बनाने का प्रयास किया था उससे तो इन आरोपों की पुष्टि को और बल मिलता है!
पूरा सच तो जांच के बाद मालूम पड़ेगा पर यदि संदेश खाली में ऐसा कुछ हुआ है जिसको अपना राजनीतिक फायदे के लिए भारतीय जनता पार्टी ने प्रस्तुत किया है अगर यह सही साबित हो गया तो भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक की तरह बंगाल में भी बुरी तरह फसती हुई नजर आएगी!
यह भी बताया जा रहा है की मकान और लोन देने के नाम पर यह हस्ताक्षर करवाए गए बाद में जब महिलाओं को मालूम पड़ा कि इनका दुरुपयोग किया गया है तो उन्होंने इस तरह के कदम उठाया!
बंगाल में ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के लोग इन सबके लिए शुभेंदु सरकार को जिम्मेदार बता रहे हैं और शायद उनके खिलाफ प्राथमिक की भी दर्ज की गई है?
जांच की रिपोर्ट सीबीआई कर रही है और आज एक सनसनी खेज खुलासा हुआ है कि जिन 50 महिलाओं के माध्यम से आरोप लगाए गए थे सीबीआई के सामने 90% महिलाओं ने बयान देने से इनकार कर दिया है सिर्फ एक महिला का बयान आया है और उसे भी संदिग्ध माना जा रहा है?
राजनीति में परसेप्शन बनाने के लिए किस तरह की अपराधिक गतिविधियों की जाती है यह इस बात का उदाहरण है?
अगर ऐसा है और यही पूरा सच है तो भारतीय जनता पार्टी की विश्वसनीयता पूरे हिंदुस्तान की नजर में खत्म हो जाएगी जो मात्र सत्ता के लिए इस तरह महिलाओं को हथियार बनाकर राजनीति को सांप्रदायिक कर ने की कोशिश कर रही है वह लोकतंत्र की परिभाषा मे उचित नहीं मानी जा सकती!
और इस बात को भी दम मिलेगा की सत्ता के लिए सत्ताधीश किस हद तक गिर सकते हैं?
एक मासूम सवाल और है जो लोग सत्ता के लिए इस हद तक जा सकते हैं क्या वह परिणामों को लेकर और कोई खेल नहीं कर सकते क्या?
मेरा सीधा आशय है चुनाव आयोग और ईवीएम मशीन उनको लेकर भी अब संदेह के बादल और गहराने लगेंगे!